‘एनएफएस’ टैग पर संसदीय समिति सख्त,
कहा- एससी-एसटी टीचरों को नौकरी व प्रमोशन से वंचित करना अनुचित
1 months ago
Written By: आदित्य कुमार वर्मा
एससी-एसटी कल्याण मामलों की संसदीय समिति ने विश्वविद्यालयों में भर्ती प्रक्रिया को लेकर बड़ा बयान दिया है। समिति ने स्पष्ट कहा है कि एससी और एसटी टीचरों को नौकरी और प्रमोशन देने से इनकार करने के लिए 'उपयुक्त नहीं मिला' (Not Found Suitable-एनएफएस) टैग का इस्तेमाल नहीं होना चाहिए।
दिल्ली यूनिवर्सिटी की नियुक्तियों पर सवाल
यह टिप्पणी समिति ने दिल्ली यूनिवर्सिटी में नियुक्तियों की समीक्षा के दौरान की। समिति की अध्यक्षता बीजेपी सांसद फग्गन सिंह कुलस्ते कर रहे हैं। रिपोर्ट के मुताबिक, दिल्ली यूनिवर्सिटी के एससी-एसटी वेलफेयर एसोसिएशन ने समिति से बातचीत में बताया कि कई आरक्षित पदों को ‘एनएफएस’ के रूप में चिह्नित कर दिया गया है। यही रिपोर्ट संसद के चालू मानसून सत्र में पेश हुई। समिति ने इसे बेहद अनुचित बताते हुए कहा कि इस टैग का इस्तेमाल पात्र, योग्य और सुयोग्य उम्मीदवारों की भावनाओं को ठेस पहुंचाता है। उनका मानना है कि ऐसे उम्मीदवारों को नौकरी और प्रमोशन से वंचित करना अस्वीकार्य है।
राहुल गांधी का भी आरोप
इस मुद्दे पर पहले भी सवाल उठते रहे हैं। विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने हाल ही में आरोप लगाया था कि केंद्रीय विश्वविद्यालयों में एससी-एसटी कोटे की बहुत सारी सीटें खाली पड़ी हैं। उन्होंने कहा था कि सरकार जानबूझकर ‘एनएफएस’ का इस्तेमाल कर रही है और दलित-आदिवासी समुदायों को शिक्षा और नेतृत्व से दूर रखने की साजिश कर रही है। राहुल गांधी ने यहां तक कहा था कि “एनएफएस अब नया मनुवाद है।” बीजेपी ने राहुल गांधी के आरोपों का जोरदार खंडन किया था, लेकिन अब संसदीय समिति की रिपोर्ट ने इस बहस को और गंभीर बना दिया है।
‘चयन करने वाले सख्त नियमों में न फंसें’
समिति ने यह भी कहा कि एससी-एसटी उम्मीदवारों को पूर्ण अवसर और पेशेवर लक्ष्य हासिल करने के लिए सभी तरह की मदद दी जानी चाहिए। रिपोर्ट में साफ कहा गया कि शिक्षा के क्षेत्र में एससी-एसटी वर्ग के पास पर्याप्त योग्य उम्मीदवार हैं। उनके पास बेहतर डिग्रियां और अनुभव मौजूद हैं। ऐसे में चयनकर्ताओं को कठोर नियमों में फंसने की बजाय समझदारी से सही फैसला लेना चाहिए।