अमेरिका की वरिष्ठ अधिकारी एलिसन हूकर का भारत दौरा: 7 से 11 दिसंबर,
नई दिल्ली और बेंगलुरु में मुलाकातें
8 days ago Written By: Aniket Prajapati
अमेरिका की राजनीतिक मामलों की अवर सचिव एलिसन हूकर 7 से 11 दिसंबर तक भारत के दौरे पर रहेंगी। यह दौरा नई दिल्ली और बेंगलुरु में निर्धारित है और इसका मकसद भारत-अमेरिका रणनीतिक साझेदारी को आगे बढ़ाना, आर्थिक व वाणिज्यिक संबंध मजबूत करना और उभरती टेक्नोलॉजीज खासकर आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस व अंतरिक्ष सहयोग में सहयोग बढ़ाना है। नई दिल्ली में हूकर वरिष्ठ भारतीय अधिकारियों से मिलेंगी और इंडो-पैसिफिक क्षेत्र, क्षेत्रीय सुरक्षा व आर्थिक सहयोग पर चर्चा करेंगी। बेंगलुरु में वे ISRO और भारत के तकनीकी व ऊर्जा क्षेत्र के नेताओं से मुलाकात कर शोध व नवाचार में संयुक्त परियोजनाओं के अवसर तलाशेंगी। विदेश सचिव विक्रम मिस्री के साथ फॉरेन ऑफिस कंसल्टेशन भी प्रस्तावित है। अमेरिकी दूतावास ने कहा है कि यह दौरा राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की प्राथमिकताओं के अनुरूप मुक्त और खुले इंडो-पैसिफिक के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है।
क्या है एजेंडा और क्यों है दौरा महत्वपूर्ण
हूकर का फोकस क्षेत्रीय सुरक्षा, वाणिज्यिक रिश्ते और उभरती तकनीकों में सहयोग पर रहेगा। खासकर एआई और अंतरिक्ष क्षेत्र में साझेदारी पर बातचीत से भारत-यूएस के शोध और उद्योग संबंधों को बल मिलेगा। ISRO दौरे का उद्देश्य भी यही है कि दोनों देश मिलकर भविष्य के तकनीकी समाधान विकसित करें।
पुतिन दौरे के बाद पीछे की कड़ियाँ
रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के हालिया भारत दौरे के बाद यह अमेरिकी अवर सचिव का दौरा और भी गंभीर मायने रखता है। पुतिन ने भारत के साथ ऊर्जा सहयोग को लेकर साफ कहा कि रूस भारत का विश्वसनीय ऊर्जा सप्लायर बना रहेगा। वहीं अमेरिका भारत पर रूस से कच्चा तेल आयात बंद करने का दबाव बना रहा है और कुछ मामलों में अतिरिक्त 25% टैरिफ की बात भी है। भारत ने किसी भी बाहरी दबाव में आने से इनकार कर रखा है और अपनी नीति स्वतंत्र रखने का संकेत दिया है। ऐसे में हूकर का दौरा दोनों देशों के बीच चल रही खटास को कम करने और संवाद बनाए रखने की कोशिश भी मानी जा रही है।
आगे क्या उम्मीदें हैं
दौरे के बाद उम्मीद यह है कि आर्थिक और तकनीकी समझौतों की रूपरेखा पर सहमति बनेगी और इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में साझा प्राथमिकताओं पर स्पष्टता आएगी। साथ ही दुविधाओं वाले मुद्दों पर दोनों देशों के बीच राजनयिक संवाद जारी रहेगा ताकि बहुपक्षीय और द्विपक्षीय स्तर पर सहयोग को आगे बढ़ाया जा सके।