मानो अमेरिका ने भारत और रूस दोनों को चीन के हाथों खो दिया,
सोशल मीडिया पर बोले ट्रंप
5 days ago
Written By: आदित्य कुमार वर्मा
अमेरिकी राजनीति में एक बार फिर भारत, रूस और चीन को लेकर विवाद गहराता जा रहा है। पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने शुक्रवार को अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ट्रुथ सोशल पर एक पोस्ट करते हुए दावा किया कि ऐसा लगता है मानो अमेरिका ने भारत और रूस दोनों को चीन के हाथों खो दिया है। उन्होंने साथ ही 2017 में ब्रिक्स समिट के दौरान ली गई एक तस्वीर भी शेयर की, जिसमें चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग, रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी साथ नजर आ रहे हैं। यह ब्रिक्स समिट चीन के शियामेन में आयोजित हुई थी। भारतीय विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने ट्रम्प की इस टिप्पणी पर कोई भी आधिकारिक प्रतिक्रिया देने से इनकार कर दिया है। हालांकि, ट्रम्प के बयान ने भारत-अमेरिका संबंधों और व्यापारिक रणनीति पर नए सवाल खड़े कर दिए हैं।
यूक्रेन युद्ध रोकने के लिए भारत पर टैरिफ लगाने का बचाव
ट्रम्प ने भारत के खिलाफ अपनी नीति का बचाव करते हुए कहा कि उन्होंने रूस-यूक्रेन युद्ध खत्म करने के लिए भारत पर टैरिफ लगाए। 4 सितंबर को ट्रम्प ने अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट में एक अपील दायर की, जिसमें उन्होंने निचली अदालत के उस फैसले को चुनौती दी, जिसमें ट्रम्प के टैरिफ को गैरकानूनी करार दिया गया था। ट्रम्प ने अपनी दलील में कहा कि भारत पर लगाए गए टैरिफ का मकसद रूस से भारत के सस्ते तेल आयात को रोकना था। उनके अनुसार, भारत रूस से सस्ता तेल खरीदकर उसे खुले बाजार में बेच रहा है, जिससे पुतिन को यूक्रेन के खिलाफ युद्ध जारी रखने में मदद मिल रही है। ट्रम्प ने दावा किया कि यह टैरिफ न केवल यूक्रेन युद्ध को खत्म करने में सहायक हो सकते हैं, बल्कि अमेरिका की आर्थिक सुरक्षा के लिए भी बेहद जरूरी हैं।
टैरिफ पर कानूनी लड़ाई: सुप्रीम कोर्ट में ट्रम्प की उम्मीदें
अमेरिका की एक अपील कोर्ट पहले ही ट्रम्प के ज्यादातर टैरिफ को गैरकानूनी घोषित कर चुकी है। अदालत ने कहा था कि ट्रम्प जिस इंटरनेशनल इमरजेंसी इकोनॉमिक पावर्स एक्ट (IEEPA) 1977 का हवाला दे रहे हैं, वह उन्हें इतने बड़े पैमाने पर टैरिफ लगाने का अधिकार नहीं देता। कोर्ट ने अपने फैसले में स्पष्ट किया कि ट्रम्प के पास हर आयात पर असीमित टैरिफ लगाने की शक्ति नहीं है। हालांकि, कोर्ट ने इस फैसले के लागू होने पर अक्टूबर तक रोक लगाई है ताकि ट्रम्प को सुप्रीम कोर्ट में अपील का मौका मिल सके। ट्रम्प का कहना है कि अगर निचली अदालत का फैसला कायम रहा, तो उनकी पिछले पांच महीनों की व्यापारिक वार्ताएं खतरे में पड़ सकती हैं। इसमें यूरोपीय यूनियन, जापान और दक्षिण कोरिया जैसे देशों के साथ हुए समझौते भी शामिल हैं।
“भारत हमें टैरिफ लगाकर मार रहा है” – ट्रम्प
3 सितंबर को दिए गए एक रेडियो इंटरव्यू में ट्रम्प ने भारत पर सीधा हमला बोला। उन्होंने कहा, “भारत हमें ऊंचे टैरिफ लगाकर मार रहा है। चीन और ब्राजील भी ऐसा ही कर रहे हैं। लेकिन मैं दुनिया में टैरिफ को सबसे बेहतर समझता हूं।” ट्रम्प ने दावा किया कि भारत दुनिया में सबसे अधिक टैरिफ लगाने वाला देश रहा है, लेकिन उनके दबाव में भारत ने जीरो टैरिफ का प्रस्ताव दिया है। उन्होंने कहा कि अगर अमेरिका ने भारत पर टैरिफ नहीं लगाए होते, तो भारत कभी ऐसा ऑफर नहीं करता।
50% टैरिफ से भारत-अमेरिका व्यापार में तनाव
ट्रम्प प्रशासन ने हाल ही में भारत पर कुल 50% तक का टैरिफ लगा दिया है। 30 जुलाई को 25% टैरिफ का ऐलान किया गया था, जो 7 अगस्त से लागू हुआ। इसके एक दिन पहले, 6 अगस्त को, ट्रम्प ने रूसी तेल खरीदने के चलते भारत पर अतिरिक्त 25% टैरिफ लगाया था, जो 27 अगस्त से प्रभावी हुआ। इस फैसले का असर अमेरिका को भेजे जाने वाले भारत के 55% से ज्यादा निर्यात पर पड़ा है। ट्रम्प ने कहा कि यह कदम अमेरिका की आर्थिक ताकत को बनाए रखने के लिए उठाया गया है। भारत से “जीरो टैरिफ” की पेशकश, लेकिन अब देर हो चुकी, ट्रम्प ने अपने हालिया सोशल मीडिया पोस्ट में लिखा कि भारत ने अब अमेरिका को जीरो टैरिफ का ऑफर दिया है। हालांकि, ट्रम्प का कहना है कि यह प्रस्ताव बहुत देर से आया है। उन्होंने कहा “उन्हें यह सालों पहले करना चाहिए था। अब देर हो चुकी है।” ट्रम्प ने स्पष्ट किया कि फिलहाल वे भारत पर लगाए गए टैरिफ हटाने के मूड में नहीं हैं। हालांकि, उन्होंने यह भी कहा कि भारत और अमेरिका के रिश्ते “बहुत अच्छे” हैं और आगे भी सहयोग जारी रहेगा।
भारत, रूस और चीन पर अमेरिकी कूटनीति की चुनौती
ट्रम्प के बयानों से साफ है कि अमेरिका, भारत और रूस के बीच का समीकरण बदल रहा है। भारत द्वारा रूस से तेल खरीदने के मसले पर अमेरिका में असंतोष बढ़ रहा है। वहीं, चीन के बढ़ते प्रभाव के बीच ट्रम्प ने सीधे तौर पर संकेत दिया है कि अमेरिका अपने दो बड़े रणनीतिक साझेदारों, भारत और रूस को धीरे-धीरे चीन के पाले में जाता हुआ देख रहा है। अगर भारत और अमेरिका के बीच टैरिफ विवाद जल्द नहीं सुलझा, तो इसका असर न केवल व्यापार पर बल्कि आने वाले समय में भूराजनीतिक संतुलन पर भी पड़ सकता है।