सुप्रीम कोर्ट की कॉमेडियंस को कड़ी फटकार,
youtube चैनलों पर मांफी मांगने के आदेश
1 months ago
Written By: आदित्य कुमार वर्मा
सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को मशहूर स्टैंड-अप कॉमेडियंस समय रैना, विपुन गोयल, बलराज परमहजीत सिंह घई, सोनाली ठाक्कर और निशांत जगदीश तंवर सहित कई अन्य कॉमिक्स को कड़ी फटकार लगाई। अदालत ने कहा कि “जब आप अपने कंटेंट को कमर्शियलाइज कर रहे हैं, तो किसी समुदाय की भावनाओं को ठेस नहीं पहुंचा सकते।” यह मामला क्योर एसएमए फाउंडेशन ऑफ इंडिया की याचिका पर सुनवाई से जुड़ा है, जिसने स्पाइनल मस्क्यूलर एट्रोफी (SMA) से प्रभावित मरीजों और परिवारों की ओर से कॉमेडी शो और वीडियो में दिव्यांगजनों का मजाक उड़ाने पर आपत्ति जताई थी। जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने दोनों को अपने चैनलों पर सार्वजनिक तौर पर मांफी मांगने के आदेश भी दिए हैं।
अदालत में पेश हुए समय रैना और अन्य कॉमिक्स
न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति जॉयमाल्या बागची की बेंच ने सुनवाई के दौरान कहा कि हास्य जीवन का हिस्सा है, लेकिन जब किसी की शारीरिक स्थिति या किसी समुदाय पर मजाक बनाया जाता है, तो यह संवेदनशीलता की सीमा लांघने जैसा है। जस्टिस बागची ने कहा, “भारत एक विविधताओं वाला देश है। यहां अलग-अलग समुदाय हैं और ये लोग आज के समय के इन्फ्लुएंसर्स हैं। जब आप स्पीच को कमर्शियलाइज कर रहे हैं, तो किसी समुदाय का इस्तेमाल कर उनकी भावनाएं आहत नहीं कर सकते।” जस्टिस सूर्यकांत ने भी कहा, “अधिकारों और कर्तव्यों के बीच संतुलन बनाए रखना जरूरी है।”
समय रैना पर अदालत की टिप्पणी
सुनवाई के दौरान अदालत ने समय रैना को उनके माफीनामे पर फटकार लगाई। जस्टिस सूर्यकांत ने कहा, “प्रतिवादी नंबर 6 (समय रैना) खुद को बहुत मासूम दिखाने की कोशिश करते हैं और फिर माफी मांगते हैं।” हालांकि, सभी कॉमिक्स ने कोर्ट में पेश होकर निर्विवाद माफी दी। उनके वकील ने अदालत को बताया कि पिछले आदेश के अनुसार सभी उपस्थित हैं। “आज दिव्यांगों का मजाक, कल महिलाओं या बच्चों का” बेंच ने चेतावनी देते हुए कहा कि यह सिलसिला नहीं चलना चाहिए। जस्टिस सूर्यकांत ने पूछा, “आज का मामला दिव्यांगों पर मजाक का है, कल यह महिलाओं, वरिष्ठ नागरिकों, बच्चों पर भी हो सकता है... इसका अंत कहां होगा?”
जुर्माने के बजाय जागरूकता अभियान का सुझाव
फाउंडेशन की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता अपराजिता सिंह ने सुझाव दिया कि कॉमिक्स पर जुर्माना लगाने के बजाय उन्हें दिव्यांगजनों और दुर्लभ बीमारियों से पीड़ित मरीजों के हित में काम करने के लिए प्रेरित किया जाए। उन्होंने कहा, “इन कॉमिक्स को अपनी लोकप्रियता और प्रभाव का इस्तेमाल इस मुद्दे की जागरूकता बढ़ाने में करना चाहिए। यही सबसे बड़ी माफी होगी।” कॉमिक्स ने अदालत में इस सुझाव पर सहमति जताई।
यूट्यूब पर पोस्ट करनी होगी माफी
अटॉर्नी जनरल आर. वेंकटरमणी ने केंद्र की ओर से बताया कि सरकार कॉमिक्स और इन्फ्लुएंसर्स के लिए दिशानिर्देश तैयार करने में समय लेगी, क्योंकि किसी एक घटना पर त्वरित प्रतिक्रिया के बजाय भविष्य की चुनौतियों को ध्यान में रखते हुए व्यापक नीति बनानी होगी। अदालत ने आदेश में कहा कि कॉमिक्स को अपनी यूट्यूब चैनलों पर सार्वजनिक माफी पोस्ट करनी होगी और यह भी सूचित करना होगा कि वे दिव्यांगजनों के हित में किस तरह का योगदान देंगे।