केंद्र कराएगा जातिगत जनगणना, 2026-27 तक आ सकते हैं अंतिम आंकड़े,
केंद्रीय कैबिनेट की बैठक में हुआ फैसला
2 months ago
Written By: आदित्य कुमार वर्मा
Caste Census India: सियासी गलियारों में लंबे समय से चले आ रहे जातिगत जनगणना के विवाद पर अब ब्रेक लग गया है। यहां बड़ा फैसला लेते हुए केंद्र सरकार ने पूरे देश में जाति आधारित जनगणना कराने का ऐलान किया है। यह निर्णय बुधवार को हुई केंद्रीय कैबिनेट की बैठक में लिया गया। केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने प्रेस ब्रीफिंग में जानकारी दी है। उन्होंने जातिगत गणना को अब मुख्य जनगणना प्रक्रिया में ही शामिल किए जाने का ऐलान किया है।
सितंबर से शुरू हो सकती है प्रक्रिया
मिली जानकारी के मुताबिक यह प्रक्रिया सितंबर माह में शुरू हो सकती है। वहीं, प्रक्रिया के पूरा होने में करीब एक साल का समय लगने की संभावना जताई जा रही है। अनुमान है कि इसके अंतिम आंकड़े 2026 के अंत या 2027 की शुरुआत तक जारी किए जा सकते हैं। हालांकि सरकार ने इसकी आधिकारिक तारीख का ऐलान अभी नहीं किया है। उल्लेखनीय है कि 2021 की जनगणना कोविड-19 महामारी के चलते टाल दी गई थी।
कांग्रेस पर जाति जनगणना के विरोध के आरोप
इस पूरे मामले को लेकर केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने एक प्रेस ब्रीफिंग में इसकी जानकारी दी है। इस दौरान उन्होंने कांग्रेस पर इसका विरोध करने के भी आरोप लगाए हैं। कांग्रेस पर निशाना साधते हुए उन्होंने कहा है कि "1947 के बाद से कभी भी जाति आधारित जनगणना नहीं की गई। कांग्रेस सरकारों ने हमेशा इसका विरोध किया।" उन्होंने बताया कि 2010 में तत्कालीन प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह ने इस मुद्दे पर कैबिनेट में विचार की बात कही थी, और एक मंत्री समूह भी बनाया गया था। बावजूद इसके कांग्रेस सरकार ने इसे लागू नहीं किया।
कांग्रेस ने बनाया राजनीतिक हथियार
मंत्री वैष्णव ने आगे कहा कि “कांग्रेस और उसके सहयोगी दलों ने जाति जनगणना को केवल एक राजनीतिक हथियार के रूप में इस्तेमाल किया।” उन्होंने यह भी कहा कि कुछ राज्यों ने इस सर्वेक्षण को पारदर्शी तरीके से किया, जबकि कई राज्यों ने इसे राजनीतिक फायदे के लिए गैर-पारदर्शी ढंग से लागू किया, जिससे समाज में भ्रम और संदेह पैदा हुआ।
केवल केंद्र को संविधान में जनगणना का अधिकार
वैष्णव ने भारतीय संविधान का हवाला देते हुए आगे कहा कि अनुच्छेद 246 और संघ सूची के 69वें विषय के अनुसार जनगणना का अधिकार केवल केंद्र सरकार को है। इसलिए केंद्र द्वारा कराई गई जातिगत गणना ही वैज्ञानिक, संगठित और निष्पक्ष मानी जाएगी।