रीवा में जन्मा एलियन बेबी, फटी त्वचा, उभरी आंखें देख डॉक्टर भी रह गए दंग,
जानें क्या है मामला
2 days ago
Written By: Ashwani Tiwari
MP News: मध्यप्रदेश के रीवा जिले में एक चौंकाने वाली घटना सामने आई है, जिसने पूरे इलाके में सनसनी फैला दी है। चाकघाट तहसील के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में एक महिला ने ऐसे नवजात शिशु को जन्म दिया, जिसकी शक्ल-सूरत सामान्य बच्चों जैसी नहीं है। बच्चे की त्वचा फटी हुई है, चेहरा विकृत है और शरीर पर गहरी दरारें हैं। डॉक्टरों के मुताबिक, नवजात की हालत गंभीर बनी हुई है और उसे बेहतर इलाज के लिए रीवा के संजय गांधी मेमोरियल अस्पताल के ICU में भर्ती कराया गया है। बच्चे की इस हालत को देख अस्पताल के स्टाफ से लेकर परिजन तक हैरान रह गए।
समय से दो माह पहले हुआ प्रसव
ढकरा सोंनौरी गांव निवासी शांति देवी पटेल की बहू प्रियंका पटेल को मंगलवार देर रात प्रसव पीड़ा हुई, जिसके बाद उसे चाकघाट अस्पताल में भर्ती कराया गया। बुधवार सुबह सात बजे उसकी नॉर्मल डिलीवरी हुई, लेकिन बच्चा सामान्य नहीं था। शांति देवी ने बताया कि बहू की समय-समय पर जांच कराई गई थी, और डॉक्टरों ने हर बार बच्चे को पूरी तरह स्वस्थ बताया था। यहां तक कि दो बार अल्ट्रासाउंड भी हुआ था जिसमें कोई समस्या नहीं दिखाई दी। मंगलवार को भी जांच हुई थी जिसमें डॉक्टरों ने कहा था कि बच्चा दो महीने बाद स्वस्थ रूप से जन्म लेगा, लेकिन उसी रात डिलीवरी हो गई और बच्चा गंभीर अवस्था में पैदा हुआ।
डॉक्टरों ने जताई दुर्लभ बीमारी हर्लीक्विन इचथियोसिस की आशंका
रीवा के संजय गांधी मेमोरियल अस्पताल में इलाज कर रहे पीडियाट्रिक विभाग के डॉ. नवीन मिश्रा के अनुसार, बच्चे को एक अत्यंत दुर्लभ अनुवांशिक बीमारी ‘हर्लीक्विन इचथियोसिस’ हो सकती है। यह बीमारी तब होती है जब माता-पिता दोनों ही इसके वाहक होते हैं। इसमें गर्भ में ही बच्चे की त्वचा मोटी होकर फटने लगती है। चेहरा पूरी तरह बिगड़ जाता है, आंखों की पुतलियां बाहर आ जाती हैं और बच्चा सांस लेने में भी असमर्थ हो सकता है। डॉक्टरों ने बताया कि इस बीमारी में नवजात के बचने की संभावना बहुत कम होती है, लेकिन फिलहाल इलाज जारी है।
कोलोडियन बेबी की तरह दिख रहा नवजात, सांस लेने में हो रही दिक्कत
अस्पताल सूत्रों के अनुसार, नवजात को सांस लेने में परेशानी हो रही थी, इसलिए उसे ऑक्सीजन सपोर्ट पर रखा गया है। डॉक्टर्स का कहना है कि बच्चे की त्वचा बेहद सूखी और पतली है, जिससे उसमें गहरी दरारें पड़ गई हैं। इस स्थिति को ‘कोलोडियन बेबी’ भी कहा जाता है। विशेषज्ञों का कहना है कि यह बीमारी साल में एक-दो ही बार सामने आती है, लेकिन अगर समय रहते इलाज मिले तो स्थिति में सुधार संभव है।
निगरानी में है पूरा मामला इलाज जारी
फिलहाल, बच्चे की हालत गंभीर बनी हुई है और डॉक्टरों की विशेष टीम उसकी लगातार निगरानी कर रही है। अस्पताल प्रशासन ने बताया है कि बीमारी दुर्लभ जरूर है लेकिन इसका इलाज संभव है। पूरे गांव और परिवार में इस घटना से चिंता और चर्चा का माहौल है। परिजन अब बच्चे के जल्द स्वस्थ होने की उम्मीद में अस्पताल के बाहर इंतजार कर रहे हैं।