इस बार नक्शे से ही मिट जाएगा पाक…
थल सेना अध्यक्ष जनरल द्विवेदी ने दी पाकिस्तान को चेतावनी
25 days ago Written By: आदित्य कुमार वर्मा
राजस्थान के श्री गंगानगर जिले के घडसाना के गांव 22 एमडी में भारतीय थल सेनाध्यक्ष जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने शुक्रवार को सीमावर्ती क्षेत्रों का दौरा किया। इस दौरान उन्होंने आर्मी और बीएसएफ के अधिकारियों से मुलाकात कर आतंकवाद और सीमा सुरक्षा से जुड़ी तैयारियों का जायजा लिया। जनरल द्विवेदी ने सीमा पर तैनात जवानों का हौसला बढ़ाया और सुरक्षा व्यवस्था की समीक्षा की।
पाकिस्तान को सख्त संदेश भरत के थल सेना अध्यक्ष जनरल द्विवेदी ने सार्वजनिक बोलते हुए स्पष्ट कहा कि अगर पाकिस्तान राज्य-प्रायोजित आतंकवाद को समर्थन देना बंद नहीं करता तो उसके निहितार्थ गंभीर होंगे और इस बार वो नक्शे से भी मिट सकता है। उन्होंने यह भी कहा कि इस बार भारतीय सेना पहले जैसा ही संयम नहीं दिखाएगी और आवश्यक कार्रवाई के लिए पूरी तरह तैयार है। उनके शब्दों में यह चेतावनी संयम के साथ लेकिन दृढ़ता से दी गई।
ऑपरेशन सिंदूर 1.0 की उपलब्धियों का हवाला सेना प्रमुख ने बताया कि पूर्व में चलाए गए ऑपरेशन सिंदूर 1.0 के दौरान भारतीय सैनिकों ने पाकिस्तान के नौ आतंकी ठिकानों को नष्ट किया था और ऑपरेशन में करीब 100 पाकिस्तानी सैनिक तथा कई आतंकवादी ढेर किए गए थे। उन्होंने कहा कि इस सफलता का श्रेय सीमा पर तैनात जवानों और स्थानीय लोगों के सहयोग को जाता है। उन्होंने यह भी उल्लेख किया कि इस ऑपरेशन का नाम प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रखा था और इसे महिलाओं को समर्पित किया गया था।
आगे की तैयारियाँ और संभावित दूसरा चरण अनुपगढ़ में एक सेना चौकी का दौरा करते हुए जनरल द्विवेदी ने दोहराया कि अगर सीमापार से आतंकवाद की फण्डामेंटल सपोर्ट जारी रही तो 'ऑपरेशन सिंदूर' का दूसरा चरण जल्दी शुरू किया जा सकता है। उन्होंने सैनिकों से कहा कि वे पूरी सतर्कता और तैयारियों के साथ रहें, और जब मौका मिलेगा तो वे निर्णायक कार्रवाई करने के लिए तैयार होंगे। उनके भाषण में स्पष्ट आश्वासन और आगे की कार्रवाई का संकेत दोनों मौजूद थे।
वीर सैनिकों का सम्मान और मोरल बूस्ट इस दौरे के दौरान ऑपरेशन सिंदूर 1.0 में उत्कृष्ट प्रदर्शन दिखाने वाले तीन अधिकारियों को विशेष सम्मानित भी किया गया। बीएसएफ की 140वीं बटालियन के कमांडेंट प्रभाकर सिंह, राजपूताना राइफल्स के मेजर रितेश कुमार और हवलदार मोहित गैरा को उनके योगदान के लिए तैनात अधिकारियों और स्थानीय कमांड से सम्मान मिला। जनरल द्विवेदी ने कहा कि सैनिकों के पराक्रम को हमेशा याद रखा जाएगा और उनके समर्पण से ही सीमाओं की रक्षा संभव हुई है।
स्थानीय सुरक्षा, कूटनीति और आगे की चुनौतियाँ जनरल द्विवेदी के बयान ऐसे समय में आए हैं जब सीमा पर तनाव और आतंकवाद से जुड़े खतरों को लेकर चौकसी बनी हुई है। उनके शब्दों ने सेना की निर्णायक अप्रोच और सीमा पर कठोरता की संभावित मंशा दोनों को रेखांकित किया है। विशेषज्ञों के अनुसार सैन्य कार्रवाई के साथ-साथ कूटनीतिक, खुफिया और स्थानीय सुरक्षा तंत्रों का समन्वय भी निर्णायक होगा ताकि सीमा पर स्थिरता और नागरिक सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके।