करना था खांसी-बुखार का इलाज…डॉक्टर ने लगा दिया कुत्ते वाला इंजेक्शन,
इंटरनेट पर फोड़ा ठीकरा
1 months ago
Written By: आदित्य कुमार वर्मा
बिहार के सिवान जिले में स्वास्थ्य व्यवस्था की लापरवाही का एक हैरान करने वाला मामला सामने आया है। मैरवा रेफरल अस्पताल में खांसी और बुखार से पीड़ित एक मरीज को सही दवा देने के बजाय कुत्ते के काटने पर लगाई जाने वाली सुई दे दी गई। इस घटना ने अस्पताल प्रबंधन और चिकित्सकों की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।
क्या है पूरा मामला
मैरवा थाना क्षेत्र के कबीरपुर गांव निवासी दिनानाथ ठाकुर गुरुवार को बुखार और खांसी की शिकायत लेकर अस्पताल पहुंचे थे। जांच के बाद डॉक्टर ने उन्हें दवा लिखी, लेकिन लापरवाही इतनी बड़ी थी कि डॉक्टर ने पर्चे पर ‘डॉग बाइट’ लिख दिया और कुत्ते के काटने पर दी जाने वाली सुई का नाम लिख दिया। डॉक्टर के हस्ताक्षर वाले इस पर्चे को देखकर नर्सिंग स्टाफ ने बिना किसी सवाल-जवाब के मरीज को वही सुई लगा दी। अचानक हुए इस इलाज से मरीज और परिजन सकते में आ गए और उन्होंने इसे गंभीर लापरवाही बताया।
डॉक्टर का गैर-जिम्मेदाराना बयान
जब इस घटना को लेकर इलाज कर रहे चिकित्सक डॉ. उपेंद्र कुमार से सवाल किया गया तो उनका जवाब और भी चौंकाने वाला था। उन्होंने पहले तो रिपोर्टर को हड़काया और कहा, “क्या लापरवाही है, बोला न कि नेट का प्रॉब्लम है।” बाद में सफाई देते हुए उन्होंने कहा कि शायद इंटरनेट की समस्या के कारण दवा लिखने में गलती हो गई होगी। डॉक्टर का यह बयान उनकी कार्यप्रणाली पर सवाल खड़ा करता है। आखिर मरीज को इलाज डॉक्टर की समझ और अनुभव से मिलना चाहिए या फिर इंटरनेट पर निर्भर होकर ?
मरीज और परिजनों का गुस्सा
इस घटना से आक्रोशित मरीज दिनानाथ ठाकुर और उनके परिजनों ने कहा कि डॉक्टर की इस गलती से मरीज की जान पर बन सकती थी। उन्होंने चेतावनी दी कि अगर ऐसी लापरवाहियां जारी रहीं तो कोई भी मरीज सुरक्षित नहीं रहेगा। मरीज ने इस संबंध में मैरवा थाने में लिखित शिकायत दर्ज कराई है और अस्पताल प्रशासन तथा संबंधित डॉक्टर के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की है।
अस्पताल की स्थिति पर फिर सवाल
यह घटना एक बार फिर साबित करती है कि रेफरल अस्पतालों की हालत बदहाल है। ग्रामीण इलाकों के अस्पतालों में न तो पर्याप्त संसाधन हैं और न ही चिकित्सक अपनी जिम्मेदारी गंभीरता से निभा रहे हैं। स्थानीय लोगों का कहना है कि जिले के कई अस्पतालों में मरीजों की जिंदगी भगवान भरोसे चल रही है।
प्रशासन पर दबाव
मामले के उजागर होने के बाद स्वास्थ्य विभाग और जिला प्रशासन पर भी दबाव बढ़ गया है कि वह इस लापरवाही पर कार्रवाई करे। लोगों का कहना है कि केवल जांच का आश्वासन देने से अब काम नहीं चलेगा। डॉक्टर और स्टाफ पर सख्त कार्रवाई जरूरी है, ताकि भविष्य में कोई भी स्वास्थ्यकर्मी ऐसी गलती करने से पहले सौ बार सोचे। एक साधारण मरीज, जो बुखार और खांसी की दवा लेने अस्पताल गया था, उसे कुत्ते के काटने की सुई दे दी गई। यह घटना केवल स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही नहीं दिखाती, बल्कि मरीजों की सुरक्षा पर भी बड़ा सवाल खड़ा करती है।