सेना को पांच साल तक चलने वाले युद्ध के लिये भी तैयार रहना होगा,
तीनों सेनाओं को रक्षा मंत्री ने चेताया..!
1 months ago
Written By: आदित्य कुमार वर्मा
मध्य प्रदेश के महू सैन्य छावनी स्थित आर्मी वॉर कॉलेज में आयोजित तीनों सेनाओं की संयुक्त संगोष्ठी "रण संवाद 2025" के समापन सत्र में बुधवार को रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने देश की सुरक्षा नीति और भविष्य की चुनौतियों पर महत्वपूर्ण बयान दिया। उन्होंने कहा कि अप्रत्याशित भू-राजनीतिक परिस्थितियों को देखते हुए भारतीय सशस्त्र बलों को हर तरह की सुरक्षा चुनौतियों के लिए तैयार रहना होगा, चाहे वह अल्पकालिक संघर्ष हो या पांच साल तक चलने वाला युद्ध।
"किसी की जमीन नहीं चाहिए, लेकिन अपनी की रक्षा करेंगे"
रक्षा मंत्री ने स्पष्ट शब्दों में कहा कि भारत की मंशा किसी की भूमि पर कब्जा करने की नहीं है, लेकिन अपनी क्षेत्रीय अखंडता की रक्षा के लिए देश किसी भी हद तक जाने को तैयार है। उन्होंने कहा, “आज के दौर में युद्ध इतने अचानक और अप्रत्याशित हो गए हैं कि यह अनुमान लगाना कठिन है कि वे कब शुरू होंगे, कितने समय तक चलेंगे और कब समाप्त होंगे। भारतीय सशस्त्र बलों को हर परिस्थिति के लिए तैयार रहना होगा।” राजनाथ सिंह ने जोर देते हुए कहा कि राष्ट्रीय सुरक्षा अब केवल सेना का मामला नहीं रह गया है, बल्कि यह संपूर्ण राष्ट्र के दृष्टिकोण का विषय बन चुका है।
ऑपरेशन सिंदूर बना तकनीक-संचालित युद्ध का उदाहरण
संगोष्ठी के दौरान रक्षा मंत्री ने “ऑपरेशन सिंदूर” की सफलता की सराहना की। उन्होंने कहा कि इस अभियान ने एक बार फिर सिद्ध कर दिया है कि भारत के स्वदेशी मंच, उपकरण और हथियार प्रणाली पूरी तरह सक्षम हैं। राजनाथ सिंह ने कहा, “ऑपरेशन सिंदूर तकनीक-संचालित युद्ध का उत्कृष्ट उदाहरण है। जिस तेजी और बहादुरी से भारतीय सशस्त्र बलों ने कार्रवाई की, वह अभूतपूर्व थी। यह ऐसा अभियान था जिसकी इन आतंकवादियों ने कभी कल्पना भी नहीं की थी।”
आत्मनिर्भरता की ओर मजबूती से बढ़ता भारत
रक्षा मंत्री ने बताया कि ऑपरेशन सिंदूर की उपलब्धियों ने यह भी रेखांकित किया है कि आने वाले समय में आत्मनिर्भरता कितनी महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा कि भारत ने इस दिशा में उल्लेखनीय प्रगति की है, लेकिन अभी लंबा रास्ता तय करना बाकी है।
रण संवाद 2025 : भविष्य की चुनौतियों पर गहन मंथन
दो दिवसीय संगोष्ठी “रण संवाद 2025” का आयोजन “युद्ध कला पर प्रौद्योगिकी का प्रभाव” थीम पर किया गया। इस दौरान तीनों सेनाओं के वरिष्ठ अधिकारियों, सीडीएस जनरल अनिल चौहान, एयर चीफ मार्शल एपी सिंह और नौसेना प्रमुख एडमिरल दिनेश के. त्रिपाठी की मौजूदगी में मौजूदा और भावी चुनौतियों पर गहन विचार-विमर्श हुआ। सेना के अधिकारियों ने स्पष्ट किया कि इस संगोष्ठी की योजना ऑपरेशन सिंदूर से पहले बनाई गई थी। इस दौरान रक्षा क्षेत्र की रणनीतियों पर चर्चा के साथ कुछ संयुक्त सिद्धांत भी जारी किए गए।