IRCTC घोटाले में लालू परिवार पर गिरी गाज,
लालू-राबड़ी-तेजस्वी समेत 14 लोगों पर आरोप तय
15 days ago Written By: Ashwani Tiwari
बिहार विधानसभा चुनाव से ठीक पहले लालू प्रसाद यादव और उनके परिवार को बड़ा झटका लगा है। दिल्ली की राउज एवेन्यू कोर्ट ने शनिवार, 13 अक्टूबर को IRCTC घोटाला मामले में आरोप तय कर दिए। इस केस में लालू यादव, राबड़ी देवी, तेजस्वी यादव और प्रेमचंद गुप्ता समेत कुल 14 आरोपी हैं। अदालत ने सभी पर आईपीसी की धारा 420 (धोखाधड़ी), 120बी (आपराधिक साजिश) और भ्रष्टाचार निरोधक कानून की धारा 13(2) व 13(1)(d) के तहत आरोप तय किए हैं। इनमें भ्रष्टाचार निरोधक कानून की धाराएं सिर्फ लालू यादव पर लगाई गई हैं।
लालू परिवार ने खुद को बताया निर्दोष सुनवाई के दौरान अदालत ने लालू यादव से पूछा, क्या आप अपना अपराध मानते हैं इस पर लालू यादव, राबड़ी देवी और तेजस्वी यादव ने साफ इनकार किया। लालू ने कहा कि वे निर्दोष हैं और अदालत में मुकदमे का सामना करेंगे। उनके वकील मनिंदर सिंह ने दलील दी कि यह मामला राजनीतिक रूप से प्रेरित है और इसमें कोई ठोस सबूत नहीं है जो यह साबित करे कि नौकरी के बदले जमीन ली गई थी। अदालत ने सभी आरोपियों के बयानों के बाद ट्रायल आगे बढ़ाने का आदेश दिया।
क्या है IRCTC घोटाला मामला यह मामला 2004 से 2009 के बीच का है जब लालू यादव यूपीए-1 सरकार में रेल मंत्री थे। आरोप है कि उस दौरान रेलवे भर्ती में गड़बड़ी हुई और नौकरी दिलाने के बदले उम्मीदवारों से जमीन ली गई। सीबीआई की FIR में लालू यादव, राबड़ी देवी, उनकी बेटियां मीसा भारती और हेमा यादव के नाम शामिल हैं। इसके अलावा कुछ निजी कंपनियों पर भी आरोप है कि उन्होंने नौकरी के बदले जमीन दी।
कब और कैसे शुरू हुआ ये घोटाला 2005 में रेलवे ने IRCTC के दो होटलों (पुरी और रांची) को लीज पर देने का फैसला किया। रिपोर्टों के मुताबिक, इसी दौरान पटना में सुजाता होटल्स नामक कंपनी ने सगुना मोड़ पर 3 एकड़ जमीन डिलाइट मार्केटिंग नामक कंपनी को बेची। यह कंपनी लालू के करीबी और राज्यसभा सांसद प्रेमचंद गुप्ता की बताई जाती है। बाद में टेंडर की शर्तों में बदलाव कर सुजाता होटल्स को योग्य बना दिया गया और होटल लीज पर दे दिए गए।
लारा कंपनी से जुड़ा विवाद आठ साल बाद डिलाइट मार्केटिंग कंपनी अपने शेयर “लारा प्रोजेक्ट्स” को बेच देती है। ‘लारा’ नाम लालू और राबड़ी के नाम से मिलकर बना है। आरोप है कि तेजस्वी यादव और राबड़ी देवी इस कंपनी के मालिक हैं। इसी कंपनी ने वही जमीन खरीदकर मॉल बनाने की योजना बनाई। बीजेपी नेता सुशील मोदी के अनुसार, इस जमीन की असली कीमत करीब 94 करोड़ रुपये थी, लेकिन इसे कम कीमत में लिया गया।
सीबीआई और ईडी की जांच 2018 में सीबीआई और ईडी ने इस मामले में केस दर्ज किया। ईडी ने मनी लॉन्ड्रिंग का केस दर्ज किया, जबकि सीबीआई ने भ्रष्टाचार और आपराधिक साजिश के तहत मामला चलाया। जांच में सामने आया कि नियुक्तियों के लिए कोई विज्ञापन जारी नहीं किया गया था, फिर भी उम्मीदवारों को रेलवे में नौकरी दी गई। अब कोर्ट में इस पूरे मामले की ट्रायल प्रक्रिया शुरू होगी, जिसमें लालू परिवार समेत सभी आरोपी शामिल होंगे।