कभी 445 दिन का रहा साल, कभी दुनिया चली सिर्फ 10 महीने,
एक ऐसा देश जहां साल में होते हैं 13 महीने, जानिए कैलेंडर की अनसुनी कहानी
5 days ago
Written By: Sushant Pratap Singh
हम रोज़ दीवार पर टंगे कैलेंडर की तारीख़ें पलटते हैं, महीनों का हिसाब रखते हैं और नए साल की शुरुआत का जश्न मनाते हैं। लेकिन क्या आपको पता है कि इस साधारण दिखने वाले कैलेंडर की कहानी बेहद चौंकाने वाली और रहस्यों से भरी हुई है। कभी दुनिया सिर्फ 10 महीनों पर चलती थी, कभी एक साल 445 दिनों का हुआ और आज भी ऐसे देश हैं जहाँ 2025 नहीं बल्कि 2017 चल रहा है।
जब 10 महीने का होता था एक साल
कैलेंडर की शुरुआत प्राचीन रोम से मानी जाती है। उस समय साल में केवल 10 महीने होते थे। मार्च को पहला महीना और दिसंबर को आखिरी माना जाता था। जनवरी और फरवरी को बाद में जोड़ा गया। इसी वजह से आज भी महीनों के नाम में गड़बड़ी दिखती है। जैसे अक्टूबर का मतलब आठ होता है लेकिन यह असल में दसवां महीना है।
जब एक साल में हुए 445 दिन
इतिहास का सबसे लंबा साल 46 ईसा पूर्व में आया जब जूलियस सीज़र ने कैलेंडर में सुधार की कोशिश की। गणना की गड़बड़ी के कारण एक साल 445 दिनों का बना दिया गया। इतिहास इस साल को Year of Confusion के नाम से याद करता है। सोचिए, अगर आज हमारे सामने ऐसा हो जाए तो स्कूल, नौकरी, त्योहार और पूरी जीवनशैली ही बिगड़ जाए।
क्यों बदलती है दिवाली और रमज़ान की तारीख़ ?
त्योहारों की बदलती तारीख़ों का राज भी कैलेंडर में ही छिपा है। आज दुनिया ग्रेगोरियन कैलेंडर पर चलती है जो पूरी तरह सूर्य की चाल पर आधारित है। लेकिन इस्लामी हिजरी कैलेंडर पूरी तरह चाँद के हिसाब से चलता है, इसलिए रमज़ान और ईद हर साल बदलते रहते हैं। हिंदू पंचांग में सूर्य और चाँद दोनों की गति को महत्व दिया जाता है, इसी कारण दिवाली और होली जैसी तिथियाँ हर बार नई तारीख़ पर आती हैं। चीन, यहूदी और थाईलैंड के अपने-अपने कैलेंडर हैं और आज भी कई समाज इन्हें मानते हैं।
एक देश जहां साल में होते हैं 13 महीने
दुनिया का सबसे हैरान कर देने वाला तथ्य यह है कि इथियोपिया में अभी तक 21वीं सदी नहीं आई है। वहाँ का कैलेंडर 13 महीनों का होता है और वे ग्रेगोरियन कैलेंडर से सात से आठ साल पीछे चलते हैं। यानी जब हम 2025 में हैं, इथियोपिया अभी 2017 जी रहा है।
दुनिया का सबसे अनोखा महीना फरवरी
अगर दुनिया का सबसे अनोखा महीना ढूँढना हो तो वह फरवरी है। यह महीना कभी 28 दिन का होता है और कभी 29 दिन का। यही लीप ईयर की गणना का आधार भी है। इतना ही नहीं, हर 823 साल में फरवरी ऐसा भी आता है जिसमें पाँच रविवार, पाँच सोमवार और पाँच मंगलवार होते हैं। यानी यह सबसे छोटा महीना होने के बावजूद सबसे खास और रहस्यमय है।
जब राजाओं के नाम पर रखे गए महीनों के नाम
कैलेंडर के महीनों के नामों में भी राजनीति और ताक़त छुपी है। जुलाई का नाम जूलियस सीज़र के नाम पर रखा गया, अगस्त का नाम रोमन सम्राट ऑगस्टस के नाम पर पड़ा। यानी यह सिर्फ समय गिनने का तरीका नहीं बल्कि सत्ता और गौरव का प्रतीक भी रहा है।
कैलेंडर दरअसल मानव सभ्यता का दर्पण है। यह केवल दिन, महीने और साल गिनने का साधन नहीं बल्कि खगोल विज्ञान, धर्म, संस्कृति और राजनीति की गहरी कहानी है। हर पन्ने में हजारों साल का इतिहास छुपा है। कभी 10 महीने का साल, कभी 445 दिन का साल, कभी 13 महीनों वाला कैलेंडर—यह सब इस बात का सबूत है कि समय गिनना इंसान की सबसे बड़ी खोजों में से एक है।