ऑनलाइन मनी गेमिंग पर लग सकता है बैन…
संसद में पेश होगा ऑनलाइन गेमिंग प्रमोशन एंड रेगुलेशन बिल…
1 months ago
Written By: आदित्य कुमार वर्मा
केंद्र सरकार ऑनलाइन मनी गेमिंग पर पूरी तरह से रोक लगाने की तैयारी में है। संसद के मौजूदा सत्र में “ऑनलाइन गेमिंग प्रोमोशन एंड रेगुलेशन बिल, 2025” पेश किया जा सकता है। प्रस्तावित कानून के तहत उन सभी ऑनलाइन गेम्स और प्लेटफॉर्म्स पर पूर्ण प्रतिबंध लगाया जाएगा, जिनमें खिलाड़ी पैसा लगाते हैं या दांव लगाकर आर्थिक लाभ की उम्मीद रखते हैं। हालांकि, इस बिल में ई-स्पोर्ट्स को इस प्रतिबंध से बाहर रखा गया है। सरकार का मानना है कि एक समान राष्ट्रीय कानून लागू करने से देशभर में कानूनी उलझन खत्म होगी और लाखों युवाओं को वित्तीय शोषण से बचाया जा सकेगा।
मानसिक स्वास्थ्य पर ऑनलाइन गेमिंग का खतरा
इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (MeitY) की ओर से तैयार बिल के मसौदे में कहा गया है कि ऑनलाइन मनी गेम्स की एडिक्टिव और इमर्सिव प्रकृति, खासतौर पर तब जब इसमें आर्थिक प्रलोभन जुड़ा हो, ने गंभीर मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं को जन्म दिया है। मंत्रालय ने अपने नोट में लिखा है, “क्लीनिकल साक्ष्यों और फील्ड स्टडीज से पता चला है कि ऐसे खेलों में लंबे समय तक शामिल रहने से चिंता, अवसाद, नींद संबंधी विकार और व्यवहारिक समस्याओं में तेजी से इजाफा हुआ है, खासकर बच्चों, किशोरों और युवाओं में।” सरकार का मानना है कि इस प्रवृत्ति पर अंकुश लगाना जरूरी है, ताकि आने वाली पीढ़ी पर इसके नकारात्मक प्रभाव को रोका जा सके।
राज्यों के अलग-अलग नियमों से पैदा हुआ कानूनी भ्रम
भारत में फिलहाल ऑनलाइन गेमिंग पर कोई केंद्रीय कानून मौजूद नहीं है, जिसके चलते राज्यों ने अपनी-अपनी नीतियां बनाई हैं। तमिलनाडु, कर्नाटक और आंध्र प्रदेश जैसे राज्यों ने ऑनलाइन मनी गेमिंग को पूरी तरह प्रतिबंधित कर दिया है, जबकि सिक्किम और नागालैंड में ऑपरेटर्स के लिए पंजीकरण अनिवार्य है। वहीं, तेलंगाना में कुछ खास प्रकार की ऑनलाइन जुए की गतिविधियों पर आंशिक रोक लगाई गई है।
इस असंगठित नियामक ढांचे के चलते गेमिंग कंपनियों ने कानूनी खामियों का फायदा उठाया। कई ऑपरेटर्स एक राज्य से दूसरे राज्य में अपना बेस बदलकर काम करते रहे, जबकि कुछ विदेशी सर्वर का सहारा लेकर भारतीय कानून से बचने की कोशिश करते हैं। प्रस्तावित बिल इस कानूनी शून्य को समाप्त कर देशभर में एकीकृत प्रणाली स्थापित करने का प्रयास करेगा।
आर्थिक अपराधों और सुरक्षा चिंताओं से जुड़ा मुद्दा
केंद्र सरकार का मानना है कि ऑनलाइन मनी गेमिंग सिर्फ एक मनोरंजन का साधन नहीं रह गया है, बल्कि यह अब वित्तीय अपराधों और राष्ट्रीय सुरक्षा से भी जुड़ चुका है। प्रस्तावित कानून में बताया गया है कि ऐसे प्लेटफॉर्म्स के जरिए धोखाधड़ी, मनी लॉन्ड्रिंग, टैक्स चोरी और कुछ मामलों में आतंकी वित्त पोषण तक होने की आशंका है।
हाल ही में प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने ऑनलाइन बेटिंग प्लेटफॉर्म्स और उन्हें बढ़ावा देने वाले सेलेब्रिटीज पर बड़ी कार्रवाई की थी। इस दौरान कई फिल्मी सितारों, क्रिकेटरों, सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर्स और टेक कंपनियों के प्रतिनिधियों से पूछताछ की गई। सरकार का कहना है कि इस क्षेत्र को बिना कड़े नियंत्रण के छोड़ना, देश की वित्तीय और डिजिटल सुरक्षा के लिए खतरा बन सकता है।
