दिल्ली दंगों के मामले में उमर खालिद सहित नौ आरोपियों की जमानत याचिका खारिज,
हाई कोर्ट ने सुनाया बड़ा फैसला
7 days ago
Written By: आदित्य कुमार वर्मा
2020 के उत्तर-पूर्वी दिल्ली दंगों की ‘लार्जर कॉन्सपिरेसी’ मामले में दिल्ली हाई कोर्ट ने मंगलवार को बड़ा फैसला सुनाते हुए उमर खालिद, शरजील इमाम, गुलफिशा फातिमा सहित नौ आरोपियों की जमानत याचिका खारिज कर दी। न्यायमूर्ति नवीन चावला और शलिंदर कौर की खंडपीठ ने यह फैसला सुनाते हुए साफ कर दिया कि फिलहाल इन आरोपियों को किसी भी प्रकार की राहत नहीं दी जा सकती। जिन आरोपियों की जमानत याचिका खारिज की गई है, उनमें शरजील इमाम, उमर खालिद, गुलफिशा फातिमा, अथर खान, अब्दुल खालिद सैफी, मोहम्मद सलीम खान, शिफा-उर-रहमान, मीरन हैदर और शादाब अहमद शामिल हैं।
कई बार सुनवाई के बावजूद नहीं मिली राहत
खास बात यह है कि आरोपियों में से चार, अब्दुल खालिद सैफी, गुलफिशा फातिमा, मोहम्मद सलीम खान और शिफा-उर-रहमान की जमानत पर दलीलें पहले भी दो बार पूरी हो चुकी थीं। ये सुनवाई दो अलग-अलग पीठों के सामने हुई थी, लेकिन दोनों बार जिन न्यायाधीशों ने सुनवाई की, उन्हें बाद में अन्य उच्च न्यायालयों का मुख्य न्यायाधीश नियुक्त कर दिया गया। इस वजह से फैसला नहीं आ पाया था। तीसरी बार इन चारों ने अपनी जमानत याचिका पर दलीलें न्यायमूर्ति चावला और कौर की पीठ के सामने रखीं, लेकिन अदालत ने एक बार फिर जमानत देने से इनकार कर दिया।
तसलीम अहमद की याचिका भी खारिज
एक अन्य खंडपीठ, जिसमें न्यायमूर्ति सुब्रमोनियम प्रसाद और हरीश वैद्यनाथन शंकर शामिल थे, ने भी आरोपी तसलीम अहमद की जमानत याचिका खारिज कर दी। अदालत ने खुले न्यायालय में स्पष्ट रूप से कहा कि उनकी अपील को खारिज किया जाता है। विस्तृत आदेश बाद में जारी होगा। तसलीम अहमद को अप्रैल 2020 में एक अन्य मामले में गिरफ्तार किया गया था और जून 2020 में दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने उन्हें ‘लार्जर कॉन्सपिरेसी’ केस में भी आरोपी बनाया। मार्च 2022 में कड़कड़डूमा की सत्र अदालत ने उनकी पहली जमानत याचिका खारिज कर दी थी। अदालत ने संरक्षित गवाहों के बयानों का हवाला देते हुए पाया था कि तसलीम के खिलाफ लगे आरोपों का प्रथम दृष्टया समर्थन होता है। फरवरी 2024 में उनकी दूसरी जमानत याचिका भी निचली अदालत ने खारिज कर दी थी।
2020 दंगों की बड़ी साजिश का आरोप
इस मामले में कुल 18 आरोपी हैं, जिन पर फरवरी 23 से 25, 2020 के बीच उत्तर-पूर्वी दिल्ली में हुई हिंसा की सुनियोजित साजिश रचने का आरोप है। इन पर भारतीय दंड संहिता (IPC), सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान से रोकथाम अधिनियम (PDPP), शस्त्र अधिनियम और गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम (UAPA) के तहत कई गंभीर धाराओं में मामले दर्ज किए गए हैं। मार्च 2020 में दिल्ली क्राइम ब्रांच ने इस मामले में एफआईआर दर्ज की थी और वर्तमान में इसकी जांच दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल द्वारा की जा रही है।
अब तक किन्हें मिली जमानत
आपको बताते चलें कि कुल 18 आरोपियों में से कुछ को पहले ही जमानत मिल चुकी है। इनमें एक्टिविस्ट सफूरा जरगर को जून 2020 में और फैज़ान को अक्टूबर 2020 में जमानत दी गई थी। वहीं तीन अन्य एक्टिविस्ट, नताशा नरवाल, देवांगना कलीता और आसिफ इकबाल तन्हा, को जून 2021 में दिल्ली हाई कोर्ट ने जमानत दी थी। पूर्व कांग्रेस पार्षद इशरत जहां को मार्च 2022 में जमानत दी गई थी। इसके विपरीत, एक अन्य आरोपी सलीम मलिक की जमानत अप्रैल 2024 में दिल्ली हाई कोर्ट ने खारिज कर दी थी। इसी केस में आम आदमी पार्टी के पूर्व पार्षद ताहिर हुसैन अभी भी न्यायिक हिरासत में हैं।