भारत पहुंचे जर्मनी के विदेश मंत्री जोहान वाडेफुल,
ट्रंप को लग सकता है बड़ा झटका, जानें किन समझौतों पर रहेगी नजर
7 days ago
Written By: आदित्य कुमार वर्मा
जर्मनी के विदेश मंत्री जोहान वाडेफुल अपनी दो दिवसीय आधिकारिक भारत यात्रा पर मंगलवार सुबह बेंगलुरु पहुंचे। 2 से 3 सितंबर तक होने वाली इस यात्रा को भारत और जर्मनी के बीच बढ़ते रणनीतिक महत्व का प्रतीक माना जा रहा है। भारत के विदेश मंत्रालय ने इस यात्रा की घोषणा पहले ही कर दी थी, जिसमें दोनों लोकतंत्रों के बीच मजबूत और विकसित संबंधों पर जोर दिया गया था। यह वाडेफुल की विदेश मंत्री के रूप में भारत की पहली आधिकारिक यात्रा है, जिससे उम्मीद की जा रही है कि दोनों देशों के बीच साझेदारी और गहराई लेगी।
ट्रंप के टैरिफ के बीच भारत का बढ़ता कूटनीतिक महत्व
इस दौरे की खासियत यह है कि यह ऐसे समय हो रहा है जब अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत पर 50% टैरिफ लगा दिया है और यूरोपीय देशों से भी भारत पर प्रतिबंध लगाने की अपील की है। ऐसे माहौल में जर्मन विदेश मंत्री का भारत आना अमेरिका के लिए बड़ा झटका माना जा रहा है। न केवल वे भारत पहुंचे हैं, बल्कि उन्होंने यह भी कहा है कि भारत आज की सदी की अंतर्राष्ट्रीय व्यवस्था को आकार देने में निर्णायक भूमिका निभा रहा है। यह बयान भारत की वैश्विक स्थिति को और मजबूत करने वाला साबित हो सकता है।
वाडेफुल ने बताया भारत क्यों है जर्मनी के लिए अहम
भारत के लिए रवाना होने से पहले वाडेफुल ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर भारत-जर्मनी संबंधों की अहमियत पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि भारत इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में जर्मनी का एक प्रमुख साझेदार है और हमारे संबंध राजनीतिक, आर्थिक और सांस्कृतिक रूप से बेहद घनिष्ठ हैं। उन्होंने यह भी कहा कि सुरक्षा सहयोग, इनोवेशन, टेक्नोलॉजी और कुशल वर्कर्स की भर्ती जैसे क्षेत्रों में साझेदारी के नए अवसर मौजूद हैं। वाडेफुल ने आगे लिखा कि भारत हमारी सदी की अंतर्राष्ट्रीय व्यवस्था को आकार देने में निर्णायक भूमिका निभाता है और लोकतांत्रिक देश होने के नाते हम स्वाभाविक रूप से इसमें भागीदार हैं। उन्होंने स्पष्ट किया कि व्यापक भू-राजनीतिक चुनौतियों के मद्देनजर जर्मनी और भारत मिलकर नियम-आधारित अंतर्राष्ट्रीय व्यवस्था को बनाए रखना चाहते हैं।
भारत-जर्मनी संबंधों की गहराती साझेदारी
भारत के विदेश मंत्रालय के मुताबिक जर्मनी यूरोप में भारत के सबसे अहम साझेदारों में से एक है। दोनों देशों के बीच 1951 में राजनयिक संबंधों की स्थापना हुई थी और तब से यह साझेदारी लगातार मजबूत होती गई है। मार्च 2021 में दोनों देशों ने राजनयिक संबंधों के 70 साल पूरे किए थे। पिछले कुछ वर्षों में भारत-जर्मनी संबंधों में तेजी से प्रगाढ़ता आई है, जिसका उदाहरण प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और जर्मन चांसलर ओलाफ स्कोल्ज के बीच नियमित मुलाकातें हैं।
कब कहां हुई मुलाकातें
पिछले दो सालों में दोनों नेताओं की छह मुलाकातें हो चुकी हैं। जून 2024 में इटली के अपुलिया में हुए G7 शिखर सम्मेलन के दौरान उनकी आखिरी बैठक हुई थी। इसके अलावा सितंबर 2023 में नई दिल्ली में हुए G20 शिखर सम्मेलन और मई 2023 में हिरोशिमा में आयोजित G7 शिखर सम्मेलन में भी दोनों नेता मिले थे। फरवरी 2023 में चांसलर स्कोल्ज ने भारत की स्टैंडअलोन राजकीय यात्रा की थी, जो अंतर-सरकारी परामर्श (IGC) प्रारूप की शुरुआत के बाद पहली बार किसी जर्मन चांसलर द्वारा भारत के लिए की गई विशेष यात्रा थी। मई 2022 में बर्लिन में आयोजित छठे IGC की सह-अध्यक्षता पीएम मोदी और चांसलर स्कोल्ज ने की थी। इस दौरान स्वच्छ ऊर्जा, स्वास्थ्य, एग्रोइकोलॉजी, कौशल विकास, गतिशीलता और कई अन्य क्षेत्रों में अहम समझौते हुए। इस बैठक का सबसे बड़ा नतीजा हरित और सतत विकास साझेदारी (GSDP) पर हस्ताक्षर करना था।
भारत में वाडेफुल का शेड्यूल और संभावित समझौते
जोहान वाडेफुल मंगलवार सुबह बेंगलुरु पहुंचे, जहां वे भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) का दौरा करेंगे। यह भारत-जर्मनी के बीच स्पेस टेक्नोलॉजी में बढ़ते सहयोग की दिशा में एक अहम कदम माना जा रहा है। इसके बाद वे नई दिल्ली रवाना होंगे, जहां 3 सितंबर को उनका व्यस्त कार्यक्रम निर्धारित है। साथ ही नई दिल्ली में वाडेफुल वाणिज्य और उद्योग मंत्री पीयूष गोयल से मुलाकात करेंगे। इसके साथ ही उनकी बैठक विदेश मंत्री एस जयशंकर के साथ भी होगी। इस दौरान व्यापार, सुरक्षा, ग्रीन एनर्जी, डिजिटल ट्रांसफॉर्मेशन और वैश्विक गवर्नेंस जैसे अहम मुद्दों पर गहन चर्चा होने की उम्मीद है। 3 सितंबर की शाम को वे भारत दौरे का समापन करते हुए वापस जर्मनी लौट जाएंगे।