भारत से रिश्ते सुधारने को अमेरिका की पहल..!
अमेरिकी वित्त मंत्री के बयान में बड़ा मैसेज
1 months ago
Written By: आदित्य कुमार वर्मा
भारत और अमेरिका के बीच संभावित व्यापार समझौते को लेकर हालात जटिल बने हुए हैं। बुधवार को अमेरिकी वित्त मंत्री स्कॉट बेसेंट ने आशा जताई कि दोनों (भारत और अमेरिका) देश अंततः एक साथ आएंगे। उन्होंने कहा कि भारत और अमेरिका की साझेदारी वैश्विक स्तर पर बेहद महत्वपूर्ण है और भविष्य में इसका दायरा और बढ़ सकता है। फॉक्स न्यूज को दिए एक साक्षात्कार में बेसेंट ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के व्यक्तिगत संबंधों की तारीफ करते हुए कहा कि दोनों नेताओं के बीच "बहुत अच्छे रिश्ते" हैं।
"भारत और अमेरिका एक-दूसरे के लिए अहम"
स्कॉट बेसेंट ने भारत की लोकतांत्रिक ताकत और अमेरिका की आर्थिक शक्ति पर जोर देते हुए कहा, "मुझे लगता है कि भारत दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र है। अमेरिका दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है। मुझे विश्वास है कि अंततः हम एक साथ आएंगे।" हालांकि, मौजूदा परिस्थितियों में दोनों देशों के बीच टैरिफ विवाद बढ़ गया है। ट्रंप प्रशासन ने बुधवार से भारत पर 25% अतिरिक्त टैरिफ लगा दिया है, जिससे कुल टैरिफ 50% तक पहुंच गया है।
व्यापार वार्ता में अब तक समझौता नहीं
बेसेंट ने बताया कि भारत उन कुछ देशों में से एक था जिसने ट्रंप के दूसरे कार्यकाल की शुरुआत में ही अमेरिका के साथ व्यापार वार्ता शुरू की थी। उन्होंने कहा, "स्वतंत्रता दिवस के तुरंत बाद भारत टैरिफ पर बातचीत शुरू करने के लिए आगे आया था, लेकिन अभी तक कोई समझौता नहीं हो पाया। मुझे लगा था कि मई और जून में कोई डील हो जाएगी। मुझे उम्मीद थी कि भारत पहले समझौतों में से एक हो सकता है।" हालांकि, भारत की ओर से स्पष्ट कर दिया गया है कि वह किसी भी ऐसे समझौते को स्वीकार नहीं करेगा, जिससे किसानों और छोटे व्यवसायों के हितों को नुकसान पहुंचे। भारत ने अमेरिकी टैरिफ को "अनुचित" बताते हुए उसका विरोध किया है।
रूसी तेल को लेकर फिर आरोप-प्रत्यारोप
साक्षात्कार में बेसेंट ने एक बार फिर भारत पर रूसी तेल खरीदकर "मुनाफाखोरी" करने का आरोप लगाया। यह आरोप ट्रंप प्रशासन की ओर से पहले भी कई बार लगाया जा चुका है। इस पर विदेश मंत्री सुब्रह्मण्यम जयशंकर ने पिछले हफ्ते पलटवार करते हुए कहा था, "अगर आपको भारत से तेल या रिफाइंड उत्पाद खरीदने में कोई समस्या है, तो उसे न खरीदें।"
ब्रिक्स और रुपए में व्यापार पर भी दी सफाई
भारत द्वारा ब्रिक्स देशों के साथ भारतीय रुपए में व्यापार करने के सवाल पर, बेसेंट ने इस संभावना को खारिज करते हुए कहा कि उन्हें "रुपए के रिजर्व करेंसी बनने" की कोई चिंता नहीं है। पिछले महीने, विदेश मंत्रालय (MEA) के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने भी स्पष्ट किया था कि ब्रिक्स सदस्य देशों द्वारा "डी-डॉलरीकरण" का कोई एजेंडा नहीं है। उन्होंने कहा, "डी-डॉलरीकरण एजेंडे में नहीं है।"