ससुर की प्रापर्टी में मिल सकता है दामाद को हक़ !
जानें क्या कहता है भारत का कानून
1 months ago Written By: आदित्य कुमार वर्मा
भारत में प्रॉपर्टी को लेकर विवाद आम बात है। अक्सर बेटियों के पिता की संपत्ति में हिस्सा मांगने को लेकर झगड़े देखने को मिलते हैं, जो कभी कोर्ट तक पहुंच जाते हैं और कभी परिवार में ही सुलझा लिए जाते हैं। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि अगर कोई दामाद अपने ससुर की प्रॉपर्टी में हक मांग ले तो क्या होगा। आम धारणा के बावजूद, भारतीय कानून स्पष्ट करता है कि दामाद का ससुर की संपत्ति में सीधा कोई हिस्सा नहीं होता। यह नियम सभी धर्मों पर लागू है, चाहे वह हिन्दू हो, मुस्लिम, सिख या ईसाई।
हिंदू उत्तराधिकार कानून क्या कहता है हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम 1956 में स्पष्ट किया गया है कि किसी व्यक्ति की मृत्यु के बाद उसकी संपत्ति का बंटवारा किस तरह किया जाएगा। यह कानून संपत्ति विवादों को कम करने और सभी उत्तराधिकारियों को समान अधिकार सुनिश्चित करने के लिए बनाया गया है। इस कानून के तहत पैतृक संपत्ति का वितरण होता है और इसके अंतर्गत कानूनी वारिसों की सूची क्लास 1 और क्लास 2 में विभाजित है।
दामाद को क्यों नहीं मिलता हिस्सा कानून में क्लास 1 में व्यक्ति के करीबी लोग शामिल हैं जैसे पत्नी, बेटा, बेटी, जबकि क्लास 2 में दूर के रिश्तेदार आते हैं। दामाद इन दोनों सूचियों में शामिल नहीं होता, इसलिए उसे सीधे तौर पर ससुर की संपत्ति में कोई हिस्सा नहीं मिलता। हालाँकि, अगर बेटी को पिता की संपत्ति में हिस्सा मिलता है तो दामाद अपनी पत्नी के माध्यम से उस पर हक जता सकता है। इस तरह से उसका अधिकार केवल पत्नी के हिस्से से जुड़ा होता है, न कि सीधे ससुर की संपत्ति से।
वसीयत और गिफ्ट के जरिए हक कई बार देखा गया है कि बेटी की शादी के अवसर पर ससुर अपने दामाद को प्रॉपर्टी गिफ्ट करते हैं या वसीयत के जरिए अधिकार दे देते हैं। अगर ससुर किसी संपत्ति को दामाद के नाम वसीयत या गिफ्ट के रूप में करते हैं तो कानूनी रूप से वह संपत्ति दामाद की हो जाती है। हालांकि, गिफ्ट डीड का पंजीकरण आवश्यक है ताकि अधिकार पूरी तरह सुरक्षित रहें। इस मामले में पूरी तरह यह ससुर की मर्जी पर निर्भर करता है कि वह दामाद को प्रॉपर्टी देना चाहते हैं या नहीं।
अन्य धर्मों में नियम मुस्लिम कानून में ससुर अपने दामाद को केवल एक-तिहाई (1/3) संपत्ति ही दे सकता है। शरीयत के नियमों के अनुसार प्रॉपर्टी का वितरण इसी सीमा तक सीमित है। वहीं ईसाई धर्म में हिंदुओं की तरह ही वसीयत और संपत्ति का बंटवारा होता है, और दामाद का कोई सीधा हक नहीं होता। केवल पत्नी के हिस्से में आई प्रॉपर्टी या गिफ्ट के माध्यम से ही दामाद हक जता सकता है।