खेल कौशल बनाम किस्मत की बहस खत्
प्रस्तावित कानून ने लंबे समय से चली आ रही “गेम्स ऑफ स्किल बनाम गेम्स ऑफ चांस” की बहस को पूरी तरह समाप्त कर दिया है। इकिगाई लॉ के वरिष्ठ एसोसिएट राहिल चटर्जी ने कहा, “नए बिल का दायरा इतना व्यापक है कि इसमें सभी तरह के ऑनलाइन मनी गेम्स आ जाते हैं। चाहे खेल कौशल पर आधारित हो या किस्मत पर, दोनों ही प्रकार के खेलों पर पूर्ण प्रतिबंध होगा।”
2023 में आईटी नियमों में कुछ विशेष ऑनलाइन मनी गेम्स को “अनुमेय” माना गया था, लेकिन इस नए बिल में ऐसा कोई प्रावधान नहीं है। इसका सीधा मतलब है कि अब कोई भी ऑनलाइन गेम जिसमें वास्तविक धन का लेन-देन शामिल होगा, पूरी तरह प्रतिबंधित होगा।
नई अथॉरिटी का गठन और प्रवर्तन व्यवस्था
बिल के तहत केंद्र सरकार एक नई ऑनलाइन गेमिंग अथॉरिटी गठित करेगी या किसी मौजूदा संस्था को इस जिम्मेदारी के लिए नामित करेगी। यह अथॉरिटी ऑनलाइन गेम्स की श्रेणीकरण, पंजीकरण और उपयोगकर्ता शिकायतों के निपटारे का काम करेगी। इसके अलावा, यह गैरकानूनी प्लेटफॉर्म्स को ब्लॉक करने की सिफारिश भी करेगी।
हालांकि, इस अथॉरिटी के पास किसी भी ऑनलाइन मनी गेम को “अनुमेय” घोषित करने की शक्ति नहीं होगी। चूंकि बिल के अनुसार सभी मनी गेम्स प्रतिबंधित हैं, इसलिए “परमिटेड गेम” की अवधारणा पूरी तरह समाप्त हो जाएगी। अथॉरिटी का मुख्य काम केंद्र सरकार की मदद करना होगा, न कि स्वतंत्र रूप से नियामक के रूप में काम करना।
कठोर सजा और विज्ञापन पर भी रोक
प्रस्तावित कानून में सख्त दंड का प्रावधान रखा गया है। जो भी व्यक्ति, प्लेटफॉर्म या कंपनी ऑनलाइन मनी गेम्स की पेशकश करेगी या उन्हें बढ़ावा देगी, उसे तीन साल तक की कैद, ₹1 करोड़ तक का जुर्माना या दोनों की सजा हो सकती है।
बार-बार अपराध करने वालों के लिए और भी कठोर दंड का प्रावधान है। यहां तक कि इन प्लेटफॉर्म्स के विज्ञापन करना भी अब अपराध माना जाएगा, जिसके लिए दो साल की कैद और ₹50 लाख तक का जुर्माना लगाया जा सकता है। साथ ही, वित्तीय संस्थानों को ऐसे लेन-देन की प्रोसेसिंग से रोक दिया जाएगा, जिससे घरेलू और विदेशी दोनों तरह के ऑपरेटर्स की गतिविधियों पर अंकुश लगाया जा सके।
लोकप्रिय गेमिंग प्लेटफॉर्म्स पर संकट
सरकार ने स्पष्ट किया है कि ई-स्पोर्ट्स और सोशल गेमिंग को इस बिल के दायरे से बाहर रखा गया है। यानी BGMI, FIFA Mobile जैसे खेलों के अंतरराष्ट्रीय टूर्नामेंट कानूनी रहेंगे। लेकिन ड्रीम11, रम्मी, कैश-प्राइज क्विज ऐप्स और फैंटेसी स्पोर्ट्स जैसे प्लेटफॉर्म्स पर प्रतिबंध लग सकता है।
यह बिल भारत में ही नहीं, बल्कि भारत के बाहर से संचालित होने वाली सेवाओं पर भी लागू होगा। अधिकारियों को व्यापक शक्तियां दी गई हैं, जिसके तहत वे जांच, तलाशी, जब्ती और गैरकानूनी प्लेटफॉर्म्स को ब्लॉक करने की कार्रवाई कर सकेंगे।
वित्तीय नुकसान और सामाजिक प्रभाव
इलेक्ट्रॉनिक्स और आईटी मंत्रालय के मुताबिक, ऑनलाइन मनी गेमिंग की वजह से बड़ी संख्या में लोग भारी आर्थिक नुकसान झेल चुके हैं। कई मामलों में यह मानसिक दबाव इतना बढ़ गया कि आत्महत्या जैसी घटनाएं भी सामने आईं। मंत्रालय ने कहा, “कई खिलाड़ी जोखिमों और कानूनी प्रावधानों की जानकारी के बिना ही इस चक्रव्यूह में फंस जाते हैं। यह प्रवृत्ति भारतीय सांस्कृतिक मूल्यों को कमजोर करती है और युवाओं में लंबे समय तक नकारात्मक व्यवहारिक बदलाव पैदा करती है।”