अमेरिका के टैरिफ वार के बीच PM मोदी की हाई लेवल बैठक,
अमित शाह, पीयूष गोयल समेत कई दिग्गज मौजूद
1 months ago
Written By: आदित्य कुमार वर्मा
भारत और अमेरिका के बीच बढ़ते टैरिफ विवाद ने दोनों देशों के व्यापारिक संबंधों में नई हलचल पैदा कर दी है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा भारत से आयात होने वाले सामान पर 50% टैरिफ लगाने की घोषणा के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने प्रधानमंत्री कार्यालय (PMO) में एक अहम बैठक बुलाई है। इस हाई-लेवल मीटिंग में गृहमंत्री अमित शाह, वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल, वित्त मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी और वाणिज्य मंत्रालय के शीर्ष अधिकारी शामिल हैं। बैठक का मुख्य एजेंडा अमेरिका के इस फैसले से निपटने की रणनीति तय करना है।
अमेरिका ने जारी किया 50% टैरिफ का नोटिफिकेशन
अमेरिका ने आधिकारिक तौर पर नोटिफिकेशन जारी करते हुए भारत से आने वाले सामान पर 50% आयात शुल्क लगाने का फैसला किया है। इस निर्णय के पीछे अमेरिकी प्रशासन का तर्क है कि भारत दुनिया के उन देशों में शामिल है, जो उच्च टैक्स नीतियों के जरिए अमेरिकी कंपनियों को नुकसान पहुंचाते हैं। वहीं 30 जुलाई को राष्ट्रपति ट्रंप ने भारत पर 25% अतिरिक्त टैरिफ लगाने की भी घोषणा की थी। उनका कहना था कि, “भारत हमारा दोस्त है, लेकिन हमने उनके साथ ज्यादा व्यापार नहीं किया है, क्योंकि उनके टैक्स बहुत ज्यादा हैं। वे दुनिया में सबसे ज्यादा टैक्स लगाने वाले देशों में से एक हैं। इसके अलावा, भारत हमेशा रूस से हथियार और तेल खरीदता है, इसलिए 25% टैरिफ जुर्माने के तौर पर देना होगा।”
भारत की रणनीति और उद्योग जगत की चिंता
भारत सरकार का साफ रुख है कि वह अमेरिकी दबाव में नहीं आएगी। मोदी सरकार का कहना है कि भारत अपनी अर्थव्यवस्था को मजबूत करने और नए व्यापारिक साझेदार खोजने पर ध्यान केंद्रित कर रहा है। वहीं, उद्योग जगत का मानना है कि इस फैसले से भारत के निर्यात पर सीधा असर पड़ेगा। कई भारतीय कंपनियों को भारी नुकसान झेलना पड़ सकता है, क्योंकि अमेरिकी बाजार उनके लिए एक बड़ा गंतव्य रहा है। हालांकि, उद्योग जगत नई रणनीति अपनाने की कोशिश में है और नए बाजार खोजने, सप्लाई चेन को मजबूत करने और व्यापारिक विविधीकरण पर काम कर रहा है।
बढ़ती चुनौती, नई राह की तलाश
अमेरिका के इस फैसले ने भारत के लिए एक बड़ी आर्थिक चुनौती खड़ी कर दी है। लेकिन भारत सरकार का मानना है कि व्यापारिक सहयोग को नए स्तर पर ले जाने के लिए नए अवसर तलाशे जाएंगे। साथ ही, केंद्र सरकार की कोशिश है कि भारतीय उद्योगों को इस संकट से बाहर निकालने के लिए वैकल्पिक बाजार और नए साझेदार देशों के साथ तेजी से समझौते किए जाएं। भारत और अमेरिका के बीच यह टैरिफ विवाद आने वाले दिनों में दोनों देशों के व्यापारिक संबंधों के लिए टर्निंग पॉइंट साबित हो सकता है।