पाक से आए हिन्दुओं को सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत,
हाई कोर्ट के इस फैसले पर लगी रोक
1 months ago
Written By: आदित्य कुमार वर्मा
राजधानी दिल्ली के मजनू का टीला में रहने वाले पाकिस्तानी हिंदू शरणार्थियों को सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत मिली है। सुप्रीम कोर्ट ने इन शरणार्थियों को इस इलाके से हटाने पर फिलहाल रोक लगा दी है। इसके साथ ही अदालत ने केंद्र सरकार और दिल्ली विकास प्राधिकरण (डीडीए) को नोटिस जारी करते हुए इस मामले में जवाब भी मांगा है।
हाईकोर्ट के फैसले पर लगी रोक
30 मई को दिल्ली हाईकोर्ट ने मजनू का टीला में रह रहे पाकिस्तानी हिंदू शरणार्थियों को हटाने का आदेश दिया था। हाईकोर्ट के इस फैसले को शरणार्थियों ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी। वकील विष्णु शंकर जैन की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के आदेश पर रोक लगा दी। याचिका में एकतरफा अंतरिम राहत देने की मांग की गई थी, जिसे सुप्रीम कोर्ट ने स्वीकार कर लिया।
300 हिंदू परिवारों का मुद्दा
मजनू का टीला इलाके में पिछले कई सालों से पाकिस्तान से आए लगभग 300 हिंदू परिवार रह रहे हैं। ये सभी शरणार्थी भारत में स्थायी नागरिकता की आस लगाए हुए हैं। फिलहाल ये लोग टिन के शेड और टेंट में रहते हैं और अपने बच्चों का पालन-पोषण कर रहे हैं। हालांकि हाईकोर्ट के आदेश के बाद इन परिवारों पर बेदखली की तलवार लटक रही थी, लेकिन सुप्रीम कोर्ट के ताजा आदेश ने उन्हें फिलहाल राहत दी है।
हाईकोर्ट की नाराजगी और केंद्र का पक्ष
दिल्ली हाईकोर्ट में सुनवाई के दौरान शरणार्थियों के पुनर्वास और उनके ट्रांसफर को लेकर बहस हुई थी। गृह मंत्रालय की ओर से कोर्ट को बताया गया था कि शरणार्थियों के पुनर्वास की जिम्मेदारी मंत्रालय की नहीं, बल्कि डीडीए की है। वहीं नागरिकता के सवाल पर मंत्रालय ने कहा था कि ये लोग नागरिकता संशोधन अधिनियम (CAA) 2019 के तहत भारतीय नागरिकता के लिए आवेदन कर सकते हैं। हाईकोर्ट ने इस मामले में विभागों के बीच फाइलें घूमने पर नाराजगी भी जताई थी और कहा था कि इस समस्या का अब तक कोई समाधान नहीं निकाला गया। हालांकि हाईकोर्ट ने साफ किया था कि शरणार्थियों को मजनू का टीला में बने रहने का कोई कानूनी अधिकार नहीं है।
सुप्रीम कोर्ट के आदेश से मिली राहत
अब सुप्रीम कोर्ट के इस आदेश के बाद मजनू का टीला में रह रहे पाकिस्तानी हिंदू शरणार्थियों को फिलहाल बेदखली से राहत मिल गई है। हालांकि, अदालत ने केंद्र सरकार और डीडीए से विस्तृत जवाब मांगा है, जिसके बाद इस मामले की अगली सुनवाई में स्थिति और स्पष्ट हो सकती है।