अगर नहीं भरी साल के 88 लाख...तो अमेरिका में नो-इंट्री,
ट्रंप के ऐलान से स्किल्ड वर्कर कंपनियों में हडकंप
1 months ago Written By: आदित्य कुमार वर्मा
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने शुक्रवार को एक ऐसा आदेश जारी किया है, जिसने दुनिया भर के स्किल्ड वर्कर्स और उनकी कंपनियों में हड़कंप मचा दिया है। इस आदेश के तहत अब H-1B वीज़ा लेने या उसे आगे बढ़ाने के लिए हर साल 1,00,000 अमेरिकी डॉलर यानी करीब 88 लाख रुपये का शुल्क देना होगा। रविवार 21 सितंबर की मध्यरात्रि से यह नियम लागू हो जाएगा।
क्यों बढ़ाई गई फीस ? ट्रंप प्रशासन का कहना है कि H-1B वीज़ा प्रोग्राम का दुरुपयोग लंबे समय से हो रहा है। अमेरिकी नौकरियों में विदेशी पेशेवरों की बढ़ती संख्या को देखते हुए ट्रंप ने यह सख्त कदम उठाया है। उनका तर्क है कि भारी-भरकम फीस से कंपनियाँ सोच-समझकर विदेशी कामगारों को बुलाएँगी और स्थानीय अमेरिकी युवाओं को रोजगार में प्राथमिकता मिलेगी।
भारतीयों पर सबसे बड़ा असर गौरतलब हो कि, H-1B वीज़ा धारकों में सबसे ज्यादा संख्या भारतीयों की है और अमेरिकी इमिग्रेशन सर्विसेज के ताजा आंकड़ों के मुताबिक, एक साल में जारी हुए कुल H-1B वीज़ा में लगभग 72 प्रतिशत भारतीयों के हिस्से में आते हैं। जिसके बाद आईटी और टेक्नोलॉजी कंपनियों में काम करने वाले भारतीय पेशेवरों के लिए यह आदेश सबसे बड़ी चुनौती बन सकता है। कंपनियों को अब उनके लिए सालाना लाखों डॉलर की अतिरिक्त लागत वहन करनी होगी।
कंपनियों में चिंता वहीं, अमेरिका की बड़ी-बड़ी टेक कंपनियाँ पहले ही इस फैसले पर नाराजगी जता चुकी हैं। उनका कहना है कि इतनी भारी फीस चुकाना छोटे और मध्यम स्तर की कंपनियों के लिए लगभग असंभव है। इससे अमेरिका की प्रतिस्पर्धात्मक क्षमता कमजोर होगी और प्रतिभाशाली विदेशी प्रोफेशनल्स दूसरे देशों का रुख करेंगे। कुछ कंपनियों ने तो वीज़ा होल्डर्स को अमेरिका छोड़कर तुरंत अपने देश लौटने की चेतावनी भी दी है।
कानूनी विवाद की आशंका हालांकि ट्रंप का यह आदेश सीधे लागू हो गया है, लेकिन कानूनी विशेषज्ञों का कहना है कि इतनी बड़ी फीस लगाने का अधिकार राष्ट्रपति के पास सीमित है। संभव है कि आने वाले दिनों में इसे अदालत में चुनौती दी जाए। विपक्षी दलों और इमिग्रेशन समर्थक संगठनों ने भी इसे अमेरिकी अर्थव्यवस्था और टेक सेक्टर के लिए घातक बताया है।
21 सितंबर से लागू होगा नया नियम यह आदेश रविवार, 21 सितंबर की मध्यरात्रि से लागू होगा। यानी इस तारीख के बाद जो भी H-1B वीज़ा होल्डर अमेरिका में प्रवेश करेगा या वीज़ा रिन्यूअल कराएगा, उसे यह सालाना फीस चुकानी होगी। आदेश की वैधता 12 महीने के लिए तय की गई है, लेकिन ट्रंप प्रशासन ने संकेत दिए हैं कि जरूरत पड़ने पर इसे और आगे भी बढ़ाया जा सकता है।