हायर जुडिशरी में महिला जजों की भारी कमी,
कई हाईकोर्ट में नहीं हैं एक भी महिला न्यायधीश
1 months ago
Written By: आदित्य कुमार वर्मा
सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन (SCBA) ने देश की उच्च न्यायपालिका में महिला जजों के बेहद कम प्रतिनिधित्व पर गहरी चिंता जताई है। एसोसिएशन ने शनिवार को इस मुद्दे पर एक महत्वपूर्ण प्रस्ताव पारित करते हुए देश के मुख्य न्यायाधीश (CJI) बी.आर. गवई और सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम से इस दिशा में तुरंत कदम उठाने की अपील की है। बार का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट हो या देश के विभिन्न हाई कोर्ट, महिला जजों को पर्याप्त प्रतिनिधित्व नहीं मिल पा रहा है, जो न्यायिक व्यवस्था में लैंगिक संतुलन की कमी को दर्शाता है।
महिला जजों को पदोन्नति देने की मांग
जानकारी एक मुताबिक, सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन द्वारा पारित प्रस्ताव में कहा गया है, "भारत के मुख्य न्यायाधीश और सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम से अनुरोध है कि आने वाली न्यायिक नियुक्तियों में सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट दोनों स्तरों पर महिला जजों की पदोन्नति पर तत्काल और उचित तरीके से विचार किया जाए।" एससीबीए ने यह भी जोर दिया कि न्यायपालिका के सर्वोच्च संस्थानों में महिलाओं की भागीदारी बढ़ाना न्याय की निष्पक्षता और संतुलन के लिए बेहद आवश्यक है।
कई हाई कोर्ट में एक भी महिला जज नहीं
बार के अनुसार, देश के कई उच्च न्यायालयों में महिला जजों की स्थिति बेहद चिंताजनक है। यहां उत्तराखंड, त्रिपुरा, मेघालय और मणिपुर के हाई कोर्ट में एक भी महिला जज नहीं है। वहीं देशभर के हाई कोर्ट में लगभग 1,100 स्वीकृत पद हैं, जिनमें 670 पर पुरुष जज कार्यरत हैं, जबकि महिला जजों की संख्या सिर्फ 103 है। बाकी शेष पद अब भी खाली पड़े हुए हैं। यह स्थिति बताती है कि देश की न्यायिक व्यवस्था में लैंगिक संतुलन अभी भी काफी पीछे है।
2021 से नहीं हुई कोई महिला जज की नियुक्ति
एससीबीए ने सुप्रीम कोर्ट की नियुक्तियों पर भी गहरी निराशा जताई है। एसोसिएशन ने कहा कि साल 2021 के बाद से सुप्रीम कोर्ट में एक भी महिला जज की नियुक्ति नहीं की गई है। वर्तमान में सुप्रीम कोर्ट की बेंच में केवल एक महिला जज ही सेवा दे रही हैं। बार का कहना है कि बार और बेंच दोनों से योग्य महिला उम्मीदवार मौजूद होने के बावजूद उन्हें सुप्रीम कोर्ट में प्रतिनिधित्व नहीं मिलना न्यायपालिका के लिए चिंता का विषय है।
लैंगिक संतुलन से मजबूत होगी न्यायपालिका
एससीबीए ने अपने प्रस्ताव में कहा,"हमें दृढ़ विश्वास है कि बेंच में अधिक लैंगिक संतुलन न केवल समान प्रतिनिधित्व सुनिश्चित करेगा, बल्कि न्यायपालिका में जनता के भरोसे को मजबूत करेगा, न्यायिक दृष्टिकोण को व्यापक बनाएगा और सर्वोच्च न्यायालय में समाज की विविधता का सही प्रतिबिंब प्रस्तुत करेगा।" एसोसिएशन का मानना है कि उच्च न्यायपालिका में महिला जजों की संख्या बढ़ाना समय की मांग है और इससे न्यायिक प्रणाली की विश्वसनीयता व पारदर्शिता और अधिक मजबूत होगी।