दिल्ली दंगों में जमानत के लिये सुप्रीम कोर्ट पहुंचे शर्जिल,
हाई कोर्ट के आदेश को दी चुनौती
2 days ago
Written By: आदित्य कुमार वर्मा
फरवरी 2020 में दिल्ली में हुए सांप्रदायिक दंगों की कथित ‘बड़ी साज़िश’ से जुड़े एक अहम मामले में एक्टिविस्ट शर्जील इमाम ने शनिवार को सुप्रीम कोर्ट का रुख किया है। उन्होंने दिल्ली हाई कोर्ट के उस आदेश को चुनौती दी है, जिसमें उन्हें और अन्य आठ आरोपियों को जमानत देने से इंकार कर दिया गया था।
हाई कोर्ट ने की थी टिप्पणी
आपको बताते चलें कि दिल्ली हाई कोर्ट की जस्टिस नवीन चावला और शलिंदर कौर की बेंच ने हाल ही में दिए आदेश में कहा था कि नागरिकों को संविधान के तहत विरोध प्रदर्शन करने, सभा बुलाने और भाषण देने का अधिकार है, जो अनुच्छेद 19(1)(a) के अंतर्गत सुरक्षित है। लेकिन अदालत ने साफ किया कि यह अधिकार पूर्णत: निरंकुश नहीं है और इस पर वाजिब पाबंदियां लागू होती हैं। अदालत ने अपने आदेश में कहा कि, "किसी भी प्रकार की साज़िशनुमा हिंसा, जो नागरिकों द्वारा विरोध प्रदर्शन या प्रदर्शनों की आड़ में की जाती है, कभी भी स्वीकार्य नहीं हो सकती। ऐसी गतिविधियों को राज्य तंत्र द्वारा नियंत्रित और जांचा-परखा जाना चाहिए, क्योंकि यह अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के दायरे में नहीं आतीं।"
लंबी हिरासत और ट्रायल में देरी पर भी राहत नहीं
हाई कोर्ट की बेंच ने यह भी स्पष्ट किया कि केवल ट्रायल में देरी या लंबे समय से जेल में रहने के आधार पर जमानत देना सर्वमान्य नियम नहीं है। अदालत के अनुसार, जमानत देने या न देने का फैसला अदालत की संवैधानिक विवेकाधिकार पर निर्भर करता है, जो प्रत्येक मामले की विशेष परिस्थितियों के आधार पर तय किया जाता है। इसके साथ ही अदालत ने कहा कि जमानत पर विचार करते समय समाज की सुरक्षा, सार्वजनिक हित और पीड़ितों व उनके परिवारों के अधिकारों को भी ध्यान में रखना जरूरी है।
नौ की याचिकाएं हुई थीं खारिज
हाई कोर्ट ने शर्जील इमाम के अलावा उमर खालिद, मो. सलीम खान, शिफा-उर-रहमान, अथर खान, मीरन हैदर, अब्दुल खालिद सैफी और गुलफिशा फातिमा की भी जमानत याचिकाएं खारिज कर दी थीं। अदालत ने अभियोजन पक्ष द्वारा प्रस्तुत इमाम और खालिद की भूमिका से जुड़े आरोपों को हल्के में लेने से इंकार कर दिया। इसके साथ ही अदालत ने उन आरोपियों की जमानत याचिका को समानता के आधार पर भी खारिज कर दिया, जो आसिफ इकबाल तन्हा, देवांगना कलिता और नताशा नरवाल जैसे अन्य सह-आरोपियों को मिली जमानत का हवाला दे रहे थे। अदालत ने स्पष्ट कहा कि हर मामले की परिस्थितियां अलग होती हैं और इस आधार पर समानता का दावा नहीं किया जा सकता। अब शर्जील इमाम ने इस आदेश को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट में अपील दायर की है, जहां इस पर सुनवाई होने की संभावना है।