हल्की बारिश भी हो तो दिल्ली को लकवा मार जाए…
दिल्ली को लेकर ये क्या बोल गए CJI..!
1 months ago
Written By: आदित्य कुमार वर्मा
सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को केरल के त्रिशूर जिले में राष्ट्रीय राजमार्ग 544 पर लगे लंबे जाम और खराब सड़क की स्थिति पर गंभीर सवाल उठाए। सुनवाई के दौरान मुख्य न्यायाधीश बी आर गवई ने साफ कहा कि अगर सड़क पर सफर करने में 12 घंटे लग रहे हैं तो यात्रियों से टोल वसूली का औचित्य ही क्या है। उन्होंने हल्के-फुल्के अंदाज में टिप्पणी करते हुए कहा कि ऐसे हालात में तो यात्रियों को ही टोल के बदले कुछ पैसा मिलना चाहिए।
दिल्ली और केरल का उदाहरण
सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस गवई ने दिल्ली के हालात का भी जिक्र किया। उन्होंने कहा, “दिल्ली में आप जानते हैं कि क्या होता है। अगर दो घंटे बारिश हो जाए तो पूरा शहर लकवाग्रस्त हो जाए।” वहीं, जस्टिस के विनोद चंद्रन ने NH 544 पर 12 घंटे तक चले जाम पर कहा कि जिस सड़क पर एक घंटा लगना चाहिए, वहां 11 घंटे ज्यादा लगना किसी भी स्थिति में उचित नहीं कहा जा सकता।
हाईकोर्ट का आदेश और NHAI की अपील
दरअसल, केरल हाईकोर्ट ने छह अगस्त को त्रिशूर के पलियेक्कारा टोल प्लाजा पर टोल वसूली को चार हफ्ते के लिए रोक दिया था। हाईकोर्ट ने साफ कहा था कि खराब सड़क की स्थिति में लोगों से टोल लेना उचित नहीं है। इस फैसले को राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (NHAI) ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी। सुनवाई के दौरान NHAI की ओर से पेश हुए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि हाईकोर्ट ने गलत तरीके से ठेकेदार कंपनी को NHAI से नुकसान वसूलने की इजाजत दे दी।
'एक्सीडेंट एक्ट ऑफ गॉड नहीं'
सुनवाई में जस्टिस चंद्रन ने NHAI से कहा कि आपने अखबार देखा होगा कि किस तरह एक लॉरी गड्ढे में गिरकर पलट गई और इसके कारण घंटों जाम लगा रहा। इस पर SG मेहता ने दलील दी कि यह “एक्ट ऑफ गॉड” था। लेकिन कोर्ट ने साफ किया कि दुर्घटना सड़क की खराब स्थिति के कारण हुई और यह लापरवाही का नतीजा है।
टोल पर कटौती या यात्रियों को राहत ?
जब सुप्रीम कोर्ट ने पूछा कि इस सड़क पर टोल कितना है तो बताया गया कि 65 किलोमीटर के लिए 150 रुपये लिया जाता है। इस पर CJI गवई ने सवाल उठाया कि अगर सफर में 12 घंटे लग रहे हैं तो लोग पूरा टोल क्यों दें। SG ने दलील दी कि ऐसे मामलों में आनुपातिक कटौती हो सकती है। लेकिन जस्टिस चंद्रन ने कहा कि “12 घंटे के जाम के लिए आनुपातिक कटौती का कोई सवाल ही नहीं है, बल्कि ऐसी स्थिति में तो यात्रियों को ही मुआवजा मिलना चाहिए।”
सुप्रीम कोर्ट का फैसला सुरक्षित
सुप्रीम कोर्ट ने फिलहाल NHAI की याचिका पर फैसला सुरक्षित रख लिया है। हालांकि पीठ ने साफ संकेत दिए कि टोल वसूली और सड़क सेवाओं में संतुलन होना चाहिए। अदालत ने कहा कि टोल वसूलने के बावजूद अगर सड़कें खराब हों और सर्विस रोड का रखरखाव न हो तो यह जनता के साथ अन्याय है।