PM मोदी ने नहीं उठाए ट्रंप के चार फोन कॉल्स..!
जर्मन मीडिया ने किया बड़ा दावा
1 months ago
Written By: आदित्य कुमार वर्मा
भारत और अमेरिका के बीच चल रहे टैरिफ विवाद के बीच जर्मन अख़बार फ्रैंकफर्टर अलगेमाइन जितुंग (F.A.Z.) ने एक बड़ा दावा किया है। अख़बार के अनुसार, अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने हाल के हफ्तों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को चार बार फोन किया, लेकिन पीएम मोदी ने इन कॉल्स का जवाब नहीं दिया। हालांकि, इस दावे की आधिकारिक पुष्टि नहीं हो पाई है और भारतीय अधिकारियों की ओर से अभी तक कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है।
जर्मन मीडिया रिपोर्ट का दावा
जर्मन मीडिया वेबसाइट वियोन के मुताबिक, एफ.ए.जेड. की रिपोर्ट में कहा गया है कि अगर जर्मन भाषा की रिपोर्ट का मशीनी अनुवाद सही है, तो ट्रंप के चार बार कॉल करने के बावजूद मोदी ने बातचीत से इनकार कर दिया। रिपोर्ट में इन कॉल्स की सटीक तारीखों का उल्लेख नहीं है, लेकिन यह साफ़ किया गया है कि भारत पर ट्रंप की दबाव की रणनीति काम नहीं कर रही, जबकि अन्य देशों के साथ वह सफल हो रहे हैं।
रूस से तेल आयात पर अमेरिका की नाराज़गी
इस रिपोर्ट में बताया गया है कि ट्रंप प्रशासन भारत के रूस से तेल खरीदने के फैसले से नाराज़ है। ट्रंप का दावा है कि भारत की इस नीति से रूस की "युद्ध मशीन" को वित्तीय मदद मिल रही है, जो यूक्रेन पर हमले को बढ़ावा दे रही है। वहीं भारत का रुख यह है कि वह अपनी ऊर्जा सुरक्षा और आर्थिक हितों के आधार पर फैसले ले रहा है।
टैरिफ़ छूट पर मंडराता संकट
अख़बार के मुताबिक, अगर मौजूदा स्थिति में कोई बदलाव नहीं होता है, तो भारत को अमेरिका को अपने निर्यात पर 50 प्रतिशत तक टैरिफ़ का सामना करना पड़ सकता है। इसमें 25 प्रतिशत टैरिफ़ का कारण व्यापार असंतुलन होगा, जबकि अतिरिक्त 25 प्रतिशत रूस के साथ भारत के तेल व्यापार को लेकर लगाया जा सकता है। ट्रंप के सलाहकार पीटर नवारो ने इस पर कहा है, “मुझे नहीं लगता कि मेरे बॉस भारत को टैरिफ़ राहत का कोई और विस्तार देंगे।”
मीडिया स्टंट से नाराज़ पीएम मोदी
इस रिपोर्ट में यह भी उल्लेख है कि, प्रधानमंत्री मोदी ट्रंप द्वारा मीडिया स्टंट के लिए इस्तेमाल किए जाने को लेकर असहज हैं। हाल ही में वियतनाम के साथ एक समझौते को लेकर ट्रंप ने वास्तविक अनुबंध होने से पहले ही सोशल मीडिया पर व्यापार समझौते की घोषणा कर दी थी। बताया जा रहा है कि पीएम मोदी इसी तरह की स्थिति से बचना चाहते हैं।
इंडो-पैसिफिक रणनीति पर असर
विश्लेषक मार्क फ्रेज़ियर के हवाले से रिपोर्ट में कहा गया है कि अमेरिका की हिंद-प्रशांत गठबंधन की रणनीति इस विवाद से प्रभावित हो सकती है। चीन को नियंत्रित करने की अमेरिकी नीति में भारत की केंद्रीय भूमिका है, लेकिन मौजूदा तनाव इस रणनीति को कमजोर कर सकता है।