अब भारतीय नौसेना की ताकत में होगा इजाफा,
इस अत्याधुनिक तकनीक से कई गुना बढ़ जाएगी समुद्री निगरानी क्षमता
5 days ago
Written By: आदित्य कुमार वर्मा
ऑपरेशन सिंदूर की सफलता के बाद भारतीय नौसेना की ताकत को और अधिक मजबूत बनाने के लिए एक बड़ा कदम उठाया गया है। हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) ने नौसेना के यूटिलिटी हेलीकॉप्टर-मैरिटाइम (UH-M) के लिए नए AESA रडार सिस्टम के विकास के लिए टेंडर जारी कर दिया है। इस अत्याधुनिक तकनीक की मदद से नौसेना की समुद्री निगरानी क्षमता कई गुना बढ़ जाएगी और दुश्मन की हर हरकत पर पैनी नजर रखी जा सकेगी।
नौसेना के हेलीकॉप्टर होंगे और अधिक शक्तिशाली
भारतीय नौसेना समुद्र में निगरानी और ऑपरेशन के लिए यूटिलिटी हेलीकॉप्टर-मैरिटाइम (UH-M) का इस्तेमाल करती है। 5.7 टन वजन वाले ये ट्विन-इंजन हेलीकॉप्टर एडवांस्ड लाइट हेलीकॉप्टर (ALH) पर आधारित हैं और इनका उपयोग समुद्र में निगरानी से लेकर खोज और बचाव अभियान तक हर मिशन में किया जाता है। AESA रडार की स्थापना के बाद इन हेलीकॉप्टरों की ऑपरेशनल क्षमता में भारी बढ़ोतरी होगी और यह नौसेना की शक्ति को एक नए स्तर पर ले जाएगा।
सिर्फ भारतीय सप्लायर्स के लिए जारी हुआ टेंडर
HAL के हैदराबाद स्थित स्ट्रैटेजिक इलेक्ट्रॉनिक्स रिसर्च एंड डिजाइन सेंटर की ओर से यह टेंडर जारी किया गया है। इस प्रोजेक्ट की खास बात यह है कि यह टेंडर केवल भारतीय सप्लायर्स के लिए खोला गया है, ताकि मेक इन इंडिया पहल को बढ़ावा मिले। इस कदम से भारतीय नौसेना को स्वदेशी तकनीक पर आधारित उपकरण मिलेंगे और देश की रक्षा तैयारियों में आत्मनिर्भरता को भी मजबूती मिलेगी।
AESA रडार से बढ़ेगी समुद्री निगरानी क्षमता
नया AESA रडार भारतीय नौसेना के हेलीकॉप्टरों की समुद्री निगरानी क्षमता को अभूतपूर्व रूप से बढ़ा देगा। यह अत्याधुनिक तकनीक दिन हो या रात, हर मौसम में ऑपरेशनल रहेगी। समुद्र में एक साथ कई लक्ष्यों का पता लगाना, उनकी पहचान करना और उन्हें ट्रैक करना AESA रडार की सबसे बड़ी विशेषता होगी। इसके साथ ही यह हेलीकॉप्टरों को चलती नौकाओं की रीयल-टाइम मॉनिटरिंग, मौसम की सटीक जानकारी और खोज एवं बचाव अभियानों में भी मदद करेगा। इसके अलावा, इसमें खास ISAR मोड भी होगा, जो उच्च स्तरीय इमेजिंग क्षमता प्रदान करेगा।
प्रोजेक्ट की चरणबद्ध योजना
HAL ने इस प्रोजेक्ट को अलग-अलग चरणों में पूरा करने की योजना बनाई है। सबसे पहले डिजाइन और डॉक्यूमेंटेशन का काम किया जाएगा। इसके बाद प्रोटोटाइप और टेस्टिंग यूनिट तैयार होंगे। तीसरे चरण में तीन सेट तैयार कर सॉफ्टवेयर और फर्मवेयर का सर्टिफिकेशन किया जाएगा। अंतिम चरण में क्वालिफिकेशन टेस्टिंग पूरी की जाएगी। इस पूरे प्रोजेक्ट के तहत कुल पांच सेट AESA रडार और आवश्यक तकनीकी डॉक्यूमेंटेशन तैयार किया जाएगा।
2027 से शुरू होगा बड़े पैमाने पर उत्पादन
अगर सब कुछ तय समय पर होता है तो 2027 से इस अत्याधुनिक AESA रडार का बड़े पैमाने पर उत्पादन शुरू हो जाएगा। शुरुआती चरण में तीन रडार बनाए जाएंगे, जबकि 2030-31 तक इसका उत्पादन बढ़ाकर हर साल 20 रडार तक पहुंचा दिया जाएगा। इस प्रोजेक्ट के पूरा होने के बाद भारतीय नौसेना के पास समुद्र में अत्याधुनिक निगरानी प्रणाली होगी, जो किसी भी संभावित खतरे से पहले सतर्क कर सकेगी।
समुद्री सुरक्षा में क्रांतिकारी बदलाव
इस प्रोजेक्ट के सफल होने के बाद भारतीय नौसेना की समुद्री सीमाओं की सुरक्षा अभेद्य हो जाएगी। स्वदेशी तकनीक से बने इस AESA रडार सिस्टम के जरिए भारत अपनी नौसैनिक क्षमता में जबरदस्त इजाफा करेगा। यह कदम न केवल दुश्मन की हर चाल पर नजर रखने की क्षमता को मजबूत करेगा, बल्कि देश की रक्षा तैयारियों में मेक इन इंडिया के तहत आत्मनिर्भरता की दिशा में भी ऐतिहासिक बदलाव लाएगा।