मालगाड़ी के डिब्बों के साथ नहीं चला सकते बुलेट ट्रेन,
पुराने कानूनों पर दिल्ली की कोर्ट ने की टिप्पणी
1 months ago
Written By: आदित्य कुमार वर्मा
दिल्ली की एक अदालत ने एक दीवानी मुकदमे की सुनवाई के दौरान 1908 की दीवानी प्रक्रिया संहिता (CPC) के प्रावधानों पर सवाल उठाए हैं और कहा है कि पुराने कानूनों के सहारे आधुनिक न्यायिक व्यवस्था को प्रभावी ढंग से संचालित नहीं किया जा सकता। अदालत ने साफ तौर पर कहा कि "बुलेट ट्रेन को मालगाड़ी के डिब्बों के साथ नहीं चलाया जा सकता", इसलिए अब समय आ गया है कि विधायिका प्रासंगिक बदलाव करे।
क्या था पूरा मामला ?
यह टिप्पणी जिला न्यायाधीश संजीव अग्रवाल ने 25 अगस्त को उस समय की, जब वे एक निजी कंपनी के खिलाफ लगभग ₹24.42 लाख की वसूली से जुड़े दीवानी मुकदमे में पहले के फैसले को लागू करने के लिए दायर याचिका पर सुनवाई कर रहे थे। वहीं याचिकाकर्ता ने अदालत से पहले दिए गए आदेश के निष्पादन की मांग की थी, जिस पर सुनवाई के दौरान न्यायाधीश ने पुराने कानूनों के उपयोग की सीमाओं पर अपनी राय रखी।
वाणिज्यिक विवादों के त्वरित निपटारे पर राय
यहां जज अग्रवाल ने कहा कि भारत सरकार ने वाणिज्यिक विवादों के तेजी से निपटारे के लिए वाणिज्यिक न्यायालय अधिनियम, 2015 लागू करके एक शानदार और प्रशंसनीय कदम उठाया है। उन्होंने कहा कि, "इस कानून के तहत वाणिज्यिक विवादों का निपटारा काफी तेजी से हुआ है, लेकिन ऐसा प्रतीत होता है कि विधायिका की नजर से यह बात छूट गई है कि इस तरह के त्वरित कानून के क्रियान्वयन के लिए वह पुराने आदेश 21 सीपीसी (डिक्री और आदेशों का निष्पादन) और अन्य प्रासंगिक धाराओं पर निर्भर नहीं हो सकती, जिन्हें बहुत पहले वर्ष 1908 में अधिनियमित किया गया था।"
"बुलेट ट्रेन को शिनकानसेन इंजन की जरूरत"
न्यायाधीश ने उदाहरण देते हुए कहा, "आप मालगाड़ी के डिब्बों के साथ बुलेट ट्रेन नहीं चला सकते। बुलेट ट्रेन को केवल जापान के 'शिनकानसेन इंजन' से ही चलाया जा सकता है।" इसका मतलब है कि आधुनिक और तेज़ न्यायिक प्रक्रिया के लिए नए और प्रभावी कानूनी प्रावधानों की आवश्यकता है।
विधायिका को सुधार पर विचार करने की सलाह
वहीं न्यायाधीश ने भरोसा जताया कि विधायिका इस पहलू पर जल्द विचार करेगी और प्रासंगिक बदलाव करेगी ताकि वाणिज्यिक विवादों के तेज निपटारे में पुराने कानूनों की जटिलताएं बाधा न बनें।