भारत के 52वें चीफ जस्टिस बने बीआर गवई,
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने दिलाई शपथ, नोटबंदी से चुनावी बॉण्ड तक सुनाए ये बड़े फैसले
1 months ago
Written By: NEWS DESK
52nd CJI Of India: जस्टिस भूषण रामकृष्ण गवई ने मंगलवार को भारत के 52वें मुख्य न्यायाधीश (CJI) के रूप में शपथ ली। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने उन्हें राष्ट्रपति भवन में आयोजित एक भव्य समारोह में शपथ दिलाई। इस दौरान उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृहमंत्री अमित शाह, पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद समेत कई गणमान्य व्यक्ति मौजूद रहे।
वरिष्ठता के आधार पर चुने गए जस्टिस गवई
मौजूदा मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना का कार्यकाल 13 मई को समाप्त हो गया था। उनके बाद सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठतम न्यायाधीश के रूप में जस्टिस गवई का नाम था, जिसे न्यायमूर्ति खन्ना ने आगे बढ़ाया। जस्टिस गवई का कार्यकाल लगभग छह महीने का होगा, जो 23 नवंबर 2025 को उनके सेवानिवृत्त होने तक रहेगा।
पहले बौद्ध, दूसरे दलित मुख्य न्यायाधीश
जस्टिस भूषण गवई भारत के पहले बौद्ध और दूसरे दलित CJI हैं। उनसे पहले वर्ष 2007 में जस्टिस के.जी. बालाकृष्णन ने इस पद को सुशोभित किया था। जस्टिस गवई ने अपने करियर में कई ऐतिहासिक फैसलों में भागीदारी निभाई है, जिनमें 2016 की नोटबंदी को सही ठहराना और चुनावी बॉण्ड योजना को असंवैधानिक घोषित करना शामिल है।
साधारण पृष्ठभूमि से सुप्रीम कोर्ट तक का सफर
जस्टिस गवई का जन्म 24 नवंबर 1960 को महाराष्ट्र के अमरावती में हुआ था। उन्होंने 1985 में अपने कानूनी करियर की शुरुआत की। 1987 में बॉम्बे हाईकोर्ट में स्वतंत्र प्रैक्टिस शुरू की। शुरुआती दिनों में एडवोकेट जनरल और हाईकोर्ट जज रहे स्वर्गीय राजा एस. भोंसले के साथ काम किया। जिसके बाद 1992 से 1993 के बीच वे नागपुर बेंच में सहायक सरकारी वकील और एडिशनल पब्लिक प्रॉसीक्यूटर के रूप में कार्यरत रहे। 14 नवंबर 2003 को उन्हें बॉम्बे हाईकोर्ट का एडिशनल जज बनाया गया, और 12 नवंबर 2005 को वे परमानेंट जज बने। 24 मई 2019 को उन्हें सुप्रीम कोर्ट का जज नियुक्त किया गया था।
मां ने कहा– मेहनत और सेवा का मिला फल
शपथ समारोह के बाद CJI गवई की मां कमलताई ने मीडिया से बात करते हुए कहा, "मैंने हमेशा चाहा कि मेरे बच्चे समाज की सेवा करें। भूषण ने कठिन परिस्थितियों में संघर्ष कर यह मुकाम हासिल किया है। उन्होंने साधारण स्कूल से पढ़ाई की और हमेशा जरूरतमंदों की मदद की है, चाहे वह आर्थिक सहायता हो या इलाज का खर्च।"