बिहार चुनाव से पहले घुसपैठ पर बड़ा खुलासा,
आठ जिलों में मिले तीन लाख विदेशी
1 months ago
Written By: आदित्य कुमार वर्मा
Bihar SIR: बिहार विधानसभा चुनाव से पहले विदेशी घुसपैठ का मुद्दा गरमाने लगा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जहां लगातार विदेशी नागरिकों को भारत की सुरक्षा और डेमोग्राफी के लिए खतरा बता रहे हैं, वहीं अब चुनाव आयोग ने बड़ा खुलासा किया है। आयोग ने बताया है कि बिहार में चल रहे SIR यानी वोटर लिस्ट रिवीजन के दौरान करीब तीन लाख विदेशी नागरिकों की पहचान हुई है। दस्तावेजों की गहन जांच के बाद यह तथ्य सामने आया, जिसके बाद आयोग ने इन सभी को नोटिस जारी कर दिया है।
कई जिलों में मिले विदेशी नागरिक
चुनाव आयोग से मिली जानकारी के अनुसार, 1 अगस्त से 1 सितंबर तक चले दस्तावेज़ सत्यापन अभियान के दौरान ये विदेशी नागरिक पकड़े गए हैं। सूत्रों के मुताबिक, ये लोग बिहार के सीमावर्ती जिलों में बड़ी संख्या में मौजूद हैं। इनमें किशनगंज, पूर्णिया, कटिहार, अररिया, सुपौल, ईस्ट चंपारण और वेस्ट चंपारण जैसे जिले शामिल हैं। आयोग का कहना है कि इनमें से ज्यादातर विदेशी नागरिक बांग्लादेश, नेपाल, म्यांमार और अफगानिस्तान से आए हैं।
वोटर लिस्ट से होंगे बाहर
चुनाव आयोग ने साफ कर दिया है कि SIR की प्रक्रिया के तहत विदेशी नागरिकों को वोटर लिस्ट में शामिल नहीं किया जाएगा। लंबे समय से राजनीतिक दलों द्वारा यह आरोप लगाया जा रहा था कि बिहार में बड़ी संख्या में बाहरी नागरिक वोटर बन चुके हैं। इस पर कार्रवाई करते हुए आयोग ने कहा है कि जल्द ही ऐसे सभी नाम हटाए जाएंगे। इसके अलावा, आयोग की योजना है कि देश के बाकी राज्यों में भी SIR अभियान चलाया जाएगा, जिससे लाखों अवैध प्रवासियों की पहचान संभव हो सकेगी।
पीएम मोदी की डेमोग्राफी पर चिंता
इस मुद्दे पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पहले ही चिंता जता चुके हैं। 15 अगस्त को लाल किले की प्राचीर से पीएम ने कहा था कि देश में विदेशी घुसपैठियों की बढ़ती संख्या गंभीर खतरा बन रही है। इसके बाद बिहार में एक जनसभा के दौरान भी उन्होंने इस विषय पर कहा था कि सीमावर्ती जिलों में डेमोग्राफी तेजी से बदल रही है, जो भविष्य के लिए चुनौतीपूर्ण है। पीएम ने इसके समाधान के लिए डेमोग्राफी मिशन शुरू करने की घोषणा की थी और कहा था कि यह मिशन जल्द ही अपना काम पूरा करेगा।
चुनाव से पहले बनेगा बड़ा मुद्दा
बिहार में विधानसभा चुनाव की तारीखों का ऐलान कभी भी हो सकता है। माना जा रहा है कि अक्टूबर के आखिरी हफ्ते में मतदान हो सकता है। ऐसे में चुनाव आयोग की इस कार्रवाई से विदेशी घुसपैठ का मुद्दा चुनावी प्रचार में बड़ा स्थान ले सकता है। राजनीतिक दलों के लिए यह मुद्दा बिहार के सीमावर्ती जिलों में निर्णायक साबित हो सकता है।