लद्दाख हिंसा पर बड़ा खुलासा…इस कांग्रेस नेता का सामने आया नाम,
दर्ज हुआ मुकदमा
1 months ago Written By: आदित्य कुमार वर्मा
लद्दाख की राजधानी लेह में बुधवार को भड़की हिंसा ने हालात को गंभीर बना दिया है। इस हिंसा में कम से कम चार प्रदर्शनकारियों की मौत हो गई, जबकि 90 से अधिक लोग घायल हुए हैं। स्थिति पर नियंत्रण पाने के लिए प्रशासन ने लेह ज़िले में कर्फ्यू लगा दिया है और कानून-व्यवस्था बनाए रखने के लिए सीआरपीएफ़, स्थानीय पुलिस और भारत-तिब्बत सीमा पुलिस (आईटीबीपी) को तैनात किया गया है। कारगिल में भी बंद के आह्वान के चलते प्रतिबंध लागू किए गए हैं। वहीं इस सबको लेकर स्थानीय कांग्रेस नेता पर आरोप लग रहे हैं। जिसको लेकर एक FIR भी दर्ज की गई है।
कांग्रेस पार्षद पर आरोप हिंसा के बाद गुस्साई भीड़ ने लद्दाख में भाजपा कार्यालय और लद्दाख हिल काउंसिल सचिवालय को आग के हवाले कर दिया। बीजेपी ने इस हमले के लिए सीधे-सीधे कांग्रेस को जिम्मेदार ठहराया और हिंसक भीड़ में शामिल कांग्रेस पार्षद फुंटसोग स्टैनजिन त्सेपाग की तस्वीरें सार्वजनिक कीं। इसके बाद पुलिस ने एक एफआईआर दर्ज कर कांग्रेस पार्षद को हिंसा और आगजनी में नामजद कर लिया।
उपराज्यपाल बोले- यह साज़िश है लद्दाख के उपराज्यपाल कविंदर गुप्ता ने इस हिंसा को सुनियोजित साज़िश बताया। उन्होंने साफ कहा कि इसमें शामिल हर व्यक्ति के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। उपराज्यपाल ने यह भी संकेत दिया कि मामले की तह तक जाकर जिम्मेदार लोगों को बेनकाब किया जाएगा।
गृह मंत्रालय ने ठहराया सोनम वांगचुक को जिम्मेदार गृह मंत्रालय ने अपने बयान में कहा कि सोनम वांगचुक ने भूख हड़ताल को कई नेताओं के आग्रह के बावजूद खत्म नहीं किया और लगातार "अरब स्प्रिंग" जैसी शैली में उकसाने वाले बयान देते रहे। मंत्रालय ने कहा, “सोनम वांगचुक के भड़काऊ भाषणों के बाद ही भीड़ अनशन स्थल से निकलकर भाजपा कार्यालय और सीईसी लेह के सरकारी कार्यालय पर हमला करने पहुंची। साफ है कि भीड़ को सोनम वांगचुक ने अपने भड़काऊ बयानों से उकसाया।”
सोनम वांगचुक का पलटवार हिंसा के बाद सोनम वांगचुक ने अपना अनशन समाप्त कर ऑनलाइन प्रेस कॉन्फ्रेंस की। उन्होंने कहा कि प्रदर्शनकारियों में से दो लोग- एक 72 वर्षीय बुज़ुर्ग और 62 वर्षीय महिला- मंगलवार को अस्पताल ले जाए गए थे और यही घटना विरोध को भड़काने का कारण बनी। वांगचुक ने कहा, “हम अपना आंदोलन अहिंसक रखेंगे और मैं सरकार से भी कहना चाहता हूं कि वह हमारे शांति संदेश को सुने।”