कांवड़ यात्रा मार्ग पर अब जरुरी होंगे QR कोड,
सुप्रीम कोर्ट ने सुनाया बड़ा फैसला
3 days ago
Written By: NEWS DESK
कांवड़ यात्रा मार्ग पर भोजनालयों और ढाबों को लेकर उत्तर प्रदेश सरकार के निर्देशों को चुनौती देने वाली याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को अहम टिप्पणी की। शीर्ष अदालत ने इस मामले में किसी भी प्रकार की रोक लगाने से इनकार कर दिया है, लेकिन इतना जरूर स्पष्ट किया कि होटल और ढाबा मालिकों को केवल वैधानिक रूप से जरूरी दस्तावेज, जैसे कि लाइसेंस और रजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट, अपने प्रतिष्ठान पर सार्वजनिक रूप से प्रदर्शित करने होंगे।
क्या था मामला ?
दरअसल याचिकाकर्ताओं, जिनमें शिक्षाविद अपूर्वानंद झा भी शामिल हैं, ने उत्तर प्रदेश सरकार की 25 जून को जारी प्रेस विज्ञप्ति को चुनौती दी थी। इस विज्ञप्ति में कहा गया था कि कांवड़ यात्रा मार्ग पर मौजूद सभी भोजनालयों पर क्यूआर कोड लगाना अनिवार्य होगा, जिससे मालिकों की पहचान स्पष्ट हो सके। याचिका में इसे भेदभावपूर्ण प्रोफाइलिंग बताया गया, जिसका पहले भी सुप्रीम कोर्ट द्वारा संज्ञान लिया जा चुका है।
निजता के अधिकार का उल्लंघन ?
याचिकाकर्ताओं का तर्क था कि इस निर्देश के तहत स्टॉल मालिकों को अपनी धार्मिक और जातिगत पहचान उजागर करनी पड़ रही है, जो उनके निजता के अधिकार का हनन है। उनका कहना था कि यह सिर्फ कांवड़ यात्रा मार्ग तक सीमित नहीं, बल्कि इससे सामाजिक असमानता और भेदभाव को बढ़ावा मिल सकता है।
सुप्रीम कोर्ट का संतुलित रुख
हालांकि, मंगलवार को सुनवाई करते हुए न्यायमूर्ति एम. एम. सुंदरेश और न्यायमूर्ति एन. कोटिश्वर सिंह की पीठ ने कहा कि चूंकि आज कांवड़ यात्रा का अंतिम दिन है और यह प्रक्रिया शीघ्र ही समाप्त होने वाली है, इसलिए इस समय कोर्ट हस्तक्षेप नहीं कर सकता। कोर्ट ने यह स्पष्ट किया कि होटल और ढाबा मालिकों को केवल वैधानिक रूप से अनिवार्य दस्तावेज, जैसे कि लाइसेंस और रजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट, प्रदर्शित करने होंगे। क्यूआर कोड या मालिक की पहचान से जुड़े अन्य मुद्दों पर फिलहाल कोई चर्चा नहीं की गई।
पहले भी लग चुकी है रोक
गौरतलब है कि पिछले वर्ष सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड और मध्य प्रदेश सरकारों द्वारा जारी उस निर्देश पर रोक लगा दी थी, जिसमें कहा गया था कि कांवड़ यात्रा मार्ग पर स्थित सभी ढाबों और स्टॉल्स पर मालिकों और कर्मचारियों के नाम दर्शाए जाएं।