लोकसभा में अमित शाह के तीन विधेयकों पर हंगामा…
विपक्ष ने कॉपियां फाड़कर फेंकी…
1 months ago
Written By: आदित्य कुमार वर्मा
केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने बुधवार, 20 अगस्त 2025 को लोकसभा में तीन बड़े विधेयक पेश किए, जिन्होंने संसद का माहौल गर्मा दिया। इन विधेयकों में ऐसा प्रावधान किया गया है कि चाहे कोई राज्य का मुख्यमंत्री हो या देश का प्रधानमंत्री, यदि उन पर गंभीर आपराधिक आरोप हैं और वे लगातार 30 दिन तक जेल में रहते हैं, तो उन्हें अपने पद से हटना होगा। सरकार का दावा है कि यह विधेयक राजनीति में नैतिकता और शुचिता को मजबूत करने के लिए लाए गए हैं, लेकिन विपक्ष ने इसे सत्ता के दुरुपयोग की साजिश बताते हुए जमकर विरोध किया।
विधेयक पेश होते ही लोकसभा में हंगामा
जैसे ही अमित शाह ने विधेयक पेश किया, लोकसभा का माहौल गरमा गया। विपक्षी सांसद अपनी सीटों से खड़े हो गए और नारेबाजी शुरू हो गई। कुछ सांसद लोकसभा की वेल में पहुंच गए और सरकार के खिलाफ आवाज बुलंद की। इस दौरान, कई विपक्षी सांसदों ने विधेयक की कॉपियां फाड़ दीं और उनके टुकड़े सीधे गृह मंत्री अमित शाह की ओर उछाले। सदन में माहौल इतना तनावपूर्ण हो गया कि कार्यवाही बार-बार बाधित होती रही।
जेपीसी को भेजने का प्रस्ताव
अमित शाह ने बिल पेश करते समय कहा कि सरकार इसे संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) को भेजने का प्रस्ताव रखती है। शाह का कहना था कि इतने अहम प्रावधानों पर विस्तृत चर्चा जरूरी है, इसलिए जेपीसी इस पर सभी पक्षों से विचार लेगी। लेकिन इसके बावजूद विपक्ष का विरोध शांत नहीं हुआ।
विपक्ष और सत्ता पक्ष आमने-सामने
संविधान के 130वें संशोधन विधेयक पेश होने के दौरान लोकसभा में विपक्ष और सत्ता पक्ष के सांसद आमने-सामने आ गए। टीएमसी, कांग्रेस और सपा के सांसद लगातार नारेबाजी करते रहे। इसी बीच कुछ सांसदों ने गृह मंत्री के माइक तक मोड़ने की कोशिश की, जिसके बाद सत्ता पक्ष के सांसद रवनीत बिट्टू, कमलेश पासवान, किरेन रिजिजू और सतीश गौतम सामने आए और अमित शाह का बचाव किया।
टीएमसी और कांग्रेस की अगुवाई में विरोध
हंगामे की शुरुआत तृणमूल कांग्रेस (TMC) के सांसद कल्याण बनर्जी ने की, जिन्होंने जैसे ही बिल पेश हुआ, जोर-जोर से नारे लगाने शुरू कर दिए। इसके बाद कांग्रेस महासचिव और सांसद केसी वेणुगोपाल ने अपनी सीट से ही बिल की कॉपी फाड़ दी और फेंक दी। देखते ही देखते कांग्रेस के सभी सांसद वेल में आ गए। समाजवादी पार्टी (सपा) के सांसद धर्मेंद्र यादव ने भी कॉपी फाड़ दी और अपनी पार्टी के अन्य सांसदों के साथ सरकार के खिलाफ प्रदर्शन शुरू कर दिया।
अमित शाह का विपक्ष पर पलटवार
विपक्ष के विरोध के बीच अमित शाह ने अपने तेवर स्पष्ट कर दिए। उन्होंने कांग्रेस नेता केसी वेणुगोपाल पर तंज कसते हुए कहा कि,“जब मैं झूठे मामले में जेल गया था, तब मैंने नैतिकता के आधार पर पद से इस्तीफा दे दिया था। अदालत से निर्दोष साबित होने तक मैंने कोई संवैधानिक पद नहीं लिया। लेकिन हम इतने बेशर्म नहीं हैं कि आरोप लगने के बाद भी पद पर जमे रहें।” शाह ने कहा कि इस विधेयक का मकसद राजनीति में ईमानदारी, नैतिकता और शुचिता को बहाल करना है, इसलिए इसे विपक्ष को भी खुले मन से समर्थन देना चाहिए।
जेपीसी को भेजा गया बिल
लगातार हो रहे हंगामे के बीच अमित शाह ने बिल को 21 सदस्यीय संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) को भेजने का प्रस्ताव रखा। ध्वनिमत से प्रस्ताव पारित हो गया। लोकसभा स्पीकर ओम बिड़ला ने कहा कि राजनीति में शुचिता और नैतिकता जरूरी है और ऐसे विधेयक इसी मकसद से लाए जाते हैं। अब यह बिल जेपीसी के पास भेजा गया है, जहां इस पर विस्तृत चर्चा होगी।