अमेरिका-भारत तनाव के बीच चीनी राष्ट्रपति से मिलेंगे PM मोदी,
खास हो सकती है जिनपिंग से ये मुलाक़ात
1 months ago
Written By: आदित्य कुमार वर्मा
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच रविवार को एक महत्वपूर्ण द्विपक्षीय बैठक होने जा रही है। यह मुलाकात शंघाई सहयोग संगठन (SCO) शिखर सम्मेलन के इतर आयोजित की जाएगी, जो 31 अगस्त से 1 सितंबर तक चीन के तियानजिन में होने वाला है। प्रधानमंत्री मोदी चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग के निमंत्रण पर इस सम्मेलन में हिस्सा लेंगे। खास बात यह है कि यह बीते सात वर्षों में प्रधानमंत्री मोदी की पहली चीन यात्रा होगी, जिस पर पूरी दुनिया की नजरें टिकी हैं।
नए समझौतों की उम्मीद
यह बैठक ऐसे समय में हो रही है जब भारत और चीन के बीच सीमा विवाद को लेकर तनाव में नरमी आई है। पूर्वी लद्दाख में देपसांग मैदानी क्षेत्र और डेमचोक क्षेत्र में गश्त के अधिकार को लेकर दोनों देशों ने आपसी सहमति बनाई है। यह समझौता इस बात का संकेत है कि लंबे समय से चले आ रहे विवादित मुद्दों पर सकारात्मक प्रगति हो रही है। पूर्वी लद्दाख में मई 2020 में वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर चीनी घुसपैठ के बाद शुरू हुए सैन्य गतिरोध ने दोनों देशों के रिश्तों में गहरा तनाव पैदा कर दिया था। तब से भारत और चीन लगातार बातचीत के जरिए समाधान निकालने की कोशिश कर रहे हैं।
कूटनीतिक संबंधों में सुधार के प्रयास
पिछले कुछ महीनों में भारत और चीन के बीच राजनयिक संबंधों को पटरी पर लाने के लिए कई अहम कदम उठाए गए हैं। दोनों देशों ने मानसरोवर यात्रा को फिर से शुरू किया है, चीनी पर्यटकों के लिए वीजा जारी किए गए हैं और सीधी उड़ानों को बहाल करने पर भी विचार हो रहा है। ये पहल इस बात का संकेत हैं कि दोनों देश आपसी विश्वास बहाली की दिशा में धीरे-धीरे आगे बढ़ रहे हैं।
अमेरिका से बढ़ते तनाव के बीच मुलाकात का महत्व
यह बैठक ऐसे समय हो रही है जब भारत और अमेरिका के बीच टैरिफ को लेकर तनाव बढ़ा हुआ है। अमेरिका के साथ व्यापारिक विवादों के चलते चीन के साथ रिश्तों में सुधार भारत के लिए रणनीतिक रूप से अहम हो सकता है। ऐसे में मोदी-शी मुलाकात से क्षेत्रीय कूटनीतिक संतुलन पर बड़ा असर पड़ने की संभावना है।
पिछली मुलाकात और हालिया झटके
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और शी जिनपिंग की पिछली मुलाकात 23 अक्टूबर 2024 को रूस के कजान में आयोजित ब्रिक्स शिखर सम्मेलन के दौरान हुई थी। उससे पहले, प्रधानमंत्री मोदी ने 2018 में चीन की यात्रा की थी। हालांकि, रिश्तों में सुधार की कोशिशों के बीच मई 2025 में एक नया झटका तब लगा, जब भारत को ऑपरेशन सिंदूर के दौरान पाकिस्तानी सेना को चीन की सक्रिय सहायता के सबूत मिले। इस घटना ने एक बार फिर दोनों देशों के बीच अविश्वास को बढ़ा दिया था।
तियानजिन बैठक से क्या उम्मीदें ?
तियानजिन में होने वाली इस बैठक से भारत और चीन दोनों को बड़ी उम्मीदें हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि मोदी और शी जिनपिंग के बीच होने वाली यह बातचीत न केवल सीमा विवाद के समाधान की दिशा में अहम मोड़ साबित हो सकती है, बल्कि व्यापार, पर्यटन, वीजा नीति और कूटनीतिक सहयोग जैसे मुद्दों पर भी नए रास्ते खोल सकती है।