सुप्रीम कोर्ट ने खारिज की महाराष्ट्र के अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग वाली याचिका,
CJI बोले- ये सिर्फ पब्लिसिटी पाने के लिए किया गया
1 months ago
Written By: NEWS DESK
CJI Gavai PIL: सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को एक जनहित याचिका (PIL) को खारिज कर दिया जिसमें महाराष्ट्र के शीर्ष अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की गई थी। याचिका में आरोप लगाया गया था कि इन अधिकारियों ने भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI) जस्टिस बी. आर. गवई के पहले मुंबई दौरे के दौरान प्रोटोकॉल का उल्लंघन किया था। जिसके बाद CJI ने याचिकाकर्ता पर 7 हजार का जुर्माना भी लगाया।
याचिका पब्लिसिटी इंटरेस्ट लिटिगेशन: CJI
इस याचिका पर सुनवाई करते हुए CJI गवई और जस्टिस ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की पीठ ने स्पष्ट रूप से कहा कि, यह याचिका "पब्लिसिटी इंटरेस्ट लिटिगेशन" है, न कि जनहित याचिका। कोर्ट ने याचिकाकर्ता अधिवक्ता शैलेंद्र मणि त्रिपाठी पर ₹7,000 का जुर्माना लगाया है, जिसे उन्हें लीगल सर्विसेज अथॉरिटी में जमा करना होगा।
आप बस अखबार में नाम छपवाना चाहते हैं: CJI
रिपोर्ट्स के मुताबिक, इस याचिका की सुनवाई के दौरान CJI ने कहा कि, यह मामला बहुत छोटा है और इसे बेवजह बड़ा बनाया जा रहा है। उन्होंने याचिकाकर्ता से कहा, "आप अखबारों में अपना नाम देखना चाहते हैं। अगर आपने पद की गरिमा को समझा होता तो जानते कि मैंने स्वयं इस मामले को समाप्त करने की अपील की थी।"
CJI बोले – अधिकारियों ने माफी मांगी, मामला समाप्त
इस दौरान CJI ने बताया कि, उनके मुंबई दौरे के दौरान संबंधित तीनों अधिकारी – मुख्य सचिव, डीजीपी और मुंबई पुलिस कमिश्नर – एयरपोर्ट पर मौजूद थे और बाद में उन्होंने उनसे मिलकर सार्वजनिक रूप से माफी भी मांगी। कोर्ट पहले ही इस मुद्दे को खत्म करने के लिए प्रेस नोट जारी कर चुका है।
14 मई को CJI का टूटा था प्रोटोकाल
दरअसल, मुख्य न्यायाधीश बनने के बाद जस्टिस गवई 18 मई को मुंबई दौरे पर गए थे। इस दौरान महाराष्ट्र और गोवा बार काउंसिल ने उनके सम्मान में एक समारोह आयोजित किया था। इस कार्यक्रम में राज्य के मुख्यसचिव और DGP उन्हें रिसीव करने नहीं पहुंचे। जिसे लेकर सोशल मीडिया और कुछ मीडिया रिपोर्ट्स में सवाल उठे थे। बाद में इन अधिकारियों ने CJI से मुलाकात की और खेद व्यक्त किया था।
कोर्ट की सलाह – तिल का ताड़ न बनाएं
कोर्ट ने स्पष्ट रूप से कहा कि, यह मामला पहले ही निपट चुका है और इसे और आगे बढ़ाने से केवल अनावश्यक विवाद होगा। CJI ने कहा कि मुख्य न्यायाधीश के पद को बेवजह विवादों में नहीं घसीटा जाना चाहिए। यह संस्था की गरिमा का विषय है, ना कि व्यक्तिगत अपमान का। इस फैसले से यह संदेश भी गया है कि सुप्रीम कोर्ट अनावश्यक जनहित याचिकाओं और प्रचार की भावना से प्रेरित मामलों को गंभीरता से नहीं लेता।