बिहार चुनाव में अखिलेश यादव का पीडीए दांव,
क्या MY समीकरण होगा और मजबूत
1 months ago
Written By: Ashwani Tiwari
Bihar Chunav: लोकसभा चुनाव 2024 में उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी (सपा) ने अपने ‘पीडीए’ यानी पिछड़ा, दलित और अल्पसंख्यक फॉर्मूले के सहारे बड़ी जीत हासिल की थी। सपा प्रमुख अखिलेश यादव अब इसी रणनीति को बिहार की राजनीति में आजमाने की तैयारी कर रहे हैं। बिहार विधानसभा चुनाव अक्टूबर-नवंबर 2025 में होने हैं। इससे पहले कांग्रेस नेता राहुल गांधी और राजद नेता तेजस्वी यादव ‘वोट अधिकार यात्रा’ के जरिए राज्य में सक्रिय हो चुके हैं। अखिलेश यादव 28 अगस्त को सीतामढ़ी में राहुल गांधी से जुड़ेंगे। राजनीतिक गलियारों में सवाल उठ रहा है कि क्या यह तिकड़ी राहुल, अखिलेश और तेजस्वी एनडीए सरकार को चुनौती दे पाएगी।
यूपी की सफलता, बिहार में नई रणनीति
उत्तर प्रदेश में लोकसभा चुनाव में सपा ने पीडीए फॉर्मूले के दम पर 37 सीटें जीतकर भाजपा को बड़ा झटका दिया था। अब बिहार में मुस्लिम-यादव (एमवाई) समीकरण, जो राजद की ताकत माना जाता है, को और मजबूत करने के लिए अखिलेश इस फॉर्मूले को बूस्टर डोज की तरह इस्तेमाल कर सकते हैं। सोशल मीडिया पर चुनावी जानकार लिख रहे हैं कि यूपी का पीडीए मॉडल बिहार में पिछड़े, दलित और अल्पसंख्यक वोटों को एकजुट कर सकता है। एक यूजर ने कहा, “राहुल गांधी की यात्रा में अखिलेश की एंट्री से एमवाई समीकरण और भी मजबूत होगा।
वोट अधिकार यात्रा और विपक्षी आवाज
वोट अधिकार यात्रा की शुरुआत 17 अगस्त को सासाराम से हुई थी। राहुल गांधी ने जनता से संवाद करते हुए कहा कि मतदाता सूची की सफाई के नाम पर विपक्षी समर्थकों को निशाना बनाया जा रहा है। तेजस्वी यादव ने भी कहा कि लाखों नाम मतदाता सूची से हटाए जा रहे हैं, जिससे विपक्षी वोट प्रभावित हो रहे हैं। यात्रा अब तक रोहतास, औरंगाबाद, गया, नवादा, मुंगेर, भागलपुर और अररिया तक पहुंच चुकी है। राहुल और तेजस्वी दोनों ने पीएम मोदी और एनडीए सरकार पर रोजगार, शिक्षा और स्वास्थ्य जैसे मुद्दों की अनदेखी का आरोप लगाया।
नीतीश सरकार पर दबाव
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह तिकड़ी नीतीश कुमार के लिए मुश्किलें खड़ी कर सकती है, खासकर सीमांचल क्षेत्र में जहां मुस्लिम वोट निर्णायक हैं। सोशल मीडिया पर भी चर्चा है कि राहुल-तेजस्वी की इस सक्रियता से ओवैसी पर भरोसा करने वाले मतदाता इंडिया गठबंधन की ओर झुक सकते हैं। हालांकि, कुछ लोग यह सवाल भी उठा रहे हैं कि क्या यह उत्साह वोटों में बदल पाएगा या नहीं।
इंडिया गठबंधन की एकजुटता
यह यात्रा केवल चुनावी रणनीति ही नहीं बल्कि इंडिया गठबंधन की एकजुटता का प्रतीक भी बन रही है। अखिलेश यादव की सक्रियता से सपा बिहार में अपनी पैठ बनाने की कोशिश कर रही है। सोशल मीडिया पर कई यूजर्स ने लिखा कि 2 लाख से ज्यादा लोग यात्रा में शामिल हो चुके हैं, जिससे कांग्रेस और राजद को मजबूती मिल रही है।” कुल मिलाकर, पीडीए का बूस्टर बिहार में एमवाई समीकरण को नई ताकत दे सकता है, लेकिन असली परीक्षा विधानसभा चुनाव में होगी।