जहां PMO कार्यालय और सभी महत्पूर्ण मंत्रालयों के दफ्तर…
इतिहास बन जाएंगी ये महत्वपूर्ण इमारतें
1 months ago
Written By: आदित्य कुमार वर्मा
भारत में सत्ता के प्रतीक माने जाने वाले नॉर्थ ब्लॉक और साउथ ब्लॉक अब जल्द ही अपनी ऐतिहासिक भूमिका से बाहर हो जाएंगे। प्रधानमंत्री कार्यालय (PMO) समेत कई महत्वपूर्ण मंत्रालयों के दफ्तर इन प्रतिष्ठित इमारतों से हटाकर नई जगह शिफ्ट किए जा रहे हैं। छह अगस्त को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कर्तव्य पथ पर बने कर्तव्य भवन-3 का उद्घाटन किया था, जिसके साथ ही केंद्र सरकार के मंत्रालयों और विभागों की शिफ्टिंग प्रक्रिया औपचारिक रूप से शुरू हो चुकी है। जिसके बाद ये दोनों ब्लाक इतिहास बन जाएंगे।
सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट का अहम हिस्सा हैं कर्तव्य भवन
नई दिल्ली में चल रही सेंट्रल विस्टा परियोजना के तहत बनाए जा रहे कर्तव्य भवनों में केंद्र सरकार के मंत्रालयों और विभागों के दफ्तरों को एक जगह लाया जा रहा है। अभी तक ये दफ्तर शास्त्री भवन, कृषि भवन, निर्माण भवन और उद्योग भवन जैसी पुरानी इमारतों में फैले हुए थे। कर्तव्य भवन-3, कॉमन सेंट्रल सेक्रेटेरियेट (CSS) की दस इमारतों में से पहली इमारत है, जिसका उद्घाटन प्रधानमंत्री ने किया। शहरी विकास मंत्री मनोहर लाल खट्टर के मुताबिक, सितंबर तक कर्तव्य भवन-1 और कर्तव्य भवन-2 भी बनकर तैयार हो जाएंगे, जबकि बाकी सात भवन 2027 तक पूरे हो जाएंगे।
नॉर्थ ब्लॉक और साउथ ब्लॉक से हटेंगे पॉवर सेंटर
जिन दो ऐतिहासिक इमारतों से दफ्तर शिफ्ट होने वाले हैं, वे दशकों से भारत की सत्ता के केंद्र के रूप में जानी जाती हैं। रायसीना हिल्स पर राष्ट्रपति भवन के पास स्थित साउथ ब्लॉक में प्रधानमंत्री कार्यालय, रक्षा मंत्रालय और विदेश मंत्रालय के दफ्तर हैं। वहीं, नॉर्थ ब्लॉक में गृह मंत्रालय और वित्त मंत्रालय संचालित होते हैं। इन दोनों इमारतों का निर्माण वर्ष 1931 में हुआ था और तब से यह सरकार के प्रमुख प्रशासनिक केंद्र रहे हैं। औपनिवेशिक दौर से लेकर अब तक ये इमारतें सत्ता, नीतिगत फैसलों और देश के ऐतिहासिक बदलावों की गवाह रही हैं।
ऐतिहासिक घटनाओं की गवाह रही हैं ये इमारतें
साउथ ब्लॉक में 1971 की जंग के दौरान एक विशेष वॉर रूम बनाया गया था, जहां युद्ध की रणनीति तैयार की जाती थी। तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने यहीं पर फील्ड मार्शल सैम मानेकशॉ और अन्य सैन्य अधिकारियों के साथ कई महत्वपूर्ण बैठकें की थीं। हाल ही में ऑपरेशन सिंदूर के दौरान भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने साउथ ब्लॉक के दफ्तर में शीर्ष अधिकारियों के साथ अहम बैठकें की थीं। आजादी के समय भी ये इमारतें इतिहास का अभिन्न हिस्सा रहीं। पंडित जवाहरलाल नेहरू साउथ ब्लॉक में रात-दिन कर्मचारियों के साथ काम करके आजादी और विभाजन की प्रक्रिया को अंतिम रूप दे रहे थे। वहीं, नॉर्थ ब्लॉक में गृहमंत्री सरदार वल्लभभाई पटेल देश की 562 रियासतों के भारतीय संघ में एकीकरण को सुनिश्चित करने में जुटे थे।
आर्किटेक्चर की बेमिसाल विरासत
इन इमारतों को प्रसिद्ध आर्किटेक्ट एडवर्ड लुटियन्स और हर्बर्ट बेकर ने डिजाइन किया था। निर्माण कार्य 1929 में पूरा हुआ था। निर्माण में धौलपुर के लाल बलुए पत्थरों का इस्तेमाल हुआ, जिन्हें संसद भवन तक पहुंचाने के लिए निजामुद्दीन स्टेशन से अस्थायी रेल लाइन बिछाई गई थी। नॉर्थ ब्लॉक और साउथ ब्लॉक चार मंजिला इमारतें हैं, जिनमें करीब एक हजार कमरे हैं। इनकी डिजाइन में प्राचीन भारतीय तत्वों, मुगल वास्तुकला और यूरोपीय कला का अनूठा संगम है। लाल रंग के आधार पर बलुए रंग की दीवारें और गुंबद इन्हें भव्य रूप देते हैं।
विवाद और सवाल
वरिष्ठ पत्रकार अरविंद कुमार सिंह, जिन्होंने लंबे समय तक इन मंत्रालयों को कवर किया है, उन्होंने सरकार के इस फैसले पर सवाल उठाया हैं। उनका कहना है कि, ये इमारतें बेहद मजबूत हैं और कम से कम पांच सौ साल तक कमजोर नहीं होने वाली थीं। उनके मुताबिक, न तो इन इमारतों का किराया है, न कोई सुरक्षा समस्या और न ही आग जैसी घटनाएं। आधुनिक समय में इनका आधुनिकीकरण भी हो चुका है, एसी और सुरक्षा सुविधाओं की कोई कमी नहीं। ऐसे में नई इमारतों का निर्माण करदाताओं के पैसों की बर्बादी माना जा रहा है।
कर्मचारियों की असंतुष्टि
केंद्रीय सचिवालय सेवा (CCS) फोरम ने भी नई इमारतों की डिजाइन पर असहमति जताई है। फोरम के महासचिव यतेंद्र चंदेल ने प्रधानमंत्री को पत्र लिखकर कहा कि कर्तव्य भवन-3 में ऑफिस की बनावट ऐसी है कि कर्मचारियों की गोपनीयता और कार्यकुशलता पर असर पड़ रहा है। इसके अलावा, अधिकारियों को दिए गए कार्यस्थल कम हैं और नियमों के खिलाफ हैं।
पुरानी इमारतों में बनेगा भव्य संग्रहालय
सरकार की योजना है कि मंत्रालयों की शिफ्टिंग के बाद नॉर्थ ब्लॉक और साउथ ब्लॉक को “युगे युगीन भारत” नामक विशेष परियोजना के तहत एक भव्य संग्रहालय में तब्दील किया जाएगा। यहां 5,000 साल की भारतीय सभ्यता, संस्कृति और इतिहास को आधुनिक तकनीक के जरिए प्रस्तुत किया जाएगा।