मुनीर, सुन लो CIA अफसर की नसीहत,
फड़फड़ाना बंद करो वरना नामोनिशान मिटा देगा भारत
3 days ago Written By: Aniket Prajapati
भारत के खिलाफ साजिश और आतंक फैलाने की कोशिशों में लगे पाकिस्तान को अमेरिका से कड़ी चेतावनी मिली है। अमेरिकी खुफिया एजेंसी सीआईए (CIA) के पूर्व अधिकारी जॉन किरियाको ने कहा है कि पाकिस्तान को भारत के सामने अपनी ‘फड़फड़ाहट’ बंद कर देनी चाहिए, क्योंकि वह किसी भी पारंपरिक युद्ध में भारत से बुरी तरह पराजित होगा।
“भारत के साथ युद्ध से कुछ नहीं मिलेगा” 15 साल तक सीआईए में सेवा देने वाले जॉन किरियाको ने न्यूज एजेंसी एएनआई से बातचीत में पाकिस्तान के आतंकवाद-रोधी अभियानों के अपने अनुभव साझा किए। उन्होंने कहा “इस्लामाबाद को अब यह समझ लेना चाहिए कि भारत के साथ युद्ध से उसे कुछ हासिल नहीं होगा। भारत और पाकिस्तान के बीच असली जंग से कोई अच्छा परिणाम नहीं निकलेगा, क्योंकि पाकिस्तान हार जाएगा। मैं यहां न्यूक्लियर वॉर की बात नहीं कर रहा, सिर्फ पारंपरिक युद्ध की। भारत को बार-बार उकसाने का कोई फायदा नहीं।”
संसद हमले के बाद अमेरिका की चिंता किरियाको ने 2001 में भारतीय संसद हमले के बाद की स्थिति का भी जिक्र किया। उन्होंने बताया कि उस समय सीआईए को लग रहा था कि भारत और पाकिस्तान परमाणु युद्ध की ओर बढ़ रहे हैं। 2002 में ऑपरेशन पराक्रम के दौरान दोनों देशों के बीच तनाव चरम पर था। उन्होंने खुलासा किया “उस समय अमेरिका ने अपने नागरिकों को पाकिस्तान से निकालना शुरू कर दिया था। हमें अनौपचारिक रूप से बताया गया था कि पाकिस्तान के परमाणु हथियारों का नियंत्रण पेंटागन के पास है, क्योंकि जनरल मुशर्रफ ने उनका नियंत्रण अमेरिका को सौंप दिया था।”
भारत की चिंताओं को नहीं दी गई अहमियत पूर्व सीआईए अधिकारी ने स्वीकार किया कि उस दौर में अमेरिका का ध्यान अल-कायदा और अफगानिस्तान पर केंद्रित था, इसलिए भारत की चिंताओं को उतनी गंभीरता से नहीं लिया गया। हालांकि भारत ने बाद में अपने बल पर आतंक के खिलाफ निर्णायक कदम उठाए-
2016 में सर्जिकल स्ट्राइक
2019 में बालाकोट एयर स्ट्राइक
2025 में पहलगाम हमले के बाद ऑपरेशन सिंदूर
नई दिल्ली ने पाकिस्तान को साफ चेतावनी दी कि भारत अब उसकी ‘न्यूक्लियर ब्लैकमेल’ को बर्दाश्त नहीं करेगा। खासकर तब, जब पाकिस्तान भारतीय शहरों को निशाना बनाने की असफल कोशिशों के बाद खुद युद्धविराम की भीख मांगता रहा।
एक और बड़ा खुलासा – ए.क्यू. खान को छोड़ने की वजह जॉन किरियाको ने एक चौंकाने वाला खुलासा करते हुए कहा कि अमेरिका के पास पाकिस्तान के परमाणु वैज्ञानिक अब्दुल कादिर खान (A.Q. Khan) को खत्म करने का मौका था, लेकिन सऊदी अरब के अनुरोध पर ऐसा नहीं किया गया। उन्होंने कहा “हमें पता था कि खान कहां रहते हैं और उनका रूटीन क्या है, लेकिन सऊदी सरकार ने कहा कि उसे छोड़ दो, हम उनके साथ काम कर रहे हैं।”
टॉर्चर प्रोग्राम का पर्दाफाश करने वाला अधिकारी किरियाको वही अधिकारी हैं जिन्होंने 2007 में सीआईए के टॉर्चर प्रोग्राम का खुलासा किया था। इसके बाद उन्हें 23 महीने जेल में रहना पड़ा। हालांकि बाद में सभी आरोप हटा दिए गए। उन्होंने कहा “मुझे अपने फैसले पर कोई पछतावा नहीं है। मैंने वही किया जो सही था।”
भारत-पाक तनाव पर बड़ा संदेश किरियाको के बयान से साफ है कि अमेरिका के उच्च स्तर पर भी अब यह समझ बढ़ रही है कि पाकिस्तान की नीतियां न सिर्फ दक्षिण एशिया बल्कि वैश्विक शांति के लिए भी खतरा हैं। उन्होंने दो टूक कहा “भारत एक जिम्मेदार और शक्तिशाली लोकतंत्र है, जबकि पाकिस्तान को अपनी नीतियों पर पुनर्विचार कर क्षेत्र में स्थिरता की दिशा में काम करना चाहिए।”