नेशनल स्पेस डे 2025 : चंद्रयान-3 की सफलता से गगनयान तक...
भारत की नई अंतरिक्ष गाथा
1 months ago
Written By: आदित्य कुमार वर्मा
देशभर में दूसरा नेशनल स्पेस डे बड़े उत्साह के साथ मनाया जा रहा है। यह दिन भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) की ऐतिहासिक उपलब्धि चंद्रयान-3 मिशन के विक्रम लैंडर की सफल सॉफ्ट लैंडिंग और प्रज्ञान रोवर की तैनाती को याद करने के लिए समर्पित है। दरअसल 23 अगस्त 2023 को चंद्रयान-3 के विक्रम लैंडर ने चांद की सतह पर सुरक्षित और सॉफ्ट लैंडिंग की थी। इस ऐतिहासिक उपलब्धि के साथ भारत चांद पर सॉफ्ट लैंडिंग करने वाला चौथा देश और दक्षिणी ध्रुवीय क्षेत्र में उतरने वाला दुनिया का पहला देश बन गया। लैंडिंग के तुरंत बाद प्रज्ञान रोवर को सफलतापूर्वक उतारा गया और लैंडिंग साइट का नाम “शिव शक्ति प्वाइंट” रखा गया। इस गौरवशाली क्षण को सम्मानित करने के लिए भारत सरकार ने हर साल 23 अगस्त को “नेशनल स्पेस डे” के रूप में मनाने की घोषणा की।
ISRO में आयोजित हुआ नेशनल स्पेस मीट
वहीं इस वर्ष के नेशनल स्पेस डे का विशेष आकर्षण इसकी थीम है- “Aryabhatta to Gaganyaan: Ancient Wisdom to Infinite Possibilities”। इस अवसर पर ISRO ने कल नई दिल्ली में नेशनल स्पेस मीट 2.0 का आयोजन किया, जिसमें देशभर के मंत्रालयों, निजी क्षेत्रों, अकादमिक संस्थानों, स्टार्टअप्स और विशेषज्ञों ने हिस्सा लिया। कार्यक्रम में आयोजित 10 विशेष सत्रों में सैकड़ों विशेषज्ञों ने भाग लिया। पिछले चार महीनों में इन विशेषज्ञों ने विभिन्न मंत्रालयों, विभागों, राज्य सरकारों और ISRO के साथ मिलकर सैकड़ों ऐसे उपयोग मामलों (use cases) की पहचान की, जिन्हें तुरंत और भविष्य में लागू किया जा सकता है।
“अंतरिक्ष की सफलता”
कार्यक्रम के समापन सत्र में प्रधानमंत्री कार्यालय के प्रधान सचिव पी.के. मिश्रा ने भारत की अंतरिक्ष यात्रा की सराहना करते हुए कहा कि स्पेस मिशन का मकसद सितारों पर विजय नहीं, बल्कि पृथ्वी पर जीवन को बेहतर बनाना है। उन्होंने बताया कि कृषि, स्वास्थ्य, आपदा प्रबंधन और जलवायु सहनशीलता जैसे क्षेत्रों में स्पेस तकनीक का व्यापक उपयोग भारत को नई ऊंचाइयों पर ले जा रहा है। मिश्रा ने कहा कि स्पेस सेक्टर में सुधार और नई नीतियों ने भारत के लिए अभूतपूर्व अवसरों के द्वार खोले हैं। विशेष रूप से उन्होंने स्टार्टअप्स का उल्लेख करते हुए बताया कि 2014 में जहां केवल 2 स्पेस स्टार्टअप्स थे, वहीं आज इनकी संख्या 350 से अधिक हो गई है।
ISRO की नई उड़ान
इस अवसर पर ISRO चेयरमैन वी. नारायणन ने भी भारत की अंतरिक्ष यात्रा को ऐतिहासिक बताया। उन्होंने 1963 में थुंबा से हुई पहली रॉकेट लॉन्चिंग से लेकर आज तक की उपलब्धियों को याद करते हुए कहा कि आज भारत की अंतरिक्ष नेतृत्व क्षमता को पूरी दुनिया मान्यता दे रही है। नारायणन ने जोर देकर कहा कि क्षमता विस्तार और निजी क्षेत्र की व्यापक भागीदारी, भारत को स्पेस सेक्टर सुधारों के जरिए “विकसित भारत 2047” के लक्ष्य तक पहुंचाने में अहम भूमिका निभाएगी।
युवाओं के लिए नई प्रेरणा
नेशनल स्पेस डे के मौके पर अंतरिक्ष विभाग इस पूरे महीने देशभर में विशेष कार्यक्रमों का आयोजन कर रहा है। इसका उद्देश्य युवाओं में अंतरिक्ष विज्ञान के प्रति रुचि बढ़ाना और उन्हें इसके अनुप्रयोगों से जोड़ना है। फिजिकल रिसर्च लेबोरेटरी (PRL) भी अहमदाबाद, उदयपुर और माउंट आबू स्थित अपने कैंपस में इस महीने विभिन्न आयोजनों के माध्यम से नेशनल स्पेस डे का उत्सव मना रही है।