CAA को लेकर केंद्र सरकार का बड़ा फैसला,
पाकिस्तानी, बांग्लादेशी और अफगानिस्तानी शरणार्थियों को राहत..!
6 days ago
Written By: आदित्य कुमार वर्मा
केंद्र सरकार ने नागरिकता संशोधन अधिनियम (CAA) को लेकर बड़ा निर्णय लिया है। गृह मंत्रालय ने एक अहम आदेश जारी करते हुए भारत में रहने की कट-ऑफ तारीख 31 दिसंबर 2024 तक बढ़ा दी है। इस फैसले से उन लोगों को बड़ी राहत मिलेगी, जो पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से धार्मिक उत्पीड़न के कारण भारत आए हैं। भारतीय जनता पार्टी के सांसद डॉ. सुकांत मजूमदार ने इस फैसले को ऐतिहासिक करार देते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और केंद्र सरकार का आभार व्यक्त किया।
आदेश में क्या कहा गया है
गृह मंत्रालय द्वारा जारी आदेश के मुताबिक, हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई समुदाय के वे लोग, जो 31 दिसंबर 2024 तक भारत आ चुके हैं, उन्हें पासपोर्ट या अन्य कागजात के बिना भी देश में रहने की अनुमति दी जाएगी। यह आदेश इमीग्रेशन एंड फॉरेनर्स एक्ट, 2025 के तहत जारी किया गया है। इसमें स्पष्ट किया गया है कि जिन लोगों के पास वैध पासपोर्ट या वीजा नहीं है, या जिनके कागजातों की वैधता समाप्त हो चुकी है, वे भी भारत में रह सकते हैं।
सीएए में बदलाव नहीं, सिर्फ तारीख बढ़ाई गई
सीएए, जो पिछले साल लागू हुआ था, के अनुसार अफगानिस्तान, बांग्लादेश और पाकिस्तान के अल्पसंख्यक समुदायों- हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई को, अगर वे 31 दिसंबर 2014 तक भारत आ चुके हैं, तो भारतीय नागरिकता प्रदान करने का प्रावधान है। हालांकि, इस नए आदेश से सीएए के प्रावधानों में कोई बदलाव नहीं किया गया है। केवल भारत में रहने की कट-ऑफ तारीख को 31 दिसंबर 2024 तक बढ़ाया गया है, ताकि 2014 के बाद आए लोगों को भी राहत मिल सके। बीजेपी सांसद सुकांत मजूमदार ने कहा कि यह निर्णय उन लोगों के लिए बेहद महत्वपूर्ण है, जो पश्चिम बंगाल और पाकिस्तान बॉर्डर के पास के राज्यों में बसे हैं। उन्होंने स्पष्ट किया कि जो लोग 31 दिसंबर 2024 से पहले भारत आ चुके हैं, उन्हें अब डिपोर्ट नहीं किया जाएगा और वे भारतीय नागरिकता के हकदार होंगे। उन्होंने यह भी कहा कि सीएए के तहत पहले से चल रहे नागरिकता कैंप्स उसी तरह चलते रहेंगे।
उत्पीड़ित अल्पसंख्यकों को मिली बड़ी राहत
पिछले साल लागू किए गए नागरिकता संशोधन अधिनियम (CAA) के तहत पहले केवल उन लोगों को नागरिकता दी जाती थी, जो 31 दिसंबर 2014 तक भारत आए थे। लेकिन नए आदेश के बाद उन लोगों को भी राहत मिलेगी, जो 2014 के बाद धार्मिक उत्पीड़न के कारण भारत आए और अब तक अपने भविष्य को लेकर अनिश्चितता में जी रहे थे। खासतौर पर पाकिस्तान से आए हिंदू, सिख, बौद्ध और अन्य अल्पसंख्यक समुदायों के हजारों परिवार इस फैसले से सीधे तौर पर लाभान्वित होंगे।
ममता बनर्जी सरकार पर भी पड़ा असर
बीजेपी सांसद मजूमदार ने तंज कसते हुए कहा कि इस आदेश के बाद अब ममता बनर्जी की पुलिस भी हिंदू रिफ्यूजी को हाथ नहीं लगा सकेगी। उन्होंने कहा कि यह कोई चुनावी मुद्दा नहीं है बल्कि केंद्र सरकार का ऐतिहासिक कदम है, जो मानवता और न्याय के हित में उठाया गया है।
आगे की प्रक्रिया
सरकार ने साफ किया है कि जो लोग इस फैसले के तहत नागरिकता पाना चाहते हैं, उनके लिए प्रक्रिया पहले की तरह ही रहेगी। आवेदन करने वालों को सरकार द्वारा निर्धारित कैंप्स और पोर्टल्स के माध्यम से नागरिकता के लिए आवेदन करना होगा। गृह मंत्रालय के इस आदेश से साफ है कि अब 31 दिसंबर 2024 तक भारत आने वाले पात्र अल्पसंख्यक समुदायों के लोगों को देश में सुरक्षित रहने और भारतीय नागरिकता प्राप्त करने का पूरा अधिकार मिलेगा।