बिहार में महिलाओं के लिए बड़ी सौगात,
मुख्यमंत्री महिला रोजगार योजना के तहत पहली किस्त जारी
1 months ago Written By: ANJALI
बिहार की नीतीश सरकार ने राज्य की महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में बड़ा कदम उठाया है। मुख्यमंत्री महिला रोजगार योजना के तहत आवेदन करने वाली महिलाओं के खातों में सोमवार को पहली किस्त की राशि ट्रांसफर की जाएगी। इस मौके पर एक राज्य स्तरीय कार्यक्रम आयोजित होगा, जिसका सीधा प्रसारण भी किया जाएगा।
सरकार ने इस योजना के लिए 5000 करोड़ रुपये की राशि निर्धारित की है। यह रकम डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर (DBT) के जरिए महिलाओं के बैंक खातों में भेजी जाएगी। इस आर्थिक मदद से लाखों महिलाएं अपना स्वरोजगार शुरू कर पाएंगी या पहले से चल रहे व्यवसाय को आगे बढ़ा सकेंगी।
1 करोड़ से ज्यादा महिलाओं ने किया आवेदन
इस योजना का लाभ केवल जीविका से जुड़े स्वयं सहायता समूहों (SHG) की महिलाओं को मिलेगा। अब तक लगभग 1.05 करोड़ जीविका दीदियों ने योजना का लाभ लेने के लिए आवेदन किया है। इसके अलावा 1.40 लाख से अधिक महिलाओं ने जीविका समूह से जुड़ने के लिए आवेदन किया है।
शहरी क्षेत्रों में भी महिलाओं की बड़ी संख्या इस योजना का हिस्सा बन रही है। आंकड़ों के मुताबिक, 4.66 लाख शहरी महिलाएं, जो पहले से जीविका से जुड़ी हैं, उन्होंने आवेदन किया है। वहीं, 4.04 लाख से ज्यादा महिलाएं SHG से जुड़ने के लिए आवेदन कर चुकी हैं।
आवेदन की प्रक्रिया
ग्रामीण क्षेत्र की महिलाएं जो SHG से जुड़ी हैं, वे अपने ग्राम संगठन के माध्यम से आवेदन कर सकती हैं।
ग्राम संगठन बैठक बुलाकर सभी सदस्यों से एक ही फॉर्म में आवेदन लेता है।
जो महिलाएं अभी SHG का हिस्सा नहीं हैं, उन्हें पहले समूह से जुड़ने के लिए आवेदन करना होगा।
शहरी महिलाएं जीविका की आधिकारिक वेबसाइट www.brlps.in पर जाकर ऑनलाइन आवेदन कर सकती हैं। हालांकि, जो महिलाएं पहले से SHG से जुड़ी हैं, उन्हें ऑनलाइन आवेदन करने की जरूरत नहीं है।
उत्सव की तरह होगा आयोजन
ग्रामीण विकास विभाग के सचिव लोकेश कुमार सिंह ने सभी जिलाधिकारियों को निर्देश जारी किए हैं कि इस अवसर को उत्सव की तरह मनाया जाए। राज्य के 38 जिलों में संकुल स्तरीय संघ और ग्राम संगठन स्तर पर कार्यक्रम आयोजित होंगे, ताकि महिलाओं की भागीदारी और उत्साह को बढ़ावा मिल सके।
महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने की पहल
इस योजना का मकसद महिलाओं को आर्थिक रूप से मजबूत करना है, ताकि वे छोटे व्यवसाय, स्वरोजगार या पहले से चल रहे काम को आगे बढ़ा सकें। इससे न केवल परिवार की आय बढ़ेगी, बल्कि गांव और शहर दोनों ही स्तर पर महिलाओं की भूमिका और मजबूत होगी।