सबसे ज्यादा आत्महत्या करते हैं इन पेशों वाले लोग…
जानकार चौक जाएंगे आप
1 months ago Written By: आदित्य कुमार वर्मा
आत्महत्या आज दुनिया की सबसे गंभीर मानसिक स्वास्थ्य चुनौतियों में से एक मानी जाती है। यह केवल एक व्यक्ति की निजी त्रासदी भर नहीं है, बल्कि समाज के हर तबके को प्रभावित करने वाली समस्या है। हार्वर्ड यूनिवर्सिटी के जाने-माने मनोवैज्ञानिक और प्रोफेसर डॉ. मैथ्यू नॉक ने हाल ही में इस विषय पर कुछ ऐसे तथ्य साझा किए हैं, जिन्होंने मानसिक स्वास्थ्य विशेषज्ञों को गहरी चिंता में डाल दिया है। डॉ. नॉक क्लिनिकल और डेवलपमेंटल रिसर्च लेबोरेटरी के निदेशक भी हैं और लंबे समय से आत्महत्या से जुड़े पैटर्न्स पर शोध कर रहे हैं।
आत्महत्या से जुड़े वैश्विक आंकड़े डॉ. नॉक के अनुसार, अमेरिका में करीब 15 प्रतिशत लोग अपने जीवनकाल में कभी न कभी आत्महत्या के बारे में सोचते हैं। इनमें से लगभग एक-तिहाई लोग आत्महत्या का प्रयास भी करते हैं। सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि आत्महत्या का प्रयास करने वाले हर पांच में से एक व्यक्ति दोबारा कोशिश करता है। हालांकि ज्यादातर लोग बच जाने के बाद तुरंत पछतावा भी जताते हैं। यह आंकड़े इस बात की पुष्टि करते हैं कि आत्महत्या केवल मानसिक स्वास्थ्य की समस्या का परिणाम नहीं है, बल्कि इसमें सामाजिक दबाव, पेशागत तनाव और जीवन की परिस्थितियां भी अहम भूमिका निभाती हैं।
किन पेशों में सबसे ज्यादा खतरा ? शोध से यह बात स्पष्ट हुई है कि आत्महत्या का खतरा उन पेशों में सबसे ज्यादा होता है जहां लोगों को लगातार तनाव, आघात और भारी जिम्मेदारियों के बीच काम करना पड़ता है। साथ ही, जहां खतरनाक साधनों तक उनकी आसान पहुंच रहती है। पुलिस अधिकारी, फर्स्ट रिस्पॉन्डर्स जैसे फायर फाइटर्स और मेडिकल इमरजेंसी कर्मचारी, डॉक्टर और अन्य हेल्थकेयर वर्कर्स, सैनिक और सर्विस मेंबर्स ऐसे पेशे हैं जिनमें आत्महत्या का खतरा सामान्य जनसंख्या की तुलना में कहीं अधिक देखा गया है। इन सभी का दैनिक जीवन खतरनाक परिस्थितियों, आपात स्थितियों और कठिन फैसलों से घिरा होता है, जिसका सीधा असर उनके मानसिक स्वास्थ्य पर पड़ता है।
आत्महत्या के पीछे छिपे कारण डॉ. नॉक ने इस खतरे को तीन मुख्य पहलुओं से समझाने की कोशिश की। पहला कारण है खतरनाक साधनों तक पहुंच। पुलिस और सैनिकों के पास हथियार रहते हैं, जबकि डॉक्टर और नर्सों के पास शक्तिशाली दवाएं होती हैं। यह साधन उनके लिए आत्महत्या को आसान बना देते हैं। दूसरा कारण है काम की प्रकृति और उसका तनाव। अपराध, हिंसा और युद्ध जैसी परिस्थितियों का सामना करने वाले पुलिस और सैनिक हों या गंभीर बीमारियों से जूझ रहे मरीजों के बीच काम करने वाले डॉक्टर और नर्सें, सभी का मानसिक दबाव लगातार बढ़ता रहता है। तीसरा और कम चर्चा में आने वाला कारण है जनसांख्यिकीय दबाव। खासकर महिला अधिकारियों के सामने यह खतरा और अधिक होता है क्योंकि उन्हें पेशेगत जिम्मेदारियों के साथ-साथ सामाजिक और पारिवारिक दबावों का भी सामना करना पड़ता है।
आंकड़े और उदाहरण दरअसल न्यूयॉर्क सिटी पुलिस विभाग का उदाहरण इस खतरे को और स्पष्ट करता है। डॉ. नॉक के अनुसार, एक समय ऐसा आया जब वहां आत्महत्या के मामलों में अचानक तेज़ वृद्धि दर्ज की गई। इसी तरह, हेल्थकेयर वर्कर्स को लेकर कई अध्ययनों में पाया गया कि उनकी आत्महत्या दर आम जनसंख्या की तुलना में कहीं अधिक है। यह स्थिति बताती है कि जब पेशा लगातार मानसिक आघात और जिम्मेदारियों से भरा हो तो आत्महत्या का खतरा और बढ़ जाता है।
आत्महत्या रोकथाम में तकनीक की भूमिका डॉ. नॉक ने यह भी कहा कि आने वाले समय में तकनीक आत्महत्या की रोकथाम में अहम भूमिका निभा सकती है। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और मशीन लर्निंग के जरिए ऐसे पैटर्न्स की पहचान की जा सकती है, जिनसे पता लगाया जा सके कि कौन लोग आत्महत्या के जोखिम में हैं। हालांकि उन्होंने इस बात की भी चेतावनी दी कि केवल एआई पर निर्भर होना खतरनाक हो सकता है क्योंकि यह तकनीक कई बार बड़ी गलतियां कर सकती है। इसलिए विशेषज्ञों का मानना है कि तकनीक को केवल सहयोगी उपकरण की तरह इस्तेमाल करना चाहिए, न कि अंतिम समाधान की तरह।