फर्जी निकला वायरल कुत्ते टॉमी जायसवाल का आधार कार्ड,
जिला प्रशासन की जांच में हुआ खुलासा
8 days ago
Written By: आदित्य कुमार वर्मा
मध्य प्रदेश के ग्वालियर जिले में वायरल हुए डॉग टॉमी के आधार कार्ड की हकीकत आखिरकार सामने आ गई है। सोशल मीडिया पर जिस आधार कार्ड की तस्वीरें तेजी से वायरल हो रही थीं, वह पूरी तरह से फर्जी पाई गई है। जैसे ही मामला सामने आया, जिला प्रशासन ने जांच शुरू कर दी थी और अब जांच में स्पष्ट हो चुका है कि यह आधार कार्ड किसी शरारती तत्व द्वारा एडिट कर तैयार किया गया था।
फर्जी आधार कार्ड से मची हलचल
ग्वालियर के डबरा तहसील के सिमरिया गांव में एक कुत्ते के आधार कार्ड की तस्वीर वायरल हुई थी। वायरल कार्ड में कुत्ते का नाम “टॉमी जायसवाल” दर्ज था, जबकि पता वार्ड नंबर 1, सिमरिया, ताल डबरा, ग्वालियर, मध्य प्रदेश, पिन कोड 475110 लिखा गया था। आधार कार्ड पर नंबर भी अंकित था – 070001051580, जिससे मामला और भी गंभीर हो गया। जैसे ही तस्वीरें सोशल मीडिया पर वायरल हुईं, जिला प्रशासन में हड़कंप मच गया। लोगों ने इस कार्ड की असलियत पर सवाल उठाने शुरू कर दिए। प्रशासन ने मामले को गंभीरता से लेते हुए जांच शुरू की। कलेक्टर के आदेश पर की गई जांच में यह साफ हो गया कि आधार कार्ड पूरी तरह से नकली है और इसे एडिटिंग करके तैयार किया गया था।
प्रशासन की कार्रवाई और शरारती तत्व की तलाश
आधार कार्ड के फर्जी साबित होने के बाद जिला प्रशासन अब उस शरारती व्यक्ति की तलाश में जुट गया है, जिसने इस तरह की हरकत की। वायरल कार्ड में कुत्ते के पालनकर्ता का नाम “कैलाश जायसवाल” भी दर्ज था। प्रशासन का मानना है कि जानबूझकर इस प्रकार की एडिटिंग कर सोशल मीडिया पर अफवाह फैलाने की कोशिश की गई है। कलेक्टर ने निर्देश दिए हैं कि इस मामले में शामिल शरारती तत्व के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। इसके साथ ही लोगों को भी एडिटेड दस्तावेजों से भ्रमित न होने की सलाह दी गई है।
सोशल मीडिया पर चर्चा और लोगों की प्रतिक्रियाएं
जैसे ही टॉमी के आधार कार्ड की तस्वीरें सामने आईं, सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर यह तेजी से वायरल होने लगी। कार्ड में कुत्ते की जन्म तिथि 25/12/2010 भी दर्ज थी और उस पर लिखा था – “मेरा आधार मेरी पहचान”। आधार कार्ड हूबहू असली जैसा दिख रहा था, जिस वजह से लोग इसे देखकर हैरान रह गए। यूजर्स ने इस कार्ड पर तरह-तरह की प्रतिक्रियाएं दीं। एक यूजर ने लिखा- “टॉमी भैया तो छा गए, गजब है।” दूसरे ने मजाक करते हुए पूछा- “डॉगी के भाई-बहन कहां हैं?” तीसरे ने टिप्पणी की – “ऐसा तो बस एमपी में ही हो सकता है।” वहीं, एक अन्य यूजर ने लिखा- “डॉगी भी सोच रहा होगा कि ऐसा मालिक भगवान सबको दे।” हालांकि, कुछ यूजर्स ने इस मामले पर गंभीर सवाल भी उठाए। उन्होंने पूछा कि यदि इस तरह से एडिटिंग करके आधार कार्ड बनाया जा सकता है, तो क्या कोई भी नकली दस्तावेज तैयार कर सकता है? इसने डेटा सुरक्षा और दस्तावेजों की विश्वसनीयता पर भी सवाल खड़े कर दिए हैं।
प्रशासन के लिए चुनौती और डिजिटल सुरक्षा पर सवाल
इस पूरे मामले ने एक बार फिर डिजिटल सुरक्षा को लेकर चिंताएं बढ़ा दी हैं। सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रही फर्जी सूचनाएं और एडिटेड दस्तावेज प्रशासन के लिए चुनौती बनते जा रहे हैं। ग्वालियर प्रशासन ने साफ कर दिया है कि यह आधार कार्ड फर्जी है और इसे बनाने वाले व्यक्ति की पहचान जल्द ही की जाएगी।