बीस से अधिक देशों में भारतीय रुपया देगा आपको महंगा अनुभव,
जी भरकर खर्च करें, नहीं पड़ेगा कम
1 months ago Written By: आदित्य कुमार वर्मा
भारतीय रुपया (INR) एशिया की सबसे स्थिर और मजबूत करेंसी में से एक माना जाता है। भारत की तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था, विदेशी निवेश और वैश्विक व्यापारिक रिश्तों ने रुपए की स्थिति को मजबूती दी है। यही वजह है कि एशिया से लेकर यूरोप और अफ्रीका तक कई देशों में भारतीय रुपया उनकी स्थानीय करेंसी की तुलना में अधिक मूल्यवान दिखता है।
कमजोर करेंसी वाले देशों में रुपए की ताकत भारतीय रुपया सबसे ज्यादा तब मजबूत दिखाई देता है, जब देशों की अर्थव्यवस्था संकट में हो और उनकी स्थानीय करेंसी कमजोर हो। उदाहरण के तौर पर लेबनान में एक रुपया 1006.07 लेबनानी पाउंड के बराबर है। इसी तरह ईरान में 1 रुपये की कीमत 474.12 ईरानी रियाल, वियतनाम में 297.61 वियतनामी डोंग, लाओस में 242.87 लाओ किप और इंडोनेशिया में 187.98 इंडोनेशियाई रुपिया के बराबर है। इन देशों में महंगाई और राजनीतिक अस्थिरता की वजह से रुपए की वैल्यू और भी अधिक दिखाई देती है।
दक्षिण अमेरिका और अफ्रीका में रुपए की धाक भारतीय रुपया सिर्फ एशिया तक ही सीमित नहीं है, बल्कि दक्षिण अमेरिकी और अफ्रीकी देशों में भी मजबूती दिखाता है। पराग्वे में 1 रुपया 79.45 गुआरानी, कोलम्बिया में 43.96 पेसो और नाइजीरिया में 16.72 नायरा के बराबर है। इराक में 14.69 दिनार और अर्जेंटीना में 14.98 पेसो के बराबर रुपए की वैल्यू इसे वैश्विक स्तर पर प्रभावशाली बनाती है।
पड़ोसी देशों में रुपया मजबूत भारत के नजदीकी देशों में भी रुपए की स्थिति दमदार है। जापान में 1 रुपया 1.68 येन, पाकिस्तान में 3.17 पाकिस्तानी रुपए, नेपाल में 1.59 नेपाली रुपए और बांग्लादेश में 1.37 टका के बराबर है। इन आंकड़ों से साफ है कि पड़ोसी देशों की मुद्रा के मुकाबले भारतीय रुपया काफी मजबूत है।
यूरोप में रुपए की स्थिति यूरोप के छोटे देशों और आर्थिक संकट से जूझ रहे देशों में भी भारतीय रुपया तुलनात्मक रूप से मजबूत है। हालांकि यूरो जैसी प्रमुख करेंसी के मुकाबले रुपया कमजोर है, लेकिन छोटे देशों की अर्थव्यवस्था के सामने यह दमदार मुद्रा साबित हो रहा है।
भारतीयों के लिए इसका महत्व भारतीय रुपया मजबूत होने के कारण विदेशी यात्रा, पढ़ाई और व्यापार में फायदा मिलता है। पर्यटकों को वहां अधिक खरीद क्षमता मिलती है और भारतीय व्यापारियों के लिए निर्यात और आर्थिक लाभ आसान हो जाता है। रुपए की स्थिरता और वैश्विक वैल्यू ने इसे निवेशकों और व्यापारियों दोनों के लिए एक भरोसेमंद मुद्रा बना दिया है। भारतीय रुपया सिर्फ एशिया में ही नहीं, बल्कि विश्व के कई हिस्सों में अपनी ताकत दिखाकर भारत की आर्थिक मजबूती का प्रतीक बनता जा रहा है।