न 75 की उम्र में खुद रिटायर होऊंगा न किसी और को कहूंगा,
मोहन भागवत का एक और बड़ा बयान
1 months ago
Written By: आदित्य कुमार वर्मा
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के सौ साल पूरे होने के अवसर पर सरसंघचालक मोहन भागवत ने स्पष्ट कहा कि संघ में रिटायरमेंट जैसी कोई व्यवस्था नहीं है। उन्होंने कहा कि न तो वह 75 साल की उम्र में रिटायर होंगे और न ही किसी स्वयंसेवक से ऐसा करने को कहेंगे। मोहन भागवत संघ के शताब्दी वर्ष पर आयोजित कार्यक्रम के दौरान पत्रकारों से बातचीत कर रहे थे।
मोरोपंत पिंगले का दिया उदाहरण
वहीं पत्रकारों ने जब उनसे राजनेताओं के 75 साल की उम्र के बाद रिटायरमेंट संबंधी उनके पुराने बयान को लेकर सवाल पूछा, तो मोहन भागवत ने स्पष्ट किया कि उनका मतलब गलत समझा गया। उन्होंने बताया कि उन्होंने अपने भाषण में केवल संघ के वरिष्ठ कार्यकर्ता मोरोपंत पिंगले का उदाहरण दिया था। भागवत ने कहा, "मोरोपंत पिंगले बहुत मजाकिया स्वभाव के थे। एक बार ऑल इंडिया कार्यकर्ता सम्मेलन में जब सरकार्यवाह एचवी शेषाद्रि ने उन्हें शॉल भेंट किया और कुछ बोलने के लिए कहा, तब उन्होंने मजाक में कहा था, ‘आपने यह शॉल दिया है, इसका मतलब है कि अब आपकी उम्र हो गई है। आप एक कुर्सी पर बैठिए और देखिए कि क्या हो रहा है।’" मोहन भागवत ने स्पष्ट किया कि उन्होंने कभी यह नहीं कहा कि वह रिटायर होंगे या संघ में किसी को रिटायर होना चाहिए।
“संघ कहेगा तो 80 की उम्र में भी शाखा चलाऊंगा”
मोहन भागवत ने कहा कि संघ में सभी स्वयंसेवक हैं और जो जिम्मेदारी दी जाती है, वह निभाते हैं। उन्होंने कहा, “अगर मैं 80 साल का हो जाऊं और संघ कहे कि जाओ, शाखा चलाओ, तो मैं जाऊंगा। मैं यह नहीं कह सकता कि अब मेरी उम्र हो गई है और रिटायरमेंट बेनिफिट एंजॉय करना चाहता हूं। संघ में कोई रिटायरमेंट बेनिफिट नहीं है।”
“मैं अकेला सरसंघचालक नहीं”
मोहन भागवत ने यह भी कहा कि सरसंघचालक की भूमिका किसी एक व्यक्ति तक सीमित नहीं है। उन्होंने कहा, “क्या आपको लगता है कि मैं ही इकलौता व्यक्ति हूं जो सरसंघचालक बन सकता है? संघ में हर स्वयंसेवक आजीवन संघ के कार्य के लिए तैयार रहता है। हम जीवन में कभी भी रिटायर होने के लिए भी तैयार हैं और 75 साल की उम्र के बाद भी काम करने के लिए भी।”