महाराष्ट्र के बाद बंगाल में भाषा को लेकर बढ़ा बवाल, ममता बनर्जी का बड़ा फैसला,
जानिए क्या है पूरा मामला
3 days ago
Written By: आदित्य कुमार वर्मा
महाराष्ट्र के बाद अब पश्चिम बंगाल में भी भाषा को लेकर विवाद शुरू हो गया है। इसकी शुरुआत कोलकाता नगर निगम (KMC) के उस नए सर्कुलर से हुई है, जिसमें शहर के सभी दुकानदारों, व्यापारिक प्रतिष्ठानों और कार्यालयों को अपने साइनबोर्ड पर बांग्ला भाषा का उपयोग अनिवार्य करने के निर्देश दिए गए हैं। नगर निगम का कहना है कि इस फैसले का उद्देश्य बांग्ला भाषा की पहचान और गौरव को बनाए रखना है।
30 सितंबर तक लागू होगा आदेश
नगर निगम ने स्पष्ट कर दिया है कि 30 सितंबर 2025 तक सभी दुकानदारों और प्रतिष्ठानों को इस आदेश का पालन करना होगा। अगर किसी दुकान या संस्थान के साइनबोर्ड पर बांग्ला भाषा नहीं पाई गई, तो कार्रवाई की जाएगी। इस निर्देश के जारी होते ही शहर के कई दुकानदारों ने अपने साइनबोर्ड को बांग्ला में बदलना शुरू कर दिया है।
भाषा का गौरव बचाने की कवायद
नगर निगम के वरिष्ठ अधिकारियों का कहना है कि इस कदम का उद्देश्य बांग्ला भाषा को उसका उचित सम्मान देना है। उनका कहना है कि यह सर्कुलर शनिवार को जारी किया गया और यह सुनिश्चित करने के लिए है कि कोलकाता जैसे ऐतिहासिक शहर में बांग्ला भाषा की पहचान कायम रहे। अधिकारियों ने यह भी साफ किया है कि बांग्ला सिर्फ लिखने तक सीमित नहीं, बल्कि इसे संस्कृति और विरासत से जोड़कर देखा जा रहा है।
सबसे ऊपर बांग्ला, फिर अन्य भाषाएं
कोलकाता के मेयर के निर्देशानुसार, सभी साइनबोर्ड्स पर बांग्ला भाषा सबसे ऊपर लिखी जाएगी। इसके बाद हिंदी, अंग्रेजी या किसी अन्य भाषा का उपयोग किया जा सकता है। नगर निगम का कहना है कि बांग्ला भाषा को किसी अन्य भाषा के साथ बराबरी में नहीं रखा जा सकता, बल्कि उसे शीर्ष पर लिखना अनिवार्य होगा।
संभावित विवाद की आशंका
इस फैसले के बाद शहर में भाषाई विवाद की आहट सुनाई देने लगी है। कई दुकानदारों का कहना है कि उन्हें नए साइनबोर्ड बदलने का खर्च उठाना मुश्किल पड़ रहा है, जबकि कई का मानना है कि यह फैसला एक विशेष भाषा को थोपने जैसा है। हालांकि, बांग्ला समर्थक संगठनों ने इस निर्णय का स्वागत करते हुए इसे भाषा गौरव की दिशा में सही कदम बताया है।