चीन की विक्ट्री परेड से ट्रंप को बड़ा संदेश,
पुतिन-किम-जिनपिंग की एकजुटता से बढ़ी अमेरिका की चिंता
7 days ago
Written By: आदित्य कुमार वर्मा
अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप जहां अपने टैरिफ के हथियार से दुनियाभर के देशों पर दबाव बनाने की कोशिश में जुटे हैं, वहीं चीन ने अपनी विक्ट्री डे परेड के जरिए एक बड़ा भू-राजनीतिक संदेश भेजा है। चीन की राजधानी बीजिंग में आयोजित इस परेड में चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के साथ रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन, उत्तर कोरिया के सर्वोच्च नेता किम जोंग उन और ईरान के राष्ट्रपति मसूद पजेशकियन भी मौजूद रहे। इन तीनों परमाणु संपन्न देशों के नेताओं की एकजुटता की तस्वीर ने अमेरिका के भीतर बेचैनी बढ़ा दी है।
चीन की सैन्य परेड में दुनिया की ताकतवर शख्सियतें
बीजिंग में आयोजित इस विक्ट्री डे परेड में कई देशों के प्रमुख नेता शामिल हुए, लेकिन सबसे खास बात यह रही कि रूस, उत्तर कोरिया और ईरान जैसे देशों के शीर्ष नेता चीन के साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़े दिखाई दिए। यह वही देश हैं जिनके अमेरिका के साथ लंबे समय से तनावपूर्ण संबंध रहे हैं। ऐसे में इन देशों का एक साथ आना अमेरिका के लिए एक रणनीतिक चुनौती माना जा रहा है। यह परेड 1945 में द्वितीय विश्व युद्ध में जापान के आत्मसमर्पण की 80वीं वर्षगांठ पर आयोजित की गई। चीन ने इस अवसर को खास बनाने के लिए पुतिन, किम जोंग उन और ईरान के राष्ट्रपति को विशेष निमंत्रण भेजा था। इस शक्ति प्रदर्शन का मकसद स्पष्ट है- अमेरिका को यह दिखाना कि एशिया में चीन का प्रभाव तेजी से बढ़ रहा है और उसके साथ कई शक्तिशाली देश खड़े हैं।
कूटनीति में चीन की सक्रियता, अमेरिका को सीधा संदेश
अंतरराष्ट्रीय मंच पर अमेरिका की बढ़ती अलग-थलग स्थिति का चीन पूरी तरह से फायदा उठाना चाहता है। कुछ दिन पहले आयोजित एससीओ समिट में भी दुनिया के कई बड़े नेता चीन में नजर आए थे, जिनमें भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी शामिल थे। इसके तुरंत बाद विक्ट्री डे परेड का आयोजन और उसमें वैश्विक नेताओं की मौजूदगी, चीन की रणनीति को स्पष्ट करती है। चीन केवल सैन्य परेड तक ही सीमित नहीं है, बल्कि वह कई देशों के साथ द्विपक्षीय सैन्य सम्मेलन आयोजित करने की भी योजना बना रहा है। विशेषज्ञों का मानना है कि यह पूरी कवायद चीन की आक्रामक कूटनीति का हिस्सा है, जिसके जरिए वह अमेरिका को सीधा संदेश देना चाहता है कि एशिया और वैश्विक मंच पर उसका दबदबा तेजी से बढ़ रहा है।
मिसाइल प्रदर्शन और बढ़ता भू-राजनीतिक दबाव
विक्ट्री डे परेड के दौरान चीन ने अपनी सैन्य ताकत का भी खुलकर प्रदर्शन किया। इस दौरान नई मिसाइलें DF-61 और JL-3 दुनिया के सामने पेश की गईं। यह न केवल चीन की बढ़ती तकनीकी क्षमता को दर्शाता है, बल्कि अमेरिका को अप्रत्यक्ष तौर पर एक संदेश भी देता है कि एशिया-प्रशांत क्षेत्र में शक्ति संतुलन तेजी से बदल रहा है। अमेरिका के लिए चीन का यह सैन्य शक्ति प्रदर्शन चिंता का विषय है। रूस, उत्तर कोरिया और ईरान जैसे देशों का चीन के साथ एक मंच पर आना, अमेरिकी कूटनीति के लिए एक बड़ी चुनौती बन सकता है।
“चीन-रूस की एकजुटता, अमेरिका के लिए खतरा”
अमेरिका लंबे समय से नहीं चाहता कि रूस और चीन एक साथ खड़े हों। उत्तर कोरिया के सर्वोच्च नेता किम जोंग उन की चीन की परेड में मौजूदगी भी अमेरिका के लिए एक तरह की चेतावनी है। एशिया क्षेत्र में चीन पहले से ही अमेरिका का सबसे बड़ा प्रतिद्वंद्वी है, और इन शक्तिशाली देशों की एकजुटता उसके रणनीतिक प्रभाव को और मजबूत कर सकती है। अमेरिकी लेखक जॉन मियरशाइमर ने करीब दस साल पहले अपनी प्रसिद्ध किताब “द ट्रेजडी ऑफ ग्रेट पावर पॉलिटिक्स” में यह भविष्यवाणी की थी कि चीन का बड़ा होना अमेरिका के लिए गंभीर खतरा बन सकता है। उन्होंने लिखा था कि अगर रूस और चीन साथ आते हैं, तो यह अमेरिका के लिए बेहद खतरनाक होगा। विक्ट्री डे परेड की यह तस्वीरें मियरशाइमर की भविष्यवाणी को सच साबित करती नजर आ रही हैं।