जीएसटी काउंसिल की अहम बैठक शुरू,
जानें टैक्स संरचना में कहां हो सकते हैं बड़े बदलाव
7 days ago
Written By: आदित्य कुमार वर्मा
देश की टैक्स व्यवस्था में बड़े बदलाव की तैयारी के बीच आज से जीएसटी काउंसिल की दो दिवसीय अहम बैठक की शुरुआत हो गई है। इस बैठक में वस्तु एवं सेवा कर (GST) की मौजूदा चार स्लैब वाली प्रणाली को सरल बनाते हुए इसे सिर्फ दो टैक्स स्लैब – 5% और 18% में बदलने पर चर्चा हो रही है। यदि प्रस्ताव को मंजूरी मिलती है, तो आम उपभोक्ताओं के लिए जरूरी सामान और इलेक्ट्रॉनिक उत्पाद सस्ते हो सकते हैं, जबकि लग्जरी और "सिन" प्रोडक्ट्स पर टैक्स का बोझ और बढ़ सकता है।
दैनिक जरूरतों और इलेक्ट्रॉनिक सामान पर राहत के आसार
बैठक में जो प्रस्ताव तैयार किया गया है, उसके तहत फिलहाल 12% जीएसटी वाले अधिकतर उत्पादों को 5% के नए स्लैब में लाने की संभावना है। इसमें रोजमर्रा की जरूरत के सामान जैसे घी, मेवे, पैकेज्ड ड्रिंकिंग वॉटर, बिना गैस वाले पेय पदार्थ, नमकीन, दवाएं और मेडिकल डिवाइस शामिल हैं। इन पर टैक्स दर घटने से उपभोक्ताओं की जेब पर सीधा असर पड़ेगा और कीमतों में गिरावट देखने को मिल सकती है। वहीं इसी तरह, आम घरों में इस्तेमाल होने वाले पेंसिल, साइकिल, छाता और हेयरपिन जैसी वस्तुओं पर भी टैक्स घटने की संभावना है। इसके अलावा इलेक्ट्रॉनिक और उपभोक्ता टिकाऊ सामान पर भी राहत मिल सकती है। फिलहाल 28% जीएसटी वाले चुनिंदा टेलीविजन, वॉशिंग मशीन और रेफ्रिजरेटर को नए प्रस्तावित 18% स्लैब में लाने की योजना है। छोटे कार मॉडल्स और एयर कंडीशनर्स भी इस बदलाव से सस्ते हो सकते हैं।
लग्जरी और “सिन” प्रोडक्ट्स पर बढ़ेगा टैक्स बोझ
वहीं इसमें जहां आम उपभोक्ता के लिए राहत की संभावना है, वहीं लग्जरी और "सिन" कैटेगरी के उत्पादों पर टैक्स का बोझ और बढ़ सकता है। प्रस्ताव के अनुसार, हाई-एंड ऑटोमोबाइल्स, प्रीमियम एसयूवी और अन्य लग्जरी गाड़ियां, जो फिलहाल 28% जीएसटी और अतिरिक्त क्षतिपूर्ति उपकर के दायरे में हैं, उन्हें नए 40% टैक्स कैटेगरी में लाया जा सकता है। इसी तरह, तंबाकू उत्पाद, पान मसाला, सिगरेट और 2,500 रुपये से अधिक कीमत वाले चुनिंदा परिधानों पर भी ज्यादा टैक्स लगाया जा सकता है। यहां तक कि प्रीमियम एयर ट्रैवल पर भी जीएसटी दर 12% से बढ़ाकर 18% करने की संभावना जताई जा रही है।
इलेक्ट्रिक व्हीकल्स पर नई दरें तय करने की तैयारी
इस बैठक में इलेक्ट्रिक व्हीकल्स (EVs) पर भी विशेष चर्चा हो रही है। सरकार जहां आम ईवी की बिक्री को बढ़ावा देने के लिए 5% जीएसटी बनाए रखना चाहती है, वहीं प्रीमियम ईवी पर अधिक टैक्स लगाने पर भी विचार हो रहा है। यह संकेत देता है कि सरकार मास-मार्केट और लग्जरी सेगमेंट की इलेक्ट्रिक गाड़ियों के बीच स्पष्ट अंतर बनाना चाहती है।
राज्यों की चिंता और राजस्व पर असर
अर्थशास्त्रियों का अनुमान है कि इन व्यापक बदलावों से सरकार को करीब 21 अरब डॉलर यानी लगभग 1.85 लाख करोड़ रुपये के राजस्व का नुकसान हो सकता है। इसमें सबसे बड़ा असर राज्यों की आमदनी पर पड़ेगा। ऐसे में पश्चिम बंगाल, केरल, तमिलनाडु, पंजाब, तेलंगाना, कर्नाटक, हिमाचल प्रदेश और झारखंड जैसे विपक्ष शासित राज्यों ने अपनी चिंता जताई है। ये राज्य बैठक में राजस्व घाटे की भरपाई के लिए स्पष्ट मुआवजा तंत्र की मांग करने वाले हैं।
पीएम मोदी के ऐलान के बाद ऐतिहासिक बदलाव की ओर कदम
जीएसटी काउंसिल की यह बैठक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के स्वतंत्रता दिवस भाषण के बाद हो रही है, जिसमें उन्होंने बड़े पैमाने पर टैक्स सरलीकरण और घरेलू खपत को बढ़ावा देने की बात कही थी। यदि इन प्रस्तावों को मंजूरी मिल जाती है, तो यह भारत के जीएसटी इतिहास में सबसे बड़े सुधारों में से एक होगा। इससे जहां आवश्यक वस्तुएं सस्ती होंगी, वहीं लग्जरी और विवेकाधीन खर्चों पर टैक्स का बोझ बढ़ेगा।