OCI के लिए गृह मंत्रालय ने जारी किए नए नियम…
अब आपराधिक मामलों में रद्द हो सकता है पंजीकरण..!
1 months ago
Written By: आदित्य कुमार वर्मा
गृह मंत्रालय (Ministry of Home Affairs) ने ओवरसीज सिटिजन ऑफ इंडिया (OCI) कार्डधारकों के लिए नए नियमों की घोषणा की है, जो उनके भविष्य के पंजीकरण या रद्दीकरण को सीधे प्रभावित कर सकते हैं। मंगलवार को जारी राजपत्र अधिसूचना में कहा गया है कि यदि किसी व्यक्ति पर आपराधिक आरोप या सजा होती है, तो उसका ओसीआई कार्ड या पंजीकरण रद्द किया जा सकता है।
कब रद्द होता है ओसीआई पंजीकरण ?
अधिसूचना में कहा गया, "नागरिकता अधिनियम, 1955 की धारा 7D के खंड (da) के तहत प्रदत्त शक्तियों का उपयोग करते हुए, केंद्र सरकार यह निर्धारित करती है कि किसी व्यक्ति को दो वर्ष या उससे अधिक की कारावास की सजा होने पर, या सात वर्ष या उससे अधिक की सजा वाले अपराध में आरोपपत्र दाखिल होने पर, उसका ओसीआई पंजीकरण रद्द किया जा सकता है।"
नए नियमों के तहत कब रद्द होगा ओसीआई पंजीकरण
गृह मंत्रालय के अनुसार—
- यदि कार्डधारक को दो वर्ष या उससे अधिक की जेल की सजा हो चुकी है।
- यदि कार्डधारक के खिलाफ सात वर्ष या उससे अधिक की सजा वाले अपराध में आरोपपत्र दाखिल हुआ है।
गृह मंत्रालय के अधिकारियों ने समाचार एजेंसी एएनआई को बताया कि ये नए नियम ओसीआई पंजीकरण के ढांचे को और मजबूत बनाने में मदद करेंगे। ये प्रावधान इस बात से अप्रभावित रहेंगे कि दोषसिद्धि भारत में हुई है या विदेश में—बस शर्त यह है कि वह अपराध भारतीय कानून के तहत मान्य हो।
पहले से मौजूद रद्दीकरण के आधार
विदेश मंत्रालय के अनुसार, ओसीआई कार्ड या पंजीकरण निम्न स्थितियों में भी रद्द किया जा सकता है—
- यदि पंजीकरण धोखाधड़ी, झूठी जानकारी या तथ्यों को छिपाकर लिया गया हो।
- यदि धारक ने भारतीय संविधान के प्रति असंतोष दिखाया हो।
- यदि भारत के किसी युद्ध में उसने दुश्मन से गैरकानूनी व्यापार या संपर्क किया हो, या किसी ऐसे व्यवसाय में शामिल रहा हो जिससे दुश्मन को सहायता मिली हो।
यदि पंजीकरण के पांच वर्षों के भीतर उसे दो वर्ष या अधिक की जेल की सजा हुई हो।
- यदि यह भारत की संप्रभुता, अखंडता, सुरक्षा, विदेशी देशों के साथ मित्रतापूर्ण संबंध या जनहित में आवश्यक हो।
क्या है ओसीआई योजना ?
ओवरसीज सिटिजन ऑफ इंडिया योजना 2005 में शुरू हुई थी। इसके तहत भारतीय मूल के विदेशी नागरिक बिना वीज़ा भारत आ-जा सकते हैं। यह सुविधा उन व्यक्तियों के लिए है जो 26 जनवरी 1950 को या उसके बाद भारत के नागरिक रहे हों। हालांकि, यह दर्जा कभी भी पाकिस्तान या बांग्लादेश के नागरिक रहे व्यक्तियों, या उनके बच्चे, पोते-पोतियों और परपोते-पोतियों को नहीं मिलता।