सुप्रीम कोर्ट में कल अहम सुनवाई,
बिहार SIR को लेकर फिर गरमाएगा माहौल
2 days ago
Written By: आदित्य कुमार वर्मा
सुप्रीम कोर्ट में सोमवार को बिहार में चल रही स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन (SIR) की प्रक्रिया को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई होगी। जस्टिस सूर्याकांत और जस्टिस ज्योमल्या बागची की बेंच इस मामले की सुनवाई करेगी। यह सुनवाई बेहद अहम मानी जा रही है क्योंकि बिहार में 2003 के बाद पहली बार वोटर लिस्ट की इस तरह से बड़े पैमाने पर विशेष पुनरीक्षण प्रक्रिया चल रही है। बिहार में SIR की शुरुआत 24 जून से हुई थी और चुनाव आयोग के मुताबिक अंतिम मतदाता सूची 30 सितंबर को जारी होगी। इस दौरान राज्यभर में मतदाता सूची को अपडेट करने, मृत, शिफ्टेड और अयोग्य नाम हटाने के साथ-साथ नए वोटरों को जोड़ने की प्रक्रिया चल रही है।
चुनाव आयोग के फैसले पर बढ़ी कानूनी चुनौती
इस मामले में कई प्रमुख याचिकाकर्ताओं ने चुनाव आयोग के फैसले को चुनौती दी है। एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (ADR), राज्यसभा सांसद मनोज झा, टीएमसी सांसद महुआ मोइत्रा और राजनीतिक विश्लेषक योगेंद्र यादव ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर SIR की टाइमिंग और प्रक्रिया पर गंभीर सवाल उठाए हैं। पिछली सुनवाई में शीर्ष अदालत ने चुनाव आयोग को यह निर्देश दिया था कि राजनीतिक दल बूथ-लेवल एजेंट्स के जरिए मतदाताओं की मदद करें, ताकि जिन लोगों के नाम लिस्ट से हटे हैं, वे समय पर आवेदन कर सकें।
SC ने SIR को अवैध नहीं कहा, लेकिन उठाए सवाल
सुप्रीम कोर्ट ने अब तक कभी भी SIR को अवैध नहीं ठहराया, लेकिन अदालत ने इसकी टाइमिंग और प्रक्रियाओं को लेकर सख्त रुख दिखाया है। 14 अगस्त की सुनवाई के दौरान अदालत ने चुनाव आयोग को आदेश दिया था कि जिन 65 लाख मतदाताओं के नाम मतदाता सूची से हटाए गए हैं, उनकी पूरी लिस्ट वेबसाइट पर प्रकाशित की जाए। साथ ही, सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा था कि आधार कार्ड, वोटर आईडी और राशन कार्ड जैसे दस्तावेजों को स्वीकार किया जाए, ताकि पात्र मतदाताओं के नाम दोबारा जोड़े जा सकें।
65 लाख नाम गायब
चुनाव आयोग की रिपोर्ट के मुताबिक, SIR से पहले 24 जून 2025 तक बिहार में कुल 7.89 करोड़ मतदाता थे, लेकिन इस प्रक्रिया के दौरान 65 लाख नाम हटाए गए। इनमें मृत, विस्थापित और विदेश में रहने वाले मतदाता शामिल हैं। अब बिहार में कुल 7.24 करोड़ मतदाता बचे हैं। इतने बड़े पैमाने पर नाम हटाए जाने के कारण विपक्षी दलों ने SIR की पारदर्शिता पर सवाल खड़े किए हैं और इसे चुनावी साजिश करार दिया है।
आने वाली सुनवाई पर टिकी नजरें
सुप्रीम कोर्ट में सोमवार को होने वाली सुनवाई इस मामले की दिशा तय करने में अहम भूमिका निभा सकती है। अगर अदालत ने SIR की टाइमिंग या प्रक्रिया पर रोक लगा दी, तो इससे चुनाव आयोग की तैयारियों पर असर पड़ सकता है। वहीं, अगर अदालत चुनाव आयोग के पक्ष में जाती है, तो बिहार में मतदाता सूची पुनरीक्षण का यह सबसे बड़ा अभियान योजना के अनुसार जारी रहेगा।