मृतक को चार साल तक मिली पेंशन…जिन्दा को मृतक दिखाकर कर दी बंद,
पंचायत विभाग का गजब कारनामा
2 days ago
Written By: आदित्य कुमार वर्मा
मध्य प्रदेश के निवाड़ी जिले से एक अजीबोगरीब मामला सामने आया है जिसने प्रशासन की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। यहां एक ओर एक मृत व्यक्ति को चार साल तक लगातार पेंशन मिलती रही, जबकि दूसरी ओर एक जिंदा महिला को मृत घोषित कर उसकी पेंशन बंद कर दी गई। इन दोनों मामलों ने पूरे जिले में हड़कंप मचा दिया है।
मृतक को चार साल तक मिलती रही पेंशन
मिली जानकारी के मुताबिक, निवाड़ी जनपद पंचायत के ग्राम शक्ति भैरव में तुलसा पत्नी डरेले कोरी की मृत्यु 17 मई 2019 को हो गई थी। लेकिन हैरानी की बात यह है कि उनकी मौत के बाद भी चार साल तक उनके खाते में पेंशन आती रही। तत्कालीन ग्राम पंचायत सचिव श्याम सुंदर चौरसिया ने नियमों को ताक पर रखकर मृतक के नाम से पेंशन वितरण जारी रखा। यह मामला तब सामने आया जब जिला पंचायत उपाध्यक्ष गयादीन अहिरवार को इस अनियमितता की जानकारी मिली। उन्होंने कलेक्टर से शिकायत करते हुए दोषी कर्मचारियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग की। शिकायत के बाद कलेक्टर लोकेश कुमार ने जिला पंचायत सीईओ को जांच के आदेश दिए और कहा कि जिम्मेदार कर्मचारियों पर सख्त एक्शन लिया जाएगा।
जिंदा महिला को मृत घोषित कर बंद की पेंशन
वहीं, दूसरा मामला निवाड़ी जिला मुख्यालय से महज 12 किलोमीटर दूर स्थित ग्राम पंचायत बरवाहा का है। यहां सचिव अरविंद तिवारी की लापरवाही के चलते शगुन देवी नाम की बुजुर्ग महिला को मृत घोषित कर दिया गया। उनके खाते में आने वाली पेंशन भी बिना किसी जांच के रोक दी गई। इस गलत फैसले का खामियाजा शगुन देवी और उनके बेटे को भुगतना पड़ रहा है। बेटा अपनी मां की पेंशन दोबारा शुरू कराने के लिए कलेक्टर और अन्य अधिकारियों के दफ्तरों के चक्कर काट रहा है। उसने मां को जिंदा साबित करने के लिए शपथ पत्र तक दिया है, लेकिन अब तक पेंशन बहाल नहीं की गई।
दोषियों पर होगी सख्त कार्रवाई
दोनों मामलों के सामने आने के बाद निवाड़ी कलेक्टर लोकेश कुमार जांगिड़ ने स्पष्ट कहा है कि लापरवाह कर्मचारियों को किसी भी हालत में बख्शा नहीं जाएगा। उन्होंने अधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि जांच रिपोर्ट जल्द से जल्द पेश की जाए। दोषी पाए जाने वाले कर्मचारियों के खिलाफ निलंबन से लेकर विभागीय कार्रवाई तक की जाएगी। कलेक्टर का कहना है कि सरकार की योजनाएं जरूरतमंदों तक पहुंचे, यह प्रशासन की जिम्मेदारी है। लेकिन कर्मचारियों की लापरवाही के कारण आम जनता परेशान हो रही है, जो किसी भी हालत में बर्दाश्त नहीं की जाएगी।
जनता में गुस्सा, प्रशासन पर सवाल
इन दोनों मामलों ने निवाड़ी जिले में सरकारी कामकाज की पोल खोल दी है। एक तरफ मृत व्यक्ति को चार साल तक पेंशन मिलना सरकारी तंत्र की निगरानी पर सवाल खड़े करता है, तो दूसरी तरफ जिंदा महिला को मृत घोषित कर पेंशन बंद कर देना आम जनता के साथ सीधी लापरवाही का उदाहरण है। लोगों का कहना है कि ऐसे मामलों की नियमित मॉनिटरिंग होनी चाहिए ताकि गरीबों और जरूरतमंदों के अधिकारों पर डाका न डाला जा सके। फिलहाल पूरा जिला प्रशासनिक कार्रवाई का इंतजार कर रहा है, लेकिन जनता की नाराजगी लगातार बढ़ रही है।