क्या सच में बच्चों से जुड़ा है उल्लू का तांत्रिक खेल,
छतरपुर से निकली हैरान करने वाली मान्यता
1 months ago
Written By: Ashwani Tiwari
MP News: मध्य प्रदेश के छतरपुर जिले में आज भी एक अनोखी और हैरान करने वाली लोक मान्यता जीवित है। यहां माना जाता है कि उल्लू छोटे बच्चों के लिए हानिकारक होता है। ग्रामीण परिवार अपने बच्चों को उल्लू की नजरों से बचाकर रखते हैं। उनका मानना है कि उल्लू बच्चों के कपड़े लेकर चला जाता है और उन्हें पानी में फेंक देता है। इसके बाद जैसे-जैसे कपड़े सड़ते हैं, वैसे-वैसे बच्चे बीमार पड़ने लगते हैं। यही कारण है कि कई माताएं अपने छोटे बच्चों को उल्लू से छुपाकर रखती हैं और उनके कपड़े रात में छत या आंगन में टांगने से बचती हैं।
बुंदेलखंड में पुरानी मान्यता
छतरपुर के रहने वाले गोरे पाल बताते हैं कि बुंदेलखंड में उल्लू को लेकर यह मान्यता आज भी प्रचलित है। ग्रामीण मानते हैं कि अगर घर में उल्लू आ जाए तो महिलाओं को तुरंत अपने बच्चों को छुपा लेना चाहिए। खासकर वे बच्चे जिनका मुंडन नहीं हुआ है या जिनकी उम्र 1 से 2 साल के बीच है। पुरानी पीढ़ियों से यह बात सुनाई जाती रही है और आज भी गांवों में इसका पालन किया जाता है।
तांत्रिक क्रियाओं से जुड़ा विश्वास
पुराने बुजुर्गों का कहना है कि उल्लू का उपयोग कई लोग तांत्रिक क्रियाओं में करते हैं। मान्यता है कि कोई दुश्मन उल्लू की मदद से घर पर मुसीबत डाल सकता है। इसी डर से परिवार अपने बच्चों को इस पक्षी से दूर रखते हैं। ग्रामीणों के अनुसार उल्लू को तांत्रिक गतिविधियों में बुरे कामों के लिए प्रयोग किया जाता है।
बच्चों के कपड़ों को पानी में फेंकने का डर
कमलेश सोनी, जो स्थानीय निवासी हैं, बताते हैं कि सिर्फ बच्चों के कपड़े ही नहीं बल्कि उनकी कोई भी वस्तु उल्लू के सामने नहीं रखी जाती। यह विश्वास है कि उल्लू जो भी चीज उठाकर ले जाता है, उसे तालाब, कुआं या नदी में फेंक देता है। इसीलिए महिलाएं अपने बच्चों की चीजें रात के समय आंगन या छत में रखने से बचती हैं।
आज भी मान्यता पर कायम हैं लोग
भले ही यह विश्वास सुनने में अजीब लगता है, लेकिन गांवों में आज भी लोग इस मान्यता को मानते हैं। पुरानी पीढ़ियों से चली आ रही यह परंपरा लोगों की आदतों और जीवन का हिस्सा बन चुकी है। बच्चे बीमार न पड़ें, इसलिए उन्हें उल्लू की नजर से छुपाकर रखना आज भी ग्रामीण समाज का हिस्सा है।