टैरिफ का कोई असर नहीं… चीन बना दुनिया का नया ट्रेड किंग,
1 ट्रिलियन डॉलर का धमाकेदार सरप्लस
3 days ago Written By: Ashwani Tiwari
चीन ने इस साल ऐसा कारनामा कर दिया है, जिसकी किसी ने कल्पना भी नहीं की थी। नवंबर 2025 तक चीन का ट्रेड सरप्लस पहली बार 1 ट्रिलियन डॉलर के आंकड़े को पार कर गया है। इसका मतलब यह है कि चीन ने जितना सामान दुनिया को बेचा, उससे बहुत कम खरीदारी की, और आखिर में उसे एक ट्रिलियन डॉलर से भी ज्यादा का फायदा हुआ। दुनिया के बड़े देशों में ट्रेड सरप्लस आमतौर पर बहुत कम देखने को मिलता है, लेकिन चीन ने सभी देशों को पीछे छोड़कर खुद को ग्लोबल ट्रेड किंग के रूप में स्थापित कर लिया है। अमेरिकी टैरिफ और आर्थिक दबाव के बावजूद चीन की यह छलांग दुनिया को चौंका रही है।
अमेरिकी टैरिफ के बावजूद चीन ने कैसे मारी छलांग ट्रंप प्रशासन ने चीनी सामान पर भारी टैरिफ लगाया था, लेकिन इसका असर चीन पर उतना नहीं हुआ जितना उम्मीद की जा रही थी। वजह साफ है, चीन अपने कुल एक्सपोर्ट का सिर्फ 14% हिस्सा ही अमेरिका भेजता है। बाकी 86% निर्यात दुनिया के दूसरे देशों में जाता है, जिन पर टैरिफ का कोई असर नहीं पड़ा। 2018 से चीन अमेरिकानिर्भरता कम करने की रणनीति पर काम कर रहा था, और 2025 तक वह पूरी तरह सफल हो चुका है।
चीन के टॉप एक्सपोर्ट बाजार – अमेरिका अब तीसरे नंबर पर चीन के लिए इस साल प्रमुख एक्सपोर्ट डेस्टिनेशन ये रहे,
आसियान देशों को 17.2%,
यूरोपीय संघ को 16.1%,
अमेरिका को 14%,
जापान और दक्षिण कोरिया को 11%,
बाकी दुनिया को लगभग 30%।
अफ्रीका, लैटिन अमेरिका, खाड़ी देशों और एशिया में चीन के माल की रिकॉर्ड मांग देखी गई। RCEP समझौते के बाद दक्षिण–पूर्व एशिया में चीन का सामान लगभग बिना टैरिफ पहुंच रहा है।
दुनिया में बढ़ा चीन का सामान, दूसरे देशों में भी फैक्ट्रियां चीन ने अमेरिका के टैरिफ को चकमा देने के लिए वियतनाम, मेक्सिको, इंडोनेशिया जैसी जगहों पर अपनी कंपनियों की फैक्ट्रियां लगाई हैं। अब चीनी सामान वहीं असेंबल होकर स्थानीय लेबल में अमेरिका और दूसरे देशों में पहुंच रहा है। 2025 में अमेरिका का वियतनाम और मेक्सिको से आयात कई गुना बढ़ा है, जबकि इन सामानों का बड़ा हिस्सा वास्तव में चीन में बना हुआ है।
चीन की नीतियों ने भी दी बड़ी मदद चीन सरकार ने एक्सपोर्ट को मजबूत करने के लिए टैक्स रिबेट बढ़ाया, ब्याज दरें कम रखीं, सस्ते लोन दिए और अपनी मुद्रा रेनमिन्बी को कमजोर रखा। इससे चीनी सामान दुनिया में पहले से भी ज्यादा सस्ता और प्रतिस्पर्धी हो गया।
दुनिया की सप्लाई चेन पर चीन का दबदबा चीन आज दुनिया के 60% लैपटॉप, 82% फ्लैट पैनल डिस्प्ले, 56% लिथियम-आयन बैटरियां, 50% से ज्यादा स्मार्टफोन का सबसे बड़ा निर्माता है। अमेरिकी कंपनियों ने 1980 के दशक में चीन में फैक्ट्रियां लगाईं, और चीन ने उस तकनीक को सीखकर खुद को मैन्युफैक्चरिंग सुपरपावर बना लिया।
बेहद मजबूत इंफ्रास्ट्रक्चर दुनिया के 10 सबसे व्यस्त बंदरगाहों में 7 चीन के हैं। कस्टम क्लियरेंस डिजिटल है और शिपिंग बेहद तेज, वहीं सरकार कारोबारियों को अड़चनें पैदा करने के बजाय समस्याएं हल करती है